नीलाभ
(राग अयोध्या, ताल भाजपा)
जजपा जजपा जजपा
ज ज ज ज ज ज ज ज
पा पा पा पा पा पा पा पा
भा भा भा भा भा भा भा भा
भाजपा भाजपा भाजपा पा पा पा
मन्दिर वहीं बना बना बना बन
पा पा पा पा पा पा पा पा पा पा पा पा
भा भा भा भा ज ज ज ज पा पा पा पा
जपा जपा जपा भाजपा भाजपा भाजपा
मुसलमान को मार भगा तू
मस्जिद तोड़ गिरा गिरा गिरा गिरा तू
मन्दिर वहीं बना बना बना बना
अब मन्दिर वहीं बना
भाभाजजपापा पाभाज पाजपा भाभाभा पाजभा जपाभा
पाभाज पाजपा भाभाभा पाजभा जपाभा
अटल प्रेम जतला ला ला ला ला
राम लला को बेच-बेच तू अडवानी गुन गा गा गा गा गा
आ आ आ आ पाभापा पाजपा भाभाभा पाजभा जपाभा
भाभाजजपापा भाजपा भाजपा भाजपा
मन्दिर वहीं बना
मरें भूख से भारतवासी
मरें किसान लगा कर फांसी
सीता माता रहे उदासी
रामशिला को ला ला तू राजनीति चमका, चमका, चमका तू
मन्दिर वहीं बना
भाभाभा जजज पापापा भाजपा भाजपा भाजपा भाजपा
सन्त-महन्त मुटाते जायें, राम नाम को बेचें-खायें
इनकी हाट सजा सजा सजा सजा तू
मन्दिर वहीं बना
भाजपा
भाजपा भाजपा भाजपा
हिन्दू वोट बटोर, खोल कर ताला
रामलला बैठा, बैठा बैठा, बैठा तू
मस्जिद को गिरवा गिरवा गिरवा गिरवा तू
मन्दिर वहीं बना
पा पा पा पा पा पा पा पा पा पा पा पा
भा भा भा भा ज ज ज ज पा पा पा पा
जपा जपा जपा जजपा
मोदी तेरा हनूमान है नितिन गडकरी अंगद
बालठाकरे बना जटायु सुषमा है त्रिजटा
त्रिजटा त्रिजटा त्रिजटा
तू मन्दिर वहीं बना
पा पा पा पा पा पा पा पा पा पा पा पा
भा भा भा भा ज ज ज ज पा पा पा पा
जपा जपा जपा जजपा
देस लूट कर घर को भर ले, पूंजी को मुट्ठी में कर ले
बैठ गोद में अमरीका की, मनमोहन कहला
कहला कहला कहला तू चिदम्बरम को ला ला ला तू
मन्दिर वहीं बना
जपा जपा जपा जजपा
पा पा पा पा पा पा पा पा पा पा पा पा
भा भा भा भा ज ज ज ज पा पा पा पा
चाहे तू भगवा लहराये, या पंजे पर मुहर लगाये
रामराज में सब चलता है रामराज को ला, ला ला ला तू
मन्दिर वहीं बना बना बना बना
जजपा जजपा जजपा
ज ज ज ज ज ज ज ज
पा पा पा पा पा पा पा पा
भा भा भा भा भा भा भा भा
भाजपा भाजपा भाजपा पा पा पा
मन्दिर वहीं बना बना बना बना
(नीलाभ का मोर्चा से साभार)
पता नहीं चला ये कौन -सी नयी विधा है ?
ReplyDeleteप्रसाद जी यह राग है, अयोध्या राग. वैसे नीलाभ ने बहुत ही अच्छा लिखा है. भाजपा के अंतर्विरोंधों को जो उभारा है, वह तो दिल को मोहने वाला है.
ReplyDeletenagarjun, raghuveer sahay prampara kee yah bejod kavita.badhai sirji
ReplyDeleteshaandaar
ReplyDeleteरघुवीर सहाय की 'तोतो तो तो ता ता ता ता तोता...' वाली कविता की घटिया नकल।
ReplyDeleteघटिया नक़ल कहने वाले बंधू, यह कविता बड़ी अच्छी है. अगर यह कविता बैंड पर बजी तो नागार्जुन की मंत्र कविता के टक्कर की बनेगी. मैंने जनज्वार पर ही मंत्र कविता को बैंड पर सुना है, इसलिए कह सकता हूँ.
ReplyDeleteरमेश जी, आप तो ऐसे कह रहे हैं जैसे नागार्जुन की कविता जनज्वार के बैंड पर संगीतबद्ध की गई हो... इलाहाबाद का धर्म निभाना छोड़ कर आंख खोलिए और कविता दोबारा पढि़ए।
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