May 30, 2011

सिटी मजिस्ट्रेट के नौकर की हत्या या आत्महत्या


सिटी मजिस्ट्रेट के यहां उसे मात्र 2500 रुपये महीना मिलता था और वह काफी दिनों से वह उनके यहां से काम छोडऩा चाहता था। मगर मेम साहब (सिटी मजिस्ट्रेट की बीवी) ऐसा करने पर उसे चोरी के इल्जाम में जेल भेजने की धमकी देती थीं...

रजनीश पाण्डेय

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के सिटी मजिस्ट्रेट मनोज कुमार सिंह के घरेलू नौकर मिंटू ने कम तनख्वाह और अमानवीय व्यवहार से तंग हो 25 मई को सल्फास की गोली खाकर आत्महत्या कर ली थी.मिंटू ने मजिस्ट्रेट के घर काम के दौरान होने वाले अमानवीय  व्यवहारों   और बंधुआ मजदूर की तरह काम लेने के कारण आत्महत्या की है.  ये बातें मीडिया से जिला अस्पताल में इलाज के दौरान अंतिम सांसे गिनते हुए मिंटू खुद कहीं थीं.

शहर के सामाजिक और मानवाधिकार संगठन भी इसे उत्पीडन से तंग आकर की गयी आत्महत्या मान रहे हैं और इस मामले में जाँच की मांग कर रहे हैं.लेकिन मजिस्ट्रेट साहब इस मामले को नौकर की गरीबी और जाति का फायदा उठाकर दबा देने के तिकड़म में लगे हैं और वे इसे प्रेम प्रसंग की निराशा में की गयी, आत्महत्या का मामला बनाने पर तुले हैं. मानवाधिकार कार्यकर्त्ता और बरेली कॉलेज के  शिक्षक जावेद ने कहा कि,'इस मामले में अगर रसूखदारी चली तो मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल इसके खिलाफ व्यापक मुहीम चलाएगा.'

गौरतलब है कि मिंटू बिजनौर के गांव डटिया का रहने वाला था और सिटी मजिस्ट्रेट मनोज कुमार सिंह की ससुराल भी इसी गावं में है. मनोज कुमार की जाति राजपूत हैं और मिंटू की गुर्जर. मनोज की जाति और परिवार दोनों ही डटिया में  ताकतवर हैं और मिंटू की का यह दोनों पक्ष कमजोर है, जिसका फायदा उठाने की लगातार कोशिश में मनोज कुमार हैं. इसी का असर है कि मिंटू का कोई भी परिजन इस मामले में मीडिया से मुखातिब होने को तैयार नहीं है.
 


जाहिर है ससुराली जान- पहचान की वजह से मिंटू ,मजिस्ट्रेट के यहां चार साल पहले काम पर लगा और वह जजी (जज)कालोनी में सिटी मजिस्ट्रेट के घर के आउट हाउस में रहने लगा. 25 मई की सुबह  सवा नौ बजे उसने सल्फास की गोलियां खा लीं तो  हालत बिगडऩे पर सिटी मजिस्ट्रेट के अर्दली महेंद्र ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया। वहां इलाज से मिंटू की हालत में कोई सुधार नहीं दिखने पर उसे रूहेलखंड मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। दोपहर में करीब एक बजे  जिला अस्पताल में भर्ती कराए जाने के कुछ देर बाद तक मिंटू होश में था।

इस दौरान उसने मीडिया को बताया कि 'सिटी मजिस्ट्रेट के यहां उसे मात्र 2500 रुपये महीना मिलता था और वह काफी दिनों से वह उनके यहां से काम छोडऩा चाहता था। मगर मेम साहब (सिटी मजिस्ट्रेट की बीवी) ऐसा करने पर उसे चोरी के इल्जाम में जेल भेजने की धमकी देती थीं। इन्ही धमकियों से तंग आकर  मैंने  जहर खा लिया।' मिंटू ने आगे कहा कि, '23 मई  को मैंने अपने घर बिजनौर जाने की बात कही और मेमसाहब से कहा हिसाब कर दो। इस बात पर सिटी मजिस्ट्रेट की पत्नी (मेमसाहब) ने मिंटू को चोरी के इल्जाम में जेल भिजवाने की धमकी दी। मंगलवार शाम को उन्होंने छह लाख रुपये की नगदी और गहने चोरी करने का इल्जाम लगा दिया।

डर के मारे वह बिजनौर नहीं गया, मगर पूरी रात उसे नींद नहीं आई। उसे घबराहट और बेचैनी हो रही थी। इसी तनाव के चलते उसने सल्फास खा लिया। मामला सिटी मजिस्ट्रेट से जुड़ा होने की वजह से पूरा प्रशासनिक और पुलिस का अमला सतर्क हो गया है। 25मई की दोपहर बाद मिंटू के बहनोई और बिजनौर में हल्दौर इलाके में सुल्तानपुर गांव के रहने वाले भागेश समेत कई लोग बरेली आ गए। पुलिस प्रशासन ने उन्हें मीडिया से दूर रखा।

मिंटू के बयान की रेकार्डिंग मीडिया के हाथ लगने के कारण प्रशासनिक अमले में खलबली है.  दूसरी तरफ सिटी मजिस्ट्रेट के दबाव के कारण  सुरक्षा में लगे होमगार्ड धर्मेंद्र की ओर से कोतवाली में मिंटू के खिलाफ आत्महत्या की कोशिश करने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। इसमें कहा गया है कि मिंटू पारिवारिक कारणों से काफी तनाव में था, जिस वजह से उसने सल्फास खा लिया।


3 comments:

  1. अनिमेष कुमार सोलंकीTuesday, May 31, 2011

    बहुत अच्छी रिपोर्ट है. लेकिन मीडिया में ऐसी खबरों के लिए ठीक से जगह क्यों नहीं मिल पाती. इस मामले में सिटी मजिस्ट्रेट के खिलाफ मुक़दमा दर्ज क्यों नहीं किया जा रहा.

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  2. ragini ahuja, gurgaonTuesday, May 31, 2011

    this is a clear statement against city magistrate and her wife mem sahab...why police delayeed to logde F.I.R AGAINST BOTH harraser HUSBAND and wife.

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  3. Unbelievable. These privileged classes doesn't consider anybody below them as human."

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