Oct 21, 2016

आदिवासियों के गांवों को माओवादियों ने नहीं सीआरपीएफ ने फूंका — सीबीआई

सीबीआई ने कहा पुलिस अधिक्षक कल्लूरी के आदेश में पर हुई थी हत्या और बलात्कार। आदिवासियों के सैकड़ों घरों को भी फूंक दिया था सुरक्षाबलों ने। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा, करो माओवादियों से शांतिवार्ता

सुप्रीम कोर्ट के सामने आज सीबीआई ने कहा कि 2011 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में जो तीन गांव फूंक कर तबाह कर दिए गए थे उन्हें 'कांबिंग आॅपरेशन' के नाम पर सुरक्षा बलों दंतेवाड़ा के वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक एसआरपी कल्लूरी के आदेश पर जला दिया गया था। पुलिस अधिक्षक के आदेश में पर तबाह किए गए इन गांवों में सुरक्षा बलों ने तीन आदिवासियों की हत्या और तीन महिलाओं का बलात्कार भी किया था।

सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार कहते हैं, 'मैनें पुलिस और सीआरपीएफ पर इल्ज़ाम लगाया था कि पुलिस ने आदिवासियों के तीन गांवों को आग लगा दी थी, तब सरकार ने कहा था आग नक्सलवादियों ने लगाई है , आज सीबीआई की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट मे पेश हुई है। सीबीआई ने कहा है कि आग पुलिस सीआरपीएफ और विशेष पुलिस अधिकारियो ने लगाई और आग लगाने का आदेश पुलिस अधीक्षक कल्लूरी ने दिया था।'

गौरतलब है कि इस गांव की बलात्कार पीड़ित महिलाओं का वीडियो यू ट्यूब पर डालने के कारण पुलिस ने आदिवासी पत्रकार लिंगा कोड़ोपी के मलद्वार में मिर्च लगा डन्डा घुसा दिया था और ढाई साल तक जेल मे डाल दिया था। अब सीबीआई की रिपोर्ट मे सच्चाई सामने आने के बाद आईजी कल्लूरी की गिरफ्तारी हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट के जज मदन बी लोकूर और आदर्श कुमार गोयल की बेंच ने सरकार ने जोर देकर सलाह दी है कि छत्तीसगढ़ में हो रही हिंसा को लेकर माओवादियों से शांतिवार्ता करें। केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसीटर जेनेरल को तुशार मेहता को कहा कि वह नागालैंड और मिजोरम के ​भी विद्रोही गुटों से शांतिवार्ता की पहल करे। मेहता ने कोर्ट से वादा किया है कि वह इस बारे में सरकार के उच्चस्तरीय प​दाधिकारियों से बात करेंगे। मेहता ने कोर्ट के समक्ष माना कि पुलिसिया कार्रवाई विद्रोहियों से निपटने का दीर्घकालिक उपाय नहीं हो सकता।

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