वो लडकी रो रही थी कि सर मैं तो रोज़ अपने स्कूल में पढ़ाती हूँ,वहाँ मेरी हाजिरी लगी हुयी है,मैं जेल में अपने पति से मिलने भी जाती हूँ और जेल के रजिस्टर में दस्तखत भी करती हूँ .लेकिन फिर भी मुझे फरार घोषित कर दिया है...
हिमांशु कुमार
पिछले दिनों मैंने दंतेवाडा जिले की एक आदिवासी लडकी सोनी सोरी के मुश्किल हालात पर एक लेख लिखा था. जिसमें उसके भांजे लिंगा कोडोपी को दिल्ली से वापिस बुला कर पुलिस के हाथों में सौंप देने के लिए वहां का एस एस पी कल्लूरी इस लडकी से सौदेबाजी कर रहा है.पहले तो उसने धमकी दी कि अगर इस लडकी सोनी सोरी ने अपने भांजे लिंगा कोडोपी को दिल्ली से लाकर पुलिस को नहीं सौंपा तो पुलिस इस लडकी की ज़िंदगी बर्बाद कर देगी.
इसके बाद कल्लूरी नें अपनी धमकी पर अमल करते हुए करते हुए इस लडकी के पति को जेल में डाल दिया तथा इनकी जीप को ज़प्त कर लिया और इस लडकी को भी नक्सलियों के साथ मिल कर थाने पर और एक कांग्रेसी नेता के घर पर हमला करने के दो मामलों में फंसा दिया और इसके खिलाफ वारंट जारी कर दिया. इसके बाद इस लडकी ने मुझसे मदद करने की गुहार की.लेकिन आखिर इस देश में दंतेवाडा के एसएसपी कल्लूरी से ऊपर तो कोई है नहीं. इसलिए मैं इस लडकी की कोई मदद नहीं नहीं कर पाया.
एसआरपी कल्लूरी : कानून से ऊपर |
मैं मीडिया,एक्टिविस्टों और नेताओं से इस लडकी की मदद के लिए मिला,लेकिन मदद के नाम पर सबने हाथ खड़े कर दिए.अंत में मैंने इस उम्मीद में एक लेख लिखा की शायद इस लडकी की ज़िंदगी को बर्बाद होने से कोई तो बचाएगा. मुझे उम्मीद थी कि आखिर इस विशाल और महान देश में कोई न कोई तो उसकी मदद करेगा.
अभी बिनायक सेन को उम्रकैद की सज़ा मिलने के बाद टेलीवीज़न पर ऐसे बहुत से बहादुर लोग बोलते हुए दीखते हैं जो अदालत,सरकार,और लोकतंत्र की तारीफ़ में बड़ी बड़ी बातें कर रहे हैं .और सफलतापूर्वक ये सिद्ध कर रहे हैं कि हम जैसे लोगों को न्याय व्यवस्था पर कोई सवाल नहीं उठाना चाहिए क्योंकि उससे देश कमज़ोर होता है. तो देश की मजबूती की रक्षा की खातिर मैंने सब बातों को स्वीकार कर लिया और उनकी बातें सुन कर मुझे भी खुद के विचारों पर शक और इस देश की व्यवस्था पर विश्वास सा होने लगा था .
लेकिन फिर आये एक फोन ने मेरे सारे विश्वास को डगमगा दिया.दंतेवाड़ा से फिर उसी आदिवासी लडकी ने मुझे बताया कि सर,दंतेवाडा के एसएसपी कल्लूरी नें फिर दो नयी नक्सली वारदातों में उसका नाम जोड़ दिया है और अदालत में उसके खिलाफ चालान भी पेश कर दिया है.वो लडकी रो रही थी कि सर मैं तो रोज़ अपने स्कूल में पढ़ाती हूँ,वहाँ मेरी हाजिरी लगी हुयी है,मैं जेल में अपने पति से मिलने भी जाती हूँ और जेल के रजिस्टर में दस्तखत भी करती हूँ .लेकिन फिर भी एसएसपी कल्लूरी ने मुझे फरार घोषित कर दिया है और मुझे मारने की फिराक में है.फोन के उस तरफ वो लडकी रोती जा रही थी और फोन के इस तरफ मैं गुस्से ,बेबसी, और असमंजस की हालत में उसका रोना सुनता जा रहा था.
लाखों लोग इस देश की आजादी के लिए लड़े थे मेरे पिता भी लड़े थे.क्या यही दिन देखने के लिए उन सारे लोगों ने कुर्बानी दी थी ?क्या भगत सिंह इस तरह के देश के लिए शहीद हुए थे? कम से कम मुझे कोई ये तो बता दे की मुझे क्या करना चाहिए ? आदिवासी होता तो बन्दूक उठा सकता था. पर सबने गांधीवादी कह कह कर मुझे इतना इज्ज़तदार बना दिया है कि अब मैं हर अन्याय पर बस इन्टरनेट पर एक लेख लिखता हूँ और सोच लेता हूँ कि काफी देश सेवा हो गयी. अब तो मीडिया वालों ने मेरे फोन भी उठाने बंद कर दिए हैं.
क्या कोई मेरी बात सुन रहा है? हेल्लो? मीडिया, सरकार, न्याय पालिका? है कोई गरीब जनता,आदिवासियों की बात सुनने वाला ? क्या कोई बचा है ? कम से कम इस लोकतंत्र को बचाने की आखिरी कोशिश तो कर लो , कोई है जो इस बेबस आदिवासी लडकी को बचा सकता है?
दंतेवाडा स्थित वनवासी चेतना आश्रम के प्रमुख और सामाजिक कार्यकर्त्ता हिमांशु कुमार का संघर्ष,बदलाव और सुधार की गुंजाईश चाहने वालों के लिए एक मिसाल है.उनसे vcadantewada@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.
यह लेख जनज्वार के टॉप टेन में सबसे ऊपर और कमेन्ट एक भी नहीं.लगता है इस साईट ने किसी कमेन्टकारी को नौकरी पर नहीं रखा है. भैये एक बात जान लो आजकल साईट वाले एक नौकरी कमेन्टकारी को भी दे रहे हैं. ठीक उसी तर्ज पर जैसे अख़बारों में नौकरी पर फर्जी पत्र लेखक रखें जाते हैं जिन्हें लोग लेटर फॉर एडिटर कहते हैं. मुफ्त में राय है अगर आप दरिद्रतावश कमेन्टकारी नहीं रख सकते तो जनज्वार टीम की तर्ज पर एक नयी टीम इस काम के लिए भी बनायें, अन्यथा मेरा कोई इंटेरेस्ट इन लेखों में नहीं है सिवाय कात्यायिनी प्रकरण के.
ReplyDeleteक्या वाकई हमलोग उस लड़की को नहीं बचा सकते.
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