Sep 29, 2010

'प्रधानमंत्री बाबरी विध्वंस टाल सकते थे'


बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद पीवी नरसिंह राव सरकार से इस्तीफा देने वाले कैबिनेट मंत्री माखनलाल फोतेदार से अजय प्रकाश की बातचीत




बाबरी मस्जिद विध्वंस कांड की जांच कर रहे लिब्रहान आयोग ने कभी आपको गवाह के तौर पर बुलाया ?

सत्रह वर्षों की जांच प्रक्रिया के दौरान आयोग ने अगर एक दफा भी मुझे बुलाया होता तो रिपोर्ट में यह जानकारी सार्वजनिक हुई होती। उन्होंने क्यों नहीं बुलाया यह बताने में मेरी दिलचस्पी नहीं है। मैं इतना भर कह सकता हूं कि अगर कोई बात इस संदर्भ में आयोग ने हमसे की होती तो तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव का जो सुघड़ चेहरा रिपोर्ट पेश होने के बाद देश के सामने उजागर हुआ है,वह सबसे अधिक दागदार होता।

आप मानते हैं कि संघ और भाजपा विध्वंस के लिए जितने जिम्मेदार हैं उससे कत्तई कम दोषी नरसिंह राव नहीं हैं?

मैं तुलनात्क रूप से विध्वंस की जिम्मेदारी नरसिंह राव पर तो नहीं डालता,लेकिन मानता हूं कि राव चाहते तो वो उस धार्मिक उन्माद को टाल सकते थे जिसकी वजह से मस्जिद टूटी और देश एक बार फिर आजादी के बाद दूसरी बार इतने बड़े स्तर पर सांप्रदायिक धड़ों में बंट गया।

नरसिंह राव कैसे टाल सकते थे?

राव से हमने जून में ही कहा था कि जो लोग इस बलवे का माहौल बना रहे हैं,उनसे आप शीघ्र  बात कीजिए। मेरा जाती तजुर्बा है कि ये मसले कोई भी अदालत तय नहीं कर सकती। यह बात चूंकि मैंने कैबिनेट में कही थी इसलिए उन्होंने मान ली। लेकिन दूसरे ही दिन मेरी अनुपस्थिति में कई दौर की बैठकें चलीं और तय हो गया कि छह दिसंबर तक कुछ भी नहीं करेंगे,जब तक अदालत का फैसला नहीं आ जाता।
क्या नरसिंह राव को स्थिति बेकाबू होने का अंदाजा नहीं था?

अंदाजा क्यों नहीं था। मैं नवंबर में उत्तर प्रदेश के दौरे पर गया था। साथ में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी भी थे। पूर्वी और पष्चिमी उत्तर प्रदेके पांच जिलों में जलसे किये। गोरखपुर से लेकर गाजियाबाद तक मुस्लिमों के बीच जो भय का माहौल दिखा वह हैरत में डालने वाला था। हमारे साथी और कांग्रेसी नेता नारायण दत्त तिवारी ने एक चर्चा के दौरान मुझे बताया कि कल्याण सिंह का मेरे घर के बगल में एक घर है। वहां जोर-शोर से रंगाई-पुताई का काम चल रहा है और सभी कह रहे हैं कि जैसे ही 6 दिसंबर को मस्जिद टूटेगी, वे इस्तीफा यहीं बैठकर देंगे। नारायण दत्त ने जोर देकर कहा कि मैं कई बार राव साहब से कह चुका, जरा आप भी उनका ध्यान इन तैयारियों की तरफ दिलाइए। सुनने में ये बातें गप्प लग सकती हैं,लेकिन इस तरह की हर जानकारियों समेत वहां हो रहे हर महत्वपूर्ण घटनाक्रमों की जानकारी राव तक हर समय पहुंचायी।

यानी तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के इस्तीफे की तैयारी पहले से थी?

बिल्कुल। हमने यही बात तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंहराव से भी कही कि कल्याण सिंह इस्तीफा लेकर बैठे हुए हैं ,वह सिर्फ मस्जिद ढहने के इंतजार में हैं। अगर अपने चाल में वे कामयाब होने के बाद इस्तीफा सौंपते  तो सिवाय अफसोस और दंश  झेलने के हमारे मुल्क के पास क्या बचेगा।

कांग्रेस सरकार को इस तैयारी की जानकारी कितने महीने पहले से थी?

