Feb 1, 2016

एक और दलित छात्र ने की आत्महत्या, पिता ने लगाया आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप

कहा, सबूत नहीं पर मेरा दिल कहता है बेटे की हुई है हत्या। 

जनज्वार से हुई बातचीत में पंजाब के संगरूर में रह रहे नवकरण के ​पिता मक्खन सिंह ने कहा कि नवकरण सिर पर कफन बांध कर देश बदलने निकला था, वह आत्महत्या नहीं कर सकता, उसकी हत्या हुई है! वह पंजाब के संगरूर जिले के थॉपर इंस्टीट्यूट से सीविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। मात्र 17 वर्ष की उम्र में वह वामपंथी संगठन नौजवान भारत सभा से जुड़ गया था. 20 वर्ष में ही इस संगठन ने मेरे बेटे की आहूती ले ली।

नौजवान भारत सभा में सक्रिय एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नवकरण ने आत्महत्या 21 तारीख को की थी और इसकी जानकारी संगठन के शीर्ष लोगों कात्यायिनी, शशिप्रकाश और सत्यम वर्मा को चंद मिनट में ही हो गयी। छात्र ने बताया कि नवकरण की आत्महत्या से दो दिन पहले संगठन की बैठक हुई थी, जिसमें उसको कायर, भगोड़ा और पतित कहा गया था। वह इससे काफी आहत था। 

गौरतलब है कि पंजाब के लुधियाना और संगरूर में सक्रिय इस संगठन के असली मुखिया शशिप्रकाश, उनकी पत्नी कात्यायिनी, बेटा अभिनव और साढू सत्यम वर्मा हैं। इनकी जड़ें लखनउ और​ दिल्ली से जुड़ी हुई हैं। पर इनकी ठगी और फरेब का सच जब उत्तर भारत के इलाकों में उजागर हो गया तो इन्होंने पंजाब के छात्रों—नौजवानों को निशाना बनाना शुरू किया है।

शशिप्रकाश और उनकी पत्नी ने अपने रिश्तेदारों के सहयोग से दिशा, जनचेतना, राहुल फाउं​डेशन के नाम के कई संगठन खोल रखे हैं, जो इस परिवार की कमाई और संपन्न्ता का जरिया बन चुके हैं। इंटर पास कर कॉलेजों—विश्वविद्यालयों में पहुंचने वाले युवाओं को यह भगत​ सिंह के नाम पर सपना दिखाते हैं और उसको होलटाइमर बनाकर उसका मुफ्त का श्रम लूटते हैं। 

यही वजह है कि कोई भी नौजवान इनके संगठन में बहुत फंस गया हो या मजबूर न हो तो नहीं टिकता, सिवाय इनके परिवार वालों के, जिनका की संगठन के लाभ और नेतृत्व के पदों पर कब्ज़ा है. अकेले पंजाब से पिछले तीन वर्षों में करीब दर्जन भर संगठनकर्ता, होलटाइमर और कार्यकर्ता संगठन छोड़ चुके हैं। उनमें राजिंदर, प्रदीप, कमल, मनप्रीत, अमन, अजय पॉल और परमिंदर प्रमुख हैं। 

खुद को तार्किक और वामपंथी विचारों का वाहक कहने वाले इस संगठन के ​खिलाफ पिछले वर्षों में जब सवाल उठे थे तब इस संगठन ने मानहानी का मुकदमा किया था। मुकदमा करने वालों में शशिप्रकाश की पत्नी कात्यायिनी प्रमुख हैं। जनज्वार हमेशा ही इस संगठन की सचाइयों से समाज के सजग और सरोकारी लोगों का अवगत कराता रहा है। इस संगठन पर चली बहस को अभी भी जनज्वार पर दायीं और ​दिए लिंक में पढ़ा जा सकता है। 

आप, नवकरण के पिता का साक्षात्कार सुनें उससे पहले यह जान लेना जरूरी है कि नौजवान भारत सभा, पंजाब के प्रभारी और मालिक भी शशिप्रकाश के ही साढ़ू सुखविंदर और उनकी पत्नी नमिता हैं। नमिता कात्यायिनी की बहन हैं। इसी युनिट में काम करते हुए नवकरण ने 21 की रात को आत्महत्या की थी। 

आॅडियो सुनें और जानें कि एक दलित छात्र के पिता क्या कहते हैं बेटे की आत्महत्या पर
https://soundcloud.com/janjwar/navkaran-father-on-suicide

3 comments:

  1. जनज्वार को इस मुद्दे को भी पिछले बार की तरह ही उठाना चाहिए। व्हाट्स अप पर कुछ युवा इस मुद््दे को काफी बेहतर ढंग से उठा रहे हैं, लेकिन उसकी एक सीमा है।
    -देवेंद्र प्रताप

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  2. साथ में इनकी फेसबुक व अन्य जगह की जा रही उल्टियों को भी सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
    एक कोई नवमीत हैं। मेरी फेसबुक मित्रता सूची में थे।
    उनकी या मुद्दे पर प्रतिक्रिया इतनी संवेदनहीन और घटिया और स्त्री विरोधी थी कि उस संगठन से कोई जुडाव न होते हुए भी मुझे कॉमेंट करना पड़ा और ब्लॉक होना पड़ा।
    वे महिला साथी के लिए किस्सा ए मनप्रीत लिखते हैं। मानो बड़ा मजेदार किस्सा हो। साथ ही लिखते हैं की ये क्रान्ति की धुक्कीया कूटने आई थी। आते ही शादी हो गई।
    साथ ही तीन लोगों पर कॉमेंट करते हुए उन सब में एक ही कमी बताई गई, उनकी सेक्सुअलिटी।
    मैंने सवाल उठाया तो ब्लॉक किया।

    ये अपने आप को कई साल से क्रांतिकारी मानते हैं। हालांकि कर ये धंधा ही रहे हैं। लेकिन अब बात किसी की जान लेने तक पहुँच गई है।
    असल में परजीवी होने के बाद इनके नेता के सामने भूखे मरने की नौबत आ जायेगी और इनके परिवार के सामने आम आदमी की तरह मेहनत करने का संकट आ जाएगा। इसलिए नेता बने रहना है तो संगठन से जुड़ने वालों को हीनभावना में रखना इनकी मजबूरी है। कोई और बात इन्हें साल भर से ज्यादा नेता के पद पर नही रख सकती।

    इनका पर्दाफाश होना ही चाहिए। क्योंकि जिनने आत्महत्या नहीं भी की होगी उनकी मनोदशा भी एक दिन ये उसी तरफ पहुंचाने वाले हैं।

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