लखनउ के झूलेलाल पार्क में 3 मई को जन संघर्ष मोर्चा की ओर से आयोजित आज रैली में किसान नेताओं ने उत्तर प्रदेश की जनता से अपील किया कि मायावती तथा कांग्रेस के झांसे में न आयें। उनके खेल को बेनकाब करें और 1894 के काले कानून को रद्द कराने की मुहिम में शामिल हों । जन संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने रैली को सम्बोधित करते हुए कहा कि ‘कांग्रेस- भाजपा, सपा-बसपा की कॉरपोरेटपरस्त राजनीति के खिलाफ कम्युनिस्ट धारा, किसान आंदोलन, मुस्लिम संगठन और सामाजिक न्याय, नागरिक आंदोलन की तमाम ताकतें जनवादी राजनीतिक विकल्प के लिए एक मंच पर आयी। हमें उम्मीद है कि यह रैली में प्रदेश में जनपक्षधर राजनीतिक विकल्प की जरूरत को पूरा करने का केन्द्र बनेगी।
रैली की अध्यक्षता करते हुए वेलफेयर पार्टी आफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इलियास आजमी ने कहा कि कांग्रेस, सपा, बसपा एक दूसरे की विकल्प नहीं, बल्कि पूरक हैं। भाजपा का तो मात्र एक ही काम है, हमारे देश की गंगा-जमुनी तहजीब को बिगाड़ना और दंगा-फसाद की जमीन पर खड़े होकर राजनीति करना है। इसलिए इन दलों से अलग राजनीतिक विकल्प वक्त की जरूरत है। राष्ट्रवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मंत्री कौशल किशोर ने कहा कि प्रदेश में बन रहा यह नया राजनीतिक विकल्प विकास और लोकतंत्र की गारंटी देगा।
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष ऋषिपाल अम्बावता के मुताबिक 1894 के भूमि अधिग्रहण कानून को रद्द किया जाए और ’जनहित’ की ठोस व्याख्या की जाए, ताकि उसके नाम पर उपजाऊ, कृषि भूमि के गैर कृषि कार्यों के लिए हस्तानांतरण पर रोक लग सके। इसके लिए नयी राष्ट्रीय भूमि उपयोग नीति की घोषणा की जाए। इन सवालों पर तमाम किसान संगठनों के साथ मिलकर मानसून सत्र में संसद मार्च करने का उन्होंने ऐलान किया।
लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघु ठाकुर ने कहा कि देश का विकास तभी हो सकता है जब कृषि के विकास को केन्द्र में लाया जाए। उन्होंने उत्तर प्रदेश में विकल्प के लिए जारी इस मुहिम में पूरे तौर पर साथ रहने की बात कही।
भ्रष्टाचार विरोधी राष्ट्रव्यापी आंदोलन के साथ जोरदार एकजुटता व्यक्त करते हुए रैली में लिए गए राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया कि आय से अधिक सम्पत्ति के मामलों में मुलायम सिंह तथा मायावती को बचाने के लिए जिस तरह मनमोहन सरकार सीबीआई का दुरूपयोग कर रही है, यह रैली उसकी कड़ी निन्दा करती है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सीबीआई द्वारा इस मामले में बार-बार बयान बदलने पर हैरानी जाहिर कर कठोर टिप्पणियां कीं। यह अनायास नहीं है कि हर नाजुक मौके पर मुलायम और मायावती केन्द्र सरकार के बचाव में खडे नजर आते है।
इसमें लिए गये राजनीतिक प्रस्ताव में प्रदेश में लोकतांत्रिक अधिकारों पर हो रहे हमले पर गहरी चिन्ता व्यक्त की गयी। भट्टा पारसोल के किसानों से लेकर गोरखपुर में आंदोलनरत मजदूरों समेत जनता के सभी तबकों के न्यायपूर्ण संघर्षों पर बर्बर दमन ढाया जा रहा है। मायावती सरकार ने पूरे प्रदेश में धारा 144 लगा रखी है, हिटलरी फरमान जारी करके धरना, प्रदर्शन, आमसभा, रैली जैसी लोकतांत्रिक कारवाइयों के लिए भी सरकार द्वारा बॉन्ड भरवाया जा रहा है। आंदोलन के नेताओं के सर पर अपराधियों की तरह इनाम घोषित किया जा रहा है। आसमान छूती महंगाई, विशेषकर पेट्रोलियम पदार्थों के दाम में अंधाधंुध बढ़ोत्तरी के लिए मनमोहन सरकार की कड़ी आलोचना की गयी।