बाकी की तो छोड़िए,6दिसंबर को ग्यारह बजे दिन में मेरे पास एक वकील दोस्त का फोन आया कि पहली गुंबद कारसेवकों ने ढहा दी है। उसके ठीक बाद प्रेस ट्रस्ट के विशेष संवाददाता हरिहर स्वरूप का फोन आया कि कारसेवक मस्जिद में घुसने लगे हैं। फिर मैंने तत्काल नरसिंह राव से बात की और कहा कि जो हमने पहले कहा,वह तो हो नहीं पाया लेकिन अब भी समय है कि सरकार को तुरंत बर्खास्त कर हथियारबंद फौंजें तैनात कर दीजिए। अभी सिर्फ एक ही गुंबद टूटा है। हम मस्जिद को बचा ले गये तो भविष्य हमें इस रूप में याद रखेगा कि एक लोकतांत्रिक सरकार ने हर कौम को बचाने की कोशिश की।
शायद आप उस दिन इस सिलसिले में राष्ट्रपति  से भी मिले थे?

जब साफ़ हो गया कि प्रधानमंत्री कान नहीं दे रहे हैं तो तत्कालीन राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा से मैं साढे़ पांच बजे शाम को मिलने गया। मैं उनसे कुछ कहता,उससे पहले ही वे बच्चों की तरह फूट-फूट कर रोने लगे। बातचीत में उन्होंने बताया कि अभी राज्यपाल आये थे लेकिन वे बता रहे थे कि नरसिंह राव ने उन्हें निर्देश दिया है कि वह तब तक बर्खास्तगी रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार को न भेजें जब तक वे नहीं कहते। इसी बीच राष्ट्रपति के पास संदेश आया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया।

बहरहाल शाम छह बजे कैबिनेट की आकस्मिक बैठक में मुझे पता चला कि मस्जिद गिरा दिये जाने के अपराध में कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त किया जा रहा है। तब मैंने कहा कि उसने अपना काम पूरा करके सरकार के मुंह पर इस्तीफा फेंक दिया है।

नरसिंह राव कैबिनेट में और कौन मंत्री थे, जिन्होंने आपका बाबरी मस्जिद मसले पर आपका साथ दिया था?

नाम मैं किसी का नहीं ले सकता। मगर इतना तो था ही जब कभी भी मैंने यह मसला कैबिनेट के बीच या मंत्रियों से आपसी बातचीत में लाया तो किसी ने कभी विरोध नहीं किया।

नरसिंह राव की भूमिका का जो सच इतना बेपर्द रहा है,वह जांच करने वाले कमीशन लिब्रहान को क्यों नहीं सूझा?

मैं सिर्फ इतना कहता हूं कि यह आयोग नरसिंह राव की संदिग्ध भूमिका को झुठला नहीं सकता।

कहा जा रहा है कि कभी कांग्रेस नेतृत्व के साथ बैठने वाले फोतेदार हाशिये पर हैं। इसलिए नरसिंह राव पर आपकी बयानबाजी राजनीतिक लाभ की जुगत भर है?
अगर इस जुगत से समाज के सामने एक सच खुलता है तो हमें कहने वालों की कोई परवाह नहीं है।


6 comments:

  1. द पब्लिक एजेंडा में जब यह इंटरव्यू आया, तो मैंने इसे सबसे पहले पढ़ा, फिर परिवार के सदस्यों को पढ़ाय़ा और दोस्तों से भी चर्चा की कि कैसे नरसिंहराव को क्लीन चिट दी गयी है, इसकी पोल खुल रही है। मुझे तो बहुत ही बढ़िया लगा ये इंटरव्यू। बाकी लोग अपने-अपने तरीके से फोतेदार को कोसेंगे-सराहेंगे। भई दुनिया की रीत ही यही है।

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  2. चलिए , बातचीत अच्‍छी है, कुछ बातें निकाल पाए हैं आप, यूं जानते तो हैं ही हम...

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  3. acha intrview hai.hum log to jante the in baton ko par ab aise log bhi jan payenge jinhe kuch sak suba tha in baton pe.

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  4. फिर हुआ दंगा
    मारा गया इन्सान
    बचे रहें दुनिया में
    हिन्दू सिक्ख इसाई और मुसलमान

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  5. yah accha kam kiya. kam se kam pv narsinghrao ke bahane congress ki pol to khuli.sau chuhe hajam kar billi chali haj ko vali haal congress ki ho rahi hai. doosari baat ki abhi manmohan singh aur p chidamaram ke bare men bhi baat honi chahiye jo kahte rahte hain ki 'shanti banaye rakhni hogi'.

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  6. bahut achha interview aur sabke samne aana bahut jaroori bhi tha.

    riyaprakash84@yahoo.in

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