इंटरनेट पर अभिव्यक्ति की नई परिभाषा गढ़ रहे ब्लॉग जगत में लोगों को अपार संभावनाएं दिखायी दे रही हैं। ब्लॉगरों के मुताबिक यदि पिछला ब्लॉग के उत्थान का रहा है तो अगले दस साल ब्लॉग में बदलाव के होंगे...
प्रेमा नेगी
विश्व में बोली जाने वाली अनेक भाषाओं में इंटरनेट के माध्यम से अभिव्यक्ति की बात की जाये तो एक ही शब्द जेहन में आता है और वह है ब्लॉग। इस शब्द को 1999 में पीटर मरहेल्ज नाम के शख्स ने ईजाद किया था। सबसे पहले जोर्न बर्जर ने 17 दिसंबर 1997 में वेबलॉग शब्द का इस्तेमाल किया था। इसी को पीटर मरहेल्ज ने मजाक-मजाक में मई 1999 को अपने ब्लॉग पीटरमी डॉट कॉम की साइड बार में ‘वी ब्लॉग’ कर दिया। बाद में ‘वी’ को भी हटा दिया और 1999 में ‘ब्लॉग’ शब्द आया।
इस तरह देखें तो वर्ष 1999 में इस शुरूआत के 10 साल यानी एक दशक और अब बारह साल हो चुके हैं । आज की तारीख में अगर इंटरनेट की बात करें और ब्लॉगिंग का जिक्र न करें तो बात अधूरी सी लगती है। ब्लॉग का मतलब इंटरनेट पर डायरी की तरह व्यक्तिगत वेबसाइटें। हालांकि हिन्दी जगत में इसे ‘चिट्ठा’ नाम से जाना जाने लगा है।
आज का आधुनिक ब्लॉग ऑनलाइन डायरी का ही एक विकसित रूप है, जहां पर लोग अपने विचारों को अभिव्यक्त करते हैं। जस्टिन हॉल ने सन 1994 में स्वार्थमोर कॉलेज में अपने छात्र जीवन के दौरान व्यक्तिगत ब्लॉगिंग की शुरूआत की थी, उन्हें जेरी पोर्नेल्ले की ही तरह आरंभिक ब्लॉगर्स में से माना गया है। डेव वाइनर को भी आरंभिक और लंबे समय तक वेबलॉग चलाने वाला शख्स माना गया है।
वर्ष 1999 जिसे ब्लॉग के शुरु होने का साल माना जाता है, कई मायनों में ब्लॉग जगत के लिए महत्वपूर्ण है। इसी वर्ष सैन फ्रांसिस्को की पियारा लैब्स ने ‘वी ब्लॉग’ से आगे बढ़कर एक से अधिक लोगों को लिखने के लिए सुविधा देनी शुरू की। लोगों को एक सार्वजनिक मंच मिला। जब ‘ब्लॉग’ पर लिखने वाले लोगों की संख्या बढ़ने लगी तो मार्च 1999 में ब्रैड फिजपेट्रिक ने ‘लाइव जर्नल’ की शुरुआत की, जो ब्लॉग का उपयोग करने वालों को ‘होस्टिंग’ की सुविधा देती थी।
इस समयावधि के दौरान ब्लॉग ने लगभग पूरे विश्व के खास से लेकर आम आदमी तक को प्रभावित किया। वर्ष 2003 में जब ब्लॉग चार साल का हुआ तो दो बड़ी घटनाओं ने ब्लॉगिंग को व्यापक विस्तार देने का काम किया। इस बारे में ‘विस्फोट डॉट कॉम’ ने लिखा-‘वर्ष 2003 में ओपन सोर्स ब्लॉगिंग प्लेटफार्म वर्डप्रेस का जन्म हुआ और पियारा लैब्स के ब्लॉगर को गूगल ने खरीद लिया। पियारा लैब्स के ब्लॉगर को खरीदने के बाद ब्लॉगस्पॉट को गूगल ने अपनी सेवाओं का हिस्सा बना लिया। गूगल ने उन सभी भाषाओं को ब्लॉगिंग की सुविधा दी जिसमें वह खोज सेवाएं प्रदान करता है। वर्डप्रेस ने भी ब्लॉगस्पॉट को कड़ी टक्कर दी जो कि ब्लॉगिंग का सबसे बड़ा प्लेटफार्म बन गया।’
आज ब्लॉग से दुनियाभर के लोग लगातार बड़ी संख्या में जुड़ते जा रहे हैं। ‘टेक्नारॉटी’ ने वर्ष 2008 में अपने आंकड़े जारी किये जिसमें बताया गया कि पूरी दुनिया में ब्लॉगरों की संख्या 13.3 करोड़ तक पहुंच चुकी है। उसी आंकड़े के मुताबिक भारत में लगभग 32 लाख लोग ब्लॉगिंग करते हैं और इस संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है।
जहां तक हिन्दी ब्लॉग की बात है इसकी शुरूआत लगभग आठ-नौ साल पहले हुई थी। हिन्दी के ब्लॉग की शुरू करना कोई आसान काम नहीं था। शुरूआती दौर के हिन्दी ब्लॉगर रवि रतलामी के मुताबिक ‘उन दिनों दो सवाल खूब पूछे जाते थे। पहला तो ये कि कम्प्यूटर पर हिन्दी नहीं दिखती, क्या करें? और दूसरा ये कि हिन्दी दिखती तो है मगर हिन्दी में लिखे कैंसे?’ मगर अब ये सवाल कोई मायने नहीं रखते। यूनीफोंट आने के बाद कोई भी हिन्दी जानने वाला हिन्दी ब्लॉग लिख सकता है।
