Nov 3, 2016

धज्जियां रोज उड़ती हैं तो एनडीटीवी ही क्यों


सरकार ने कानून-उल्लंघन के लिये दंडित करने का फैसला भी किया तो हिन्दी के एक अपेक्षाकृत बेहतर और संतुलित चैनल को! ऐसी भी क्या 'इमर्जेेन्सी' थी....

उर्मिलेश, वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक और पत्रकार

'इमर्जेन्सी' की याद दिलाने के लिये 'इमर्जेेन्सी' जैसा कुछ न कुछ किया जाता रहेगा! NDTV-India के प्रसारण पर एक दिन की रोक लगाने का केंद्र सरकार का फैसला कुछ इसी प्रकार का है। 4 जनवरी,2016 को पठानकोट एयर बेस में सुरक्षा बलों के काउंटर-आपरेशन के कवरेज में राष्ट्रीय़ सुरक्षा से कथित समझौता करते प्रसारण के लिये सरकार ने NDTV-India को दंडित करने का फैसला किया है। 

मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक उस दिन सुरक्षा बल आतंकी हमले के खिलाफ आपरेशन चला रहे थे। सरकार को चैनल के 6 मिनट के एक खास प्रसारण पर गहरी आपत्ति है। सवाल है, उस दिन तो सारे चैनलों ने उस तरह का कवेरज किया। एक दर्शक के तौर पर मेरा आकलन है कि NDTV-India का कवेरज अन्य चैनलों जैसा ही था, उसमें कुछ भी अलग नहीं था। ऐसे में सिर्फ एक चैनल को क्यों दंडित किया जा रहा है? 

जहां तक केबल TV नेटवर्क एक्ट-1994 और अन्य सम्बद्ध सरकारी कानूनों के उल्लंघन का सवाल है, हिन्दी-अंगरेजी के कई चैनल उसके प्रावधानों की धज्जियां उड़ाते रहते हैं। कइयों पर अंध-विश्वास बढ़ाते कार्यक्रमों की झड़ी लगी हुई है। विज्ञापन-प्रसारण के मामले में भी रोजाना उल्लंघन होते हैं? क्या यह सब सरकारी कानून का उल्लंघन नहीं है? सरकार को ऐसे उल्लंघनों पर कोई आपत्ति नहीं! 

कैसी विडम्बना है, सरकार ने कानून-उल्लंघन के लिये दंडित करने का फैसला भी किया तो हिन्दी के एक अपेक्षाकृत बेहतर और संतुलित चैनल को! ऐसी भी क्या 'इमर्जेेन्सी' थी? ज्यादा नाराजगी थी तो एक नोटिस देकर चेतावनी दी जा सकती थी। पर यहां तो प्रसारण रोकने का फैसला आ गया। एक पत्रकार और नागरिक के रूप में मैं इसकी निन्दा करता हूं क्योंकि इस फैसले में किसी एक को चुनकर दंडित करने का पूर्वाग्रह दिखता है।

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