कात्यायिनी और उनकी पार्टी से जुड़े लोगों ने आलोचना करने वालों को अन्य गालियों के साथ एनजीओ में काम करने की वजह से भी तमाम गालियां दी हैं और कोसा है। क्या यह बकवास का चरम नहीं है जब ये अपने यहां एनजीओ का भस्मासुर पालते हैं और दूसरों को लपेटते रहते हैं। सत्यम वर्मा- Working with major national and international agencies and direct clients including The World Bank, unisef ...
प्रवीण कुमार
कात्यायिनी जिस राहुल फाउंडेशन नाम के प्रकाशन की अध्यक्ष हैं,उसी प्रकाशन से छपी पुस्तक ‘डब्ल्यू.एस.एफ साम्राज्यवाद का नया ‘ट्रोजन हॉर्स’ को सत्यम वर्मा और अरविंद सिंह ने संपादित किया था। करीब दो सौ पेज की यह किताब 2004 में 50 रूपये कीमत के साथ छपी थी और उसमें एक लेख दायित्वबोध की ओर से भी डाला गया था जो आज भी पाठकों के पास मौजूद है। चूंकि कात्यायिनी और शशिप्रकाश के ही संगठन ने किताब छापी थी इसलिए जाहिरा तौर पर पहला लेख उन्होंने पार्टी के स्टैंड के तौर पर दायित्वबोध का ही रखा।
इसी तरह 25रूपये में सौ पेज की एक दूसरी किताब राहुल फाउंडेशन ने 2002 में छापी थी ‘एनजीओ एक खतरनाक साम्राज्यवादी कुचक्र’। उसके तो नाम से जाहिर है कि पूरी किताब स्वयंसेवी संगठनों के कुचक्रों पर ही केंद्रित होगी। बेशक इन दोनों पुस्तकों को पाठकों ने पसंद भी किया,खासकर ‘एनजीओ एक साम्राज्यवादी कुच्रक्र’ को।
सत्यम वर्मा |
मैं इन दोनों पुस्तकों को शब्दशः पढ़ा हूं और मानता हूं कि 25रूपये वाली किताब ने हमारी समझदारी बनाने में मदद की। मगर जैसे ही मैंने सत्यम वर्मा का बायोडाटा पढ़ा और देखा कि वह मोबाइल कंपनी से लेकर विश्व बैंक,यूनीसेफ और ऐसे सैकडों संगठनों का अनुवाद करते हैं तो,सच बताउं मैं तो भन्ना उठा। मेरे लिए असह्य था क्योंकि जो न जानने या किसी मजबूरी में कोई किसी एनजीओ से जुड़ जाये तो यह लोग खाल खींचने की अदा में होते हैं और यहां है कि इसी घालमेल में पार्टी के केंद्रीय समिति सदस्य सत्यम वर्मा आकंठ डूबे हुए हैं।
मैं तो यहां देख रहा हूं कि कात्यायिनी और उनकी पार्टी से जुड़े लोगों ने आलोचना करने वालों को अन्य गालियों के साथ एनजीओ में काम करने की वजह से भी तमाम गालियां दी हैं और कोसा है। क्या यह बकवास का चरम नहीं है जब ये अपने यहां एनजीओ का भस्मासुर पालते हैं और दूसरों को लपेटते रहते हैं।
जो लोग सत्यम और उनके संगठन से जरा भी परिचित हैं वह जानते हैं कि दायित्वबोध को हमेशा ही रिवाल्यूशनरी कम्युनिष्ट लीग (भारत)का मुखपत्र माना गया है। कात्यायिनी और उनके संगठन से जुडे लोग कहते भी रहे हैं कि बिगुल और दायित्वबोध के विचार ही पार्टी के हैं। इसी तर्क को सिद्ध करते हुए उन्होंने कई दफा बिगुल और दायित्वबोध में तमाम वामपंथी संगठनों के साथ बहस भी चलायी है।
कात्यायिनी : ट्रोजन हॉर्स कौन |
ऐसे में समझने के लिए यही ठीक होगा कि क्यों न उनके बारे में कोई विचार बनाने के लिए उनके ही तय मानकों के बरक्श उनकी शक्ल को परखा जाये। इसके चंद उदाहरण और तथ्य आप सभी पाठकों के सामने पेश है,जिससे की कात्यायिनी को इमोशनल अत्याचार का सहारा न लेना पड़े कि यह सब वामपंथ को बदनाम कर रहे हैं। ये सभी अंश इनके पार्टी स्टैंड की कॉपी है.
