Jun 27, 2011

छात्र नेता संदीप सिंह को एनएसयूआई के गुंडों ने लातों—जूतों से सरेआम पीटा

जनज्वार. झारखंड की राजधानी रांची में 23 जून को लोकपाल बिल के मौजूदा मसौदे को कारगर बताने पहुंचे मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को विरोध का सामना करना पड़ा था। विरोध कर रहे संगठन ‘आइसा’ से जुड़े छात्र मांग कर रहे थे कि लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री के भ्रश्टाचार की जांच को शामिल किया जाये। लेकिन मंत्री साहब के सामने किया गया आइसा का यह विरोध कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई को पच नहीं सका और उससे जुड़े छात्रों ने विरोध कर रहे छात्रों को दौड़ा-दौड़ा कर बुरी तरह पीटा। मारपीट में आइसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप सिंह समेत कई छात्रों को चोट आयी है।

 गौरतलब है कि लोकपाल बिल के मौजूदा मसौदे को लेकर अन्ना हजारे की टीम और सरकारी प्रतिनिधियों के बीच उभरे मतभेद के बाद कांग्रेस ने तय किया है कि उसके नेता और मंत्री जनता में अपने अच्छे और सच्चे लोकपाल के बारे में जनता को जानकारी देंगे। उसी अभियान के तहत रांची के अशोक होटल में मीडिया को संबोधित करने सिब्बल पहुंचे थे, जहां कांग्रेस के राजनीतिक भविश्य एनएसयूआइ ने नागरिक समाज द्वारा तैयार लोकपाल को लागू करने की मांग पर लातों-घूसों से अपना पक्ष रखा।

एनएसयूआइ की गुंडई का यह ‘अहिंसात्मक’ प्रदर्शन  संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कुमार राजा और महासचिव शाहनवाज के नेतृत्व में रांची के अशोक होटल के सामने हुआ। एनएसयूआइ के लोग संदीप सिंह के इस बात से खफा थे कि उन्होंने पत्रकार के बतौर कपिल सिब्बल से सवाल पूछ दिया था और मंत्री जी असहज हो गये थे। संदीप सिंह के मुताबिक ‘वह आइसा के राश्ट्रीय अध्यक्ष के साथ समकालीन जनमत नाम की पत्रिका के नियमित लेखक है। इसी हैसियत से उन्होंने जानना चाहा कि ‘सरकार प्रतिदिन टैक्सों में कॉरपोरेट समूहों को 240 करोड़ की छूट क्यों देती है।’

उनके इस सवाल का कपिल सिब्बल जवाब देते उससे पहले ही एनएसयूआइ से जुड़े पांच-छह लोगों ने संदीप को धक्का देना और फिर पहचान पत्र मांगना शुरू कर दिया। पहचान पत्र नहीं दिखा पाने की स्थिति में उनलोगों ने संदीप को धक्का मारकर बाहर कर दिया। पहचान के बावत संदीप ने बताया कि ‘समकालीन जनमत पंजीकृत पत्रिका नहीं है, इसलिए पहचान पत्र जारी नहीं करती।’

कांफ्रेंस हाल से बाहर कर दिये जाने के बाद संदीप अपने साथियों के साथ मिलकर कपिल सिब्बल और कांग्रेस की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ नारेबाजी करने लगे, जिसका जवाब कांग्रेस के छात्र संगठन ने ‘अहिंसात्मक’ लातों-घूसों से दिया। हालांकि हमलावरों और प्रदर्शनकारियों की संख्या बराबर थी, लेकिन प्रदर्शनकारी टकहराहट में नहीं गये और उन्होंने बचाव करना ही लोकतंत्र के लिए जरूरी समझा।

पहले पत्रकार और फिर छात्र संगठन के नेता के रूप में संदीप ने दोहरी भूमिका क्यों निभायी के बारे में उनकी सफाई है, ‘अगर चिदंबरम्-सिब्बल-अभिषेक  मनु कांग्रेस के नेता और पूंजीपति समूहों के वकील हो सकते हैं तो मैं छात्र नेता और पत्रकार क्यों नहीं हो सकता।’

बहरहाल, आइसा के  अध्यक्ष संदीप सिंह ने कुमार राजा और अन्य के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करा दी है, लेकिन अबतक किसी आरोपी की गिरफ्तारी रांची पुलिस नहीं कर सकी है। सीपीआइएमल की राज्य समिति ने भी बयान जारी कर घटना की भर्त्सना की है और दोषियों की गिरफ्तारी मांग की है। पत्रकार संगठन जेयूसीएस की ओर से जारी विज्ञप्ती में इसे पत्रकार बिरादरी पर हमला बताया गया।

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