फैज़ के विचारों को समझना है, तो उनकी रचनाओं को समझना एवं पढ़ना जरूरी है। फैज़ इंकलाब के लिए न केवल दूसरों को प्रेरित करते थे,बल्कि वे स्वयं भी दुनिया में इंकलाब के लिए आंदोलनों में बढ़-चढ़ के हिस्सा लेते थे। आज उनकी रचनाएं इंकलाब में हमारे साथ हैं। गहरी हताशा के दौर में भी उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी थी। सही मायने में वे सदी के शायर हैं। ये बातें आज इंकलाबी शायर फैज़ अहमद फैज़ की जन्म सदी पर युवा संवाद द्वारा रोटरी क्लब सभागार में आयोजित जश्न-ए- फैज़ कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. आफाक अहमद ने कही।
कार्यक्रम की शुरुआत में साथी महेंद्र ने फैज़ के नज्मों को आवाज दी। फिर युवा संवाद की राज्य पत्रिका ‘तरकश’ के फैज़ पर विशेषांक का विमोचन किया गया।
’जिक्र-ए- फैज़‘ में समकालीन जनमत पत्रिका के संपादक मंडल सदस्य एवं युवा आलोचक सुधीर सुमन ने कहा किफैज़ की ताकत उनकी रचनाएं हैं,जो इंकलाब के लिए प्रयासरत आवाम की ताकत बन कर आज भी साथ हैं। उनकी रचनाएं इश्क की भाषा में जनविरोधी राज व्यवस्था से जिरह करते हुए इंकलाब की बातें करती हैं। फैज़ की रचनाएं किसी भी तरह के अन्याय का प्रतिकार करते हुए आज भी प्रासंगिक हैं। कार्यक्रम का संचालन करते हुए भोपाल के रीजनल कॉलेज में सहायक प्राध्यापक डॉ.रिजवानुल हक ने कहा कि फैज़ अपने विचारों एवं वसूलों को लेकर सख्त थे और उनकी रचनाएं हमें समाजवाद की ओर प्रेरित करती हैं। फैज़ ने आवाम की भाषा में रचनाएं लिखी और इंकलाब के लिए उन प्रतीकों का इस्तेमाल किया, जिन्हें आवाम आसानी से समझ सकती हैं।
अंतिम कड़ी में साथी महेंद्र,उस्ताद जमीर हुसैन खां एवं अलका निगम ने फैज़ की रचनाओं की प्रस्तुति की। सभागार में भोपाल के युवा चित्रकार हैरी द्वारा फैज़ की रचनाओं पर आधारित पोस्टरों का प्रदर्शन किया गया। इस अवसर युवा संवाद के सभी कार्यकताओं सहित शहर के वरिष्ठ साहित्यकार,पत्रकार,समाजसेवी,संस्कृतिकर्मी एवं विभिन्न कॉलेजों के विधार्थी बड़ी संख्या में शामिल हुए।
(युवा संवाद की प्रेस विज्ञप्ति)
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