अब दिल्ली—एनसीआर की हालत देख रोना आ रहा है। पटाखों का धुआं इतना ज्यादा है सूरज तक नहीं दिख रहा। आंखों में जलन हो रही है, सांस लेने में दिक्कत हो रही है।
गलती हो गयी, बहुत बड़ी गलती हो गयी। हमसे भी और आपसे भी। शर्मिंदगी भी महससू हो रही है।
हम बॉर्डर पर पाकिस्तान को सबक सिखाने की लंबी—लंबी हांकते हैं पर अपने ही शहर को अपने ही हाथों से बर्बाद करते जा रहे हैं। हम किस मूंह से खुद को देशभक्त बोलें। बहुत शर्मिंदगी महससू हो रही है।
दोस्तों, इस शर्मिंदगी को अगले साल हम सबको नहीं भूलना है और आज ही संकल्प लेना है कि कभी जिंदगी में दीपावली पर प्रदूषण नहीं करेंगे।
फिर भी मन न माने तो एक बार छोटे बच्चों, बुढ़ी मांओं, सांस के मरीजों, एलर्जी ग्रस्त लोगों, पेट में पल रहे बच्चों की परेशानी को याद कर लीजिए, आप अपना संकल्प कभी नहीं भूलेंगे और न ही हमें भूलने देंगे।
गलती हो गयी, बहुत बड़ी गलती हो गयी। हमसे भी और आपसे भी। शर्मिंदगी भी महससू हो रही है।
हम बॉर्डर पर पाकिस्तान को सबक सिखाने की लंबी—लंबी हांकते हैं पर अपने ही शहर को अपने ही हाथों से बर्बाद करते जा रहे हैं। हम किस मूंह से खुद को देशभक्त बोलें। बहुत शर्मिंदगी महससू हो रही है।
दोस्तों, इस शर्मिंदगी को अगले साल हम सबको नहीं भूलना है और आज ही संकल्प लेना है कि कभी जिंदगी में दीपावली पर प्रदूषण नहीं करेंगे।
फिर भी मन न माने तो एक बार छोटे बच्चों, बुढ़ी मांओं, सांस के मरीजों, एलर्जी ग्रस्त लोगों, पेट में पल रहे बच्चों की परेशानी को याद कर लीजिए, आप अपना संकल्प कभी नहीं भूलेंगे और न ही हमें भूलने देंगे।
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