शामिल कौन है और पैसा कौन दे रहा है
विश्व सामाजिक मंच के आधे से अधिक संगठन साम्राज्यवादी पैसे से संचालित गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) हैं और इसके वित्तपोषकों में सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण दाता कुख्यात फोर्ड फाउंडेशन है। इसके बाद आक्सफेम और हाइनरिख बोल फाउंडेशन और ऐक्शन एड जैसी सबसे बड़ी फण्डिंग एजेंसियों का नंबर आता है। विभिन्न चैनलों से विश्वबैंक, फ्रंास, ब्राजील और अन्य देशों की सरकारों का पैसा और दर्जनों अन्य फंण्डिंग एजेंसियों का पैसा भी मंच का मिल रहा है। गैर-सरकारी संगठनों के अतिरिक्त मंच में शामिल दूसरी श्रेणी दुनियाभर की किसिम-किसिम की सामाजिक जनवादी पार्टियों और संसदीय वामपंथियों/सशोधनवादी पार्टियों और संबद्ध ट्रेड यूनियनों,जनसंगठनों की है।
‘डब्ल्यूएसएफ साम्राज्यवाद का नया ट्रोजन हॉर्स’ के पेज 13 के तीसरे पाराग्राफ से
विश्व सामाजिक मंच को विश्व पूंजीवादी तंत्र की बुनियाद पर चोट करने वाले खतरों को रोकने के लिए एक आंतरिक अवरोधन प्रणाली, एक प्रतिसंतुलनकारी शक्ति और एक ‘सेफ्टी वाल्व’ के रूप में संगठित किया गया है। मूलतः इसका काम विश्व व्यापार संगठन, विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एजेंसियों के एक पूरक की भूमिका निभाना है। आश्चर्य नहीं कि इसके पहले आयोजन से ही साम्राज्यवादी धन से सुधारवादी कार्रवाइयों में लिप्त गैर-सरकारी संगठन ही इसके आधे से अधिक घटक है और नीति-निर्धारक निकायों की कमान पूरी तरह से उनके हाथों में हैं।
‘डब्ल्यूएसएफ साम्राज्यवाद का नया ट्रोजन हॉर्स’ के पेज 17 के दूसरे पाराग्राफ से
अब तक बातें थीं, अब सत्यम वर्मा के काम पर गौर करें.
सत्यम वर्मा का बायोडाटा
Satyam Varma
Freelance Translator, English-Hindi
Native language: Hindi
I am working as a professional translator since 1991. I have translated more than 10 million words in areas as diverse as Literature, IT, Medical, Legal Documents, Patents, Business and Journalism.
Working with major national and international agencies and direct clients including The World Bank, Unicef, Mapi Research Institute, Indian Institute of Technology, Lionbridge, Transperfect, Crimson Languages, The Big Word, Sajan, Aquent, Acclaro, Aset International Services, Comms_multilingual, CompuMark, Lexxicorp, International Language Bank, Edge Translations, Ultra Translate, ATT, Lyric Labs, Crystal Hues, Cosmic Global and several others.
Creatively translated and edited numerous posters, brochures, booklets, advertisements and other publicity materials for several organizations and ad-agencies.
Co-Editor of Translation Project of World Classics brought out by premier Hindi publisher Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd., New Delhi.
Translated books:
Some Completed Projects
Medical
Medical
1. Patient interviews, consent documents, vignettes for trial of a schizophrenia drug. (145,000 words.)
2. Rating scales, instructions and worksheets for Department of Psychiatry & Behavioral Sciences, University of Washington. (6,700 words.)
3. Patient information sheet and informed consent form for clinical trial of a lung cancer drug. (7,200 words.)
4. Operations manual for a Kala-Azar treatment access study. (12,000 words.)
5. Linguistic validation (2 forward translations + 1 back-translation + cognitive debriefing) of questionnaires and instructions regarding epilepsy for a French research institute. (3,400 words.)