मौजूदा समय में हिन्दी में भी ब्लॉगों की संख्या अच्छी-खासी है। इसका श्रेय वर्डप्रेस और जुमला नामक मुफ्त सॉफ्टवेयर को जाता है जिसके चलते बहुत सारे ब्लॉगरों ने अपनी-अपनी वेबसाइटें तैयार की हैं।
जहां तक ब्लॉगों में प्रकाशित सामग्री की बात की जाये तो इसका दायरा बहुत बड़ा है। हल्के-फुल्के व्यंग्य से लेकर गंभीर साहित्यिक लेखन तो होता ही है साथ ही इसके माध्यम से कई सामाजिक आंदोलनों को गति देने का काम किया जाता है। यही नहीं कई लोग इसका इस्तेमाल धर्म और आस्था के लिए भी करते हैं। सिनेमा, खेल, समाज, राजनीति जैसे तमाम विषयों पर लोग खुलकर अपनी बात इसके माध्यम से रखते हैं। यही नहीं कई विषयों पर बहसें भी छिड़ती रहती हैं। बॉलीवुड अभिनेताओं के बीच छिड़े ब्लॉग युद्ध को इसकी बानगी के तौर पर देखा जा सकता है। ब्लॉग के जरिये अमिताभ बच्चन से लेकर आमिर खान समेत कई अन्य अभिनेता-अभिनेत्रियां अपने प्रशंसकों तक अपनी बात पहुंचाते हैं तो अपने प्रतिद्धंद्धी पर छींटाकशी करने से भी नहीं चूकते।
चिट्ठाविश्व नाम से पहला हिन्दी ब्लॉग एग्रीगेटर पुणे के सॉफ्टवेयर इंजीनियर देवाशीष चक्रवर्ती ने बनाया था। शुरूआत में हिन्दी के महज पांच-छह ब्लॉग थे, तब ब्लॉगर एक-दूसरों के ब्लॉगों पर जाकर ताजा सामग्री पढ़ लिया करते थे। मगर जब इनकी संख्या बढ़ती गयी तो चिट्ठाविश्व की सेवा नाकाफी साबित होने लगी, क्योंकि वह तकनीकी तौर पर लगातार बढ़ रहे ब्लॉगों के लिए तैयार नहीं थी। ऐसे में आपसी सहयोग से देश-विदेश में बसे ब्लॉगरों ने हिन्दी के नाम पर चंदा करके एक हजार डॉलर से भी ज्यादा की रकम जुटायी और इस धनराशी से जो एग्रीगेटर बना वो नारद नाम से बेहद लोकप्रिय हो चुका है। वैसे अब चिट्ठाजगत और ब्लॉगवाणी के साथ-साथ कई एग्रीगेटर सक्रिय हैं।
लगातार बढ़ रहे ब्लॉगों के चलते एग्रीगेटरों के संचालन का खर्च भी बढ़ा है। आज एग्रीगेटरों का व्यावसाय अच्छा-खासा बढ़ चुका है। चिट्ठाजगत की लगातार लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। आज ब्लॉगर अपने चिट्ठों को लोकप्रिय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। इसके लिए परंपरागत लेखन के अलावा इंक ब्लॉगिंग, ऑडियो ब्लॉगिंग और वीडियो ब्लॉगिंग को भी शामिल कर लिया गया है। व्यावसायिकता की दृष्टि से देखें तो जहां पहले सिर्फ अंग्रेजी के ब्लॉगर अच्छी-खासी कमाई कर रहे थे वहीं अब हिंदी चिट्ठा लेखन से भी पर्याप्त कमाई हो रही है। ब्लॉगरों की कमाई का मुख्य श्रोत विज्ञापन और प्रायोजित लेखन है। व्यावसायिकता एक अलग पहलू है, मगर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि ब्लॉग सोशल नेटवर्किंग का एक ऐसा मंच है जिससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता निश्चित रूप से मिली है।
इंटरनेट पर अभिव्यक्ति की नई परिभाषा गढ़ रहे ब्लॉग जगत में लोगों को अपार संभावनाएं दिखायी दे रही हैं। ब्लॉगरों के मुताबिक यदि पिछला ब्लॉग के उत्थान का रहा है तो अगले दस साल ब्लॉग में बदलाव के होंगे।
ब्लॉग महत्वपूर्ण प्रतिभाओं को सामने लाया है. इसने पत्रिकाओं के एकाधिपत्य को तोडा है और आम जन को आवाज़ दी है. यह बाज़ार के आवाज़ पर नियंत्रण के खिलाफ जन्मा है.
ReplyDeleterealy a very-very inportant article about blogs.thanks janjwar and prema.
ReplyDeleteNeha Sharma