Aug 6, 2011

बन्दरनामा


हिमांशु कुमार

 (इस रचना के सभी पात्र वास्तविक हैं )

एक जंगल था ! उसमें  अनेकों वृक्ष थे, उनमें  से एक वृक्ष काफी पुराना था ! इस वृक्ष की ऊंची और फलदार शाखाओं पर कई ऊँची जाति के बंदरों का कब्ज़ा था ! और ये बन्दर अपने इस कब्ज़े को जायज़ बताने के लिए धर्म परम्परा और इतिहास का हवाला देते थे ! दूसरी कुछ ऊंची फलदार शाखों पर कुछ दुसरे बंदरों का कब्ज़ा था ! और उनका दावा था कि  उन्होंने किसी ख़ास भाषा की कुछ किताबें पढ ली हैं, इसलिये उन्हें  फलदार शाखों  पर कब्जे का संवैधानिक  अधिकार है !

इस तरह थोड़े  से बंदरों  ने इस पेड़  की सारी उंची और फलदार शाखों  पर कब्जा कर लिया था और बाकी के सारे बंदर पेड़   के नीचे ही बैठे रहते थे ! नीचे के बंदर कई पीढ़ियों से नीचे भूखे बैठे बैठे कमज़ोर और बेआवाज़ हो गए थे ! नीचे के बंदरों का काम था पेड़ की जड़ों में पानी डालना और सफाई करना ! ऊपर के बन्दर ताज़े फल खा जाते थे और खूब मोटे हो गए थे ! ऊपर के बन्दर स्वयं को सभ्य और नीचे के बंदरों को नीच ज़ात और कम बुद्धि मानते थे !

पेड़ के ऊपर रहने वाले बन्दर नीचे ज़मीन वाले बंदरों को धार्मिक उपदेश भी देते थे ! वे उन्हें बताते थे कि तुम इसलिए नीचे हो क्योंकि पिछले जन्म में तुमने पाप किये थे ! और अगर इस जन्म में तुम इस पेड़ के ऊपर रहने वालों की और इस पेड़ की सेवा करोगे तो अगले जनम में तुम्हे भी फलदार डाल पर बैठने और और भरपेट फल खाने का मौका मिलेगा !

ऊपर के बंदरों ने नीचे के बंदरों को पेड़ के ऊपर चढ़ने से रोकने के लिए ज़मीन के ही कुछ बंदरों को लालच दिया की अगर वे नीचे के बंदरों को पेड़ पर चढ़ने से रोकेंगे तो उन्हें भी कुछ फल खाने के लिए दिए जायेंगे और तुम्हें सेना और पुलिस के सम्मानजनक नाम से पुकारा जायेगा ! भूखे बंदरों में से कुछ बंदरों ने फटाफट प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और वे मोटे- मोटे डंडे लेकर पेड़ की जड़ों के चारों तरफ पहरा देने लगे !

गाँधी नामक एक बन्दर ऊपर से नीचे उतर कर आया और उसने कहा कि अगर हम संगठित होकर इस पेड़ की जड़ में पानी डालने से असहयोग कर दें  तो ये मोटे बन्दर भी ऊपर के फल हमसे बांटने को मजबूर हो जायेंगे ! इसके अलावा हम नीचे ही मिल कर इतने फल पैदा करने लगे कि  हमें ऊपर के फलों की ज़रुरत ही ना रहे! और ऊपर के बन्दर अपने को नीचे के बंदरो का ट्रस्टी समझें !

पर किसी ऊपरी बन्दर ने खुद को नीचे के बन्दर का ट्रस्टी नहीं समझा और इसी बीच एक बड़ी जात के बन्दर गाँधी बन्दर को मार दिया ! एक दूसरा बन्दर जिसका नाम नेहरु था उसने कहा कि ऐसा करते हैं हम ऊपर के बन्दर नीचे के बंदरों का भी ख्याल रखेंगे ! हम कुछ फल ऊपर से नीचे गिरा देंगे और इसे हम ट्रिकल डाउन विकास कहेंगे ! परन्तु किसी भी बन्दर ने अपने फल नीचे नहीं गिराए!

एक बार एक बन्दर के दिमाग में आया कि सभी बंदरों को तो प्रकृति ने सामान पैदा किया है फिर हम सबको पेड़ के फल बराबर क्यों नहीं मिलते ? उसने कमज़ोर बंदरों को जमा किया और कहा कि तुम लोग मिलकर इस पेड़ की जड़ खोद दो ! हम इस पेड़ को गिरा देंगे ! इसके बाद हम एक नया पेड़ लगायेंगे ! उस नए पेड़ पर कमजोरों का राज होगा और उसमे सब को बराबर फल खाने को मिलेंगे !

उनकी ये बातें सुनकर ऊपर की डालियों पर बैठे बंदरों में खलबली मच गयी और वो चिल्लाने लगे की ये नीचे के बन्दर कमुनिस्ट हो गए हैं , देखो ये नक्सलवादी बन गए हैं ये पेड़ विरोधी हैं, ये फलों के विकास में बाधक हैं ! इधर नीचे के बंदरों में असंतोष बढ़ता जा रहा था ! नीचे के बंदरों ने पेड़ की जड़ के चारों ओर पहरा देने वाले सिपाही बंदरों को मारना शुरू कर दिया ! इसी बीच ऊपर के कुछ बन्दर सामान बंदराधिकार की बातें करने लगे ! ऊपर के सारे मोटे बन्दर इस सामान बंदराधिकार की बातों से घबरा गए और उन्होंने इन बन्दाराधिकरवादियों   को नीचे के नक्सली बंदरो का एजेंट घोषित कर दिया और उन्हें पेड़ से नीचे गिरा दिया!

कुछ बंदरों ने अपने एनजीओ बना लिए और उन्होंने ऊपर के बंदरों को समझाया कि  अगर आप नीचे के बंदरो के लिए हमें कुछ फल अनुदान के रूप में दे दें तो हम इन फलों को नीचे के बंदरों में बाँट देते हैं ! इससे नीचे के बंदरों में आपके प्रति क्रोध कम होगा और वो जो बन्दर मिल कर पेड़ की जड़ खोद रहे है उन्हें हम उधर से हटा देते हैं और पेड़ के प्रति पेड़ भक्ति पैदा कर देंगे !

ऊपर के कुछ बन्दर सबको ख़बरें  देने का काम करने लगे और वो खुद को मीडिया कहते थे, पर अक्सर वे पेड़ के ऊपर रहने वाले बंदरों के मतलब की ही ख़बरें देते थे ! नीचे के बंदरों की या तो ये मीडिया बन्दर अवहेलना करते थे या उनके विरुद्ध खबरें फैलाते थे !

ऊपर के बंदरों ने जब देखा कि नीचे के बहुत से बन्दर ऊपर के खिलाफ हो गए हैं तो उन्होंने नीचे के बंदरों को शांत करने के लिए विशेष आर्थिक पॅकेज की घोषणा की ! परन्तु वो आर्थिक पॅकेज फल नीचे लेकर जाने का काम पेड़ की जड़ की रक्षा करने का काम करने वाले पुलिस बंदरों को ही दे दिया ! ये पुलिस बन्दर तो पहले से ही नीचे के बंदरों से चिढ़े बैठे थे, इसलिए उन्होंने गरीब बंदरों को शांत करने के लिए भेजे गए सारे फल खुद ही मिल कर खा लिए !

इसी बीच एक बन्दर कहने लगा की हम पेड़ के ऊपर रहने वाले बन्दर पेड़ के सारे फलों को इमानदारी से बाँट कर खायेंगे और हम पेड़ के ऊपर रहने वाले बन्दर फलों के बंटवारे में कोई भ्रष्टाचार ना करें इसके लिए हम एक लोकपाल बनायेंगे ! इस पर नीचे से कुछ बन्दर चिल्लाने लगे कि ये बन्दर नीचे के बंदरों के बारे में तो कोई बात ही नहीं कर रहा है, इसलिए ये तो बस ऊपर के बंदरों का आन्दोलन है !

अब ऊपर के बंदरों को समझ ही नहीं आ रहा था की वे अपने पेड़ के ऊपर बने रहने और सारे फल खाने के विशेषधिकार को कैसे बनाये रखें ! उधर जंगल के मिस्र नामक पेड़ व उस जैसे कुछ अन्य पेड़ों से खबरे आने लगी कि  वहां नीचे के बंदरों ने पूरे पेड़ पर कब्ज़ा कर लिया है...!



सामाजिक कार्यकर्त्ता हिमांशु कुमार का संघर्ष ,  बदलाव और सुधार की गुंजाईश चाहने वालों के लिए एक मिसाल है.





No comments:

Post a Comment