Finance and Marketing
1. Annual Report of the World Bank, 2005-06. (26,500 words.)
2. Financial Reports of Oil and Natural Gas Corporation, India, 2004-06. (55,000 words.)
3. Marketing manual for sales agents of an insurance company. (17,500 words.)
4. Publicity materials of a direct sales company. (18,000 words.)
5. Textbook on political economy. (2,10,000 words.)
Training Manuals
1. Manual for employees of a property management company. (20,000 words.)
2. Manual for Incidence and Injury Free Orientation of Contractors. (6400 words.)
3. Diamond Best Practice Principles Assurance Programme Manual & Workbook 26,400 words.)
4. Manual for driving training institute, USA. (19,000 words.)
5. Manual for fork lift operators, Dubai. (8,000 words.)
Legal
1. Notice of a Canadian Class Action Lawsuit (10,000 words.)
2. License terms for MICROSOFT iCAFE E-LEARNING PROGRAM (3500 words.)
3. Software License Agreement for PeerMeSetup Installation Suite (3000 words.)
4. Terms and conditions document for Corum eCommerce Pty Ltd (2 000 words)
5. 'Dalits and the Law,' a book published by Human Rights Law Network (415 pages)
I.T.
1. Mobile phone - PC studio user's guide. (17,500 words.)
2. Mobile phone user's manual. (4,600 words.)
3. Part of Google Adwords software localization. (8,800 words)
4. Part of Gmail software localization. (9,400 words)
5. Linux localization. (180,000 words.)
Medical Dictionaries:
Black's Medical Dictionary
Medical Dictionary (Merriam Webster) hosted by NIH
English-Hindi Dictionary of Scientific and Medical terms published by Govt. of India
Websites of NIH, WHO, clinicaltrials.gov, and other online resources.
Black's Law Dictionary
English-Hindi Dictionary of Legal Terms
SEE DETAILS
(Satyam Varma)
इस गुनाह में शामिल होने पर - ‘दायित्वबोध’ संपादक मंडल की राय देखें:
"एनजीओ एक खतरनाक साम्राज्यवादी कुचक्र" किताब के पेज 3 से
हम एनजीओ के प्रश्न पर सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं और ईमानदार बुद्धिजीवियों को आगाह करना चाहते हैं। इस प्रश्न कर अनदेखी करने वालों को कल जनता कठघरे में खड़ा करेगी। ‘टैक्टिक्स’के नाम पर समझौता करने वाले ‘समझदारों का कोरस’ बहुत दिनों नहीं चलेगा। चुप लगाने वाले चुप्पी से अपने कुकर्मों को नहीं ढंक सकते।
हम एकतरफा ढंग से अपनी बात नहीं कहना चाहते। हम बहस की चुनौती देते हैं-एक-एक नुक्ते पर। क्रांतिकारी आंदोलन के पुलर्निर्माण के इस बीहड़ दौर में हम इस मुद्दे पर सफाई जरूरी समझते हैं, इसलिए इसे एजेंडे पर लाने के लिए हम सचेष्ट रहे हैं और आगे रहेंगे।
हमें पाठकों की प्रतिक्रिया की व्यग्र प्रतीक्षा है।
- ‘दायित्वबोध’ संपादक मंडल
अब देखना यह है कि दूसरों के लिए फरमान सुनाने वाली कात्यायिनी की पार्टी अपने सदस्य सत्यम वर्मा के खिलाफ क्या सजा मुक़र्रर करती है.
ट्रोजन हॉर्स- मित्र के वेश में छुपे हुए शत्रु.
मियां की जूती मियां के सर, क्या बात है.अब आएगा असली मज़ा कि क्रांति करने वालों में कितने रंग हैं
ReplyDeleteकुछ लोग शशि प्रकाश के ग्रुप को अभी भी क्रन्तिकारी मानने के भ्रम में बने हुए है उन्हें भी हमारा सुझाव है इन तथ्यों की अनदेखी न करे क्योकि यहाँ मजा लेने की कोई विषय वस्तु नहीं है कम समझदारी से ही सही लेकिन ये सुद्धतः एक गंभीर बहस है जन ज्वार को इसके लिए सलाम किया जाना चाहिए
ReplyDeleteअब कात्यायिनी इमोशनल अत्याचार नहीं करेंगी कि वामपंथ बदनाम हो रहा है. अगर तुम्हारा वामपंथ ऐसा ही है तो भांड में जाओ. भगत सिंह का सपना दिखाकर, उन्हें बेचकर तुमलोग खा रहे हो. हैरत है, हैरत है, हैरत है
ReplyDeleteमुझे पूरा विश्वास है कि यह बस 'टिप आफ़ आईसबर्ग' है, अगर शशि की भाषा उधार लूं तो यह