राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मानवाधिकार हनन के मामले में उत्तर प्रदेश को अव्वल पाया है। अक्टूबर 2015 से सितंबर 2015 में दर्ज हुए मानवाधिकार हनन के मामलों में 44 प्रतिशत उत्तर प्रदेश से दर्ज हुए हैं।
21 अक्टूबर को एनएचआरसी फाउंडेशन दिवस पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष एचएल दत्तु की ओर जारी किए आंकड़ों के अनुसार पिछले एक वर्ष में पूरे देश भर में मानवाधिकार हनन के 1.05 लाख मामले दर्ज हुए। उनमें से 46 हजार 5 सौ 75 मामले उत्तर प्रदेश से हुए, जबकि मानवाधिकार हनन में दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर रहे ओडिशा में क्रमश: 10,227, हरियाणा 7,342 और बिहार 4,254 मामले दर्ज हुए ।
पुलिस और न्यायिक हिरासत में मरने वालों की सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश में ही उजागर हुई है। आयोग द्वारा जारी सूची के मुताबिक न्यायिक हिरासत में देश भर में कुल 1757 मौतें हुईं। उनमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 401 लोगों की न्यायिक हिरासत में मौत हुई। वहीं पुलिस हिरासत में 192 मौतें हुईं जिनमें से सबसे ज्यादा 27 उत्तर प्रदेश के नाम रही।
21 अक्टूबर को एनएचआरसी फाउंडेशन दिवस पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष एचएल दत्तु की ओर जारी किए आंकड़ों के अनुसार पिछले एक वर्ष में पूरे देश भर में मानवाधिकार हनन के 1.05 लाख मामले दर्ज हुए। उनमें से 46 हजार 5 सौ 75 मामले उत्तर प्रदेश से हुए, जबकि मानवाधिकार हनन में दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर रहे ओडिशा में क्रमश: 10,227, हरियाणा 7,342 और बिहार 4,254 मामले दर्ज हुए ।
पुलिस और न्यायिक हिरासत में मरने वालों की सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश में ही उजागर हुई है। आयोग द्वारा जारी सूची के मुताबिक न्यायिक हिरासत में देश भर में कुल 1757 मौतें हुईं। उनमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 401 लोगों की न्यायिक हिरासत में मौत हुई। वहीं पुलिस हिरासत में 192 मौतें हुईं जिनमें से सबसे ज्यादा 27 उत्तर प्रदेश के नाम रही।
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