Aug 2, 2011

प्रधानमंत्री के नाम खुला पत्र

रोजी-रोटी अधिकार अभियान आगाह करता है कि देश में संगठित रिटेल के प्रवेश का रास्ता तैयार करने के लिए जानबूझकर पीडीएस व्यवस्था खत्म की जा रही है...

प्रिय डॉ सिंह,

रोजी रोटी अधिकार अभियान. जैसा कि आप जानते हैं हाल ही में मंत्रियों के सशक्त समूह-ईजीओएम ने खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा तैयार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक-एनएफएसबी के मसौदे को मंजूरी दी है। सरकार का दावा है इसे अब कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। विधेयक का यह ड्राफ्ट सभी को खाद्य सुरक्षा देने के विचार का पूरा मखौल उड़ाता है और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से मिली वर्तमान हकदारियों को भी छीनता है।

गरीबी रेखा की असफलता के तमाम प्रमाणों के बावजूद इस ड्राफ्ट में भी गरीबी रेखा से ऊपर और नीचे रखने वालों के बीच स्पष्ट विभाजन जारी है। यह गरीबी रेखा इतनी कम है कि देश में भूख के विस्तार को प्रदर्शित नहीं करती है। इस मामले में लोगों की पहचान और उनके वंचित रह जाने से जुड़ी समस्याएं जगजाहिर हैं।

रोजी-रोटी अधिकार अभियान पीडीएस को खत्म करने और इसके स्थान पर कैश ट्रांसफर का कड़ा विरोध करता है...
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किसानों और खाद्य सुरक्षा पर कैश ट्रांसफर का असर-हमारा मानना है कि राशन के स्थान पर पैसा बांटने से न केवल परिवारों की खाद्य सुरक्षा प्रभावित होगी बल्कि खाद्यान्न के उत्पादन,खरीद और संग्रह की व्यवस्था पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा। चूंकि राशन की दुकानें नहीं चलानी पड़ेगी इसलिए सरकार अनाज की बड़े पैमाने पर खरीद नहीं करेगी। इससे किसान सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पाएगा जो फिलहाल अनाज पैदा करने के पीछे सबसे बड़ा प्रोत्साहन है। अपने अनाज की बिक्री के लिए किसान बाजार के हवाले कर दिए जाएंगे जहां उन्हें बहुत कम भाव पर भी उपज बेचनी पड़ सकती है। ऐसे में एफसीआई को भी अब जितने गोदामों की जरूरत नहीं होगी और धीरे-धीरे यह भी एक महत्वहीन व्यवस्था बनकर रह जाएगी। यह राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा के अंत की ओर जाने वाला रास्ता है।

रोजी-रोटी अधिकार अभियान आगाह करता है कि देश में संगठित रिटेल के प्रवेश का रास्ता तैयार करने के लिए जानबूझकर पीडीएस व्यवस्था खत्म की जा रही है। खाद्यन्न की उपलब्धता सुनिष्चित किए बगैर जनता को बाजार के हवाले कर देना खाद्य असुरक्षा को बढाने वाला कदम साबित होगा। खाद्यान्न के बदले कैश देने को हम रिटेल कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश-एफडीआई की सीमा बढ़ाने के आपकी सरकार के फैसले से जोडकर देखते हैं। कोई षक नहीं है कि पूरी तरह बाजार पर आधारित वितरण प्रणाली ज्यादा खतरनाक साबित होगी।

बच्चों,महिलाओं और वंचित समूहों से संबंधित अन्य सभी प्रावधानों के मामले में भी प्रस्तावित विधेयक अत्यंत निराशाजनक है। छह महीने तक 1,000रुपये महीना मातृत्व अनुग्रह के तौर पर देना, एनएसी का एक जरूरी सुझाव था, जिसे छोड़ दिया गया है। कुपोषित बच्चों, स्कूल से वंचित बच्चों, प्रवासी मजदूरों, भुखमरी से होने वाली मौतों, बेसहारा लोगों का पेट भरने और सामुदायिक रसोई से जुड़े महत्वपूर्ण प्रावधानों को हटा दिया गया है या फिर कमजोर कर दिया गया है। ऐसा लगाता है कि यह ड्राफ्ट पके हुए भोजन की जगह पहले से बने खाने की शुरुआत का अवसर दे रहा है तभी तो पके हुए भोजन को पके हुए पोषक और तुरंत खाने योग्य भोजन के तौर पर परिभाषित किया गया है। इस प्रकार ठेकेदारों और कंपनियों के लिए रास्ता तैयार हो रहा है।

वास्तव में,यह पूरा विधेयक व्यय सीमित करने, जिम्मेदारी को नकारने और मौजूदा वितरण प्रणाली को तबाह करने के असली सरकारी उद्ेश्यों का खुलासा करता है। धन की कमी एक बहाना बनाकर सरकार एक व्यापक कानून लाने में आनाकानी नहीं कर सकती खासकर जबकि सरकार हर साल 5 लाख करोड रूपये का टैक्स विभिन्न प्रकार कर कर छूट के जरिए उद्योग जगत और व्यक्तिगत करदाताओं पर छोड रही है। हैरानी की बात है कि इस राषि का पंचावा हिस्सा भी सरकार देष की खाद्य सुरक्षा सुनिष्चित करने के लिए खर्च करने को तैयार नहीं है।
सरकार की ओर से कृषि की उपेक्षा ने कृषि संकट को जन्म दिया है और लाखों लाचार किसान आत्महत्या कर रहे हैं। आज 650 लाख टन से ज्यादा अनाज देष भर के एफसीआई गोदामों में रखा है या फिर गोदामों की कमी के चलते खुले में सड रहा रहा है। ऐसी स्थिति में सरकार सभी को सस्ता राषन नहीं देने के लिए अनाज की कमी का तर्क नहीं दे सकती है।

पीडीएस वितरण को छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, उड़ीसा आदि राज्यों के सफल प्रयोग के आधार पर पूरे देष में मजबूत किया जाना चाहिए।

रोजी-रोटी अधिकार अभियान सरकार के ड्राफ्ट खाद्य सुरक्षा विधेयक को अस्वीकार करने के लिए देषव्यापी आंदोलन का आवाहन करता है एवं मांग करता है कि एक व्यापक खाद्य सुरक्षा कानून बने जिसमे उत्पादन से लेकर वितरण तक जनहित के पहलुओं को ध्यान में रखा जाए।

नई दिल्ली, 2 अगस्त




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