रैली में प्रदेश में अति पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों-वनवासियों के सामाजिक न्याय के अधिकार की गारंटी के लिए सरकार से मांग की गयी कि अति पिछड़े हिन्दुओं और पिछड़े मुसलमानों के आरक्षण कोटे को अलग किया जाए। दलित अल्पसंख्यकों को अनुसूचित जाति में शामिल किया जाए। कोल, मुसहर, राजभर जातियों को आदिवासी का दर्जा दिया जाए और गोड़, खरवार जैसी आदिवासी का दर्जा पायी जातियों के लिए चुनाव में सीट आरक्षित की जाए।
पर्यावरण कानूनों का खुला उल्लंधन कर प्रदेश के मिर्जापुर-सोनभद्र, इलाहाबाद, बुदेलखण्ड अंचल में किए जा रहे अवैध खनन और प्राकृतिक संसाधनों की लूट, जिसमें मायावती जी के नजदीकी सिपहसालार शामिल है, पर भी गहरी चिन्ता व्यक्त की गयी। सोनभद्र में अनेक मासूम बच्चों की जहरीला पानी पीकर मौत हुयी है। यह पूरा क्षेत्र डार्क जोन में आता है, बावजूद इसके चुनार से लेकर सोनभद्र तक जेपी समूह ने बिजली बनाने के लिए जमीन से पानी निकालकर जल संकट को और भी बढ़ा दिया है। गोरखपुर अंचल में हर साल हजारों लोग मस्तिष्क ज्वर और ऐसी ही अन्य बीमारियों से मर रहे हैं, लेकिन सरकार लोगों की जिदंगी बचा पाने में विफल है। रैली में मांग की गयी कि प्राकृतिक संसाधनों की लूट पर रोक लगाई जाये।
पर्यावरण कानूनों का खुला उल्लंधन कर प्रदेश के मिर्जापुर-सोनभद्र, इलाहाबाद, बुदेलखण्ड अंचल में किए जा रहे अवैध खनन और प्राकृतिक संसाधनों की लूट, जिसमें मायावती जी के नजदीकी सिपहसालार शामिल है, पर भी गहरी चिन्ता व्यक्त की गयी। सोनभद्र में अनेक मासूम बच्चों की जहरीला पानी पीकर मौत हुयी है। यह पूरा क्षेत्र डार्क जोन में आता है, बावजूद इसके चुनार से लेकर सोनभद्र तक जेपी समूह ने बिजली बनाने के लिए जमीन से पानी निकालकर जल संकट को और भी बढ़ा दिया है। गोरखपुर अंचल में हर साल हजारों लोग मस्तिष्क ज्वर और ऐसी ही अन्य बीमारियों से मर रहे हैं, लेकिन सरकार लोगों की जिदंगी बचा पाने में विफल है। रैली में मांग की गयी कि प्राकृतिक संसाधनों की लूट पर रोक लगाई जाये।
इस रैली को जन संघर्ष मोर्चा के महाराष्ट्र प्रभारी ललित रूनवाल, किसान मंच के उपाध्यक्ष हृदय नारायण शुक्ल, समाजवादी जनता पार्टी के प्रदेश्ज्ञ अध्यक्ष प्रताप नारायण सिंह, इंकलाब पार्टी आफ इंडिया के मोहम्मद इकबाल, मुस्लिम मजलिस के युसुफ हबीब, पूर्व सांसद अखिलेश सिंह, जसमो प्रदेश प्रवक्ता अनिल सिंह, पूर्व आई. जी. एस आर दारापुरी, नागरिक आंदोलन के शोएब, पीडीएफ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अफजाल, सोशलिस्ट पार्टी (लोहिया) के रामसहारे, आदिवासी वनवासी महासभा के गुलाब चंद गोड, लाल बहादुर सिंह, पारख महासंघ के उपाध्यक्ष उपेन्द्र सिंह रावत, तिलकधारी बिन्द ने सम्बोधित किया और संचालन जसमों केन्द्रीय प्रवक्ता दिनकर कपूर ने किया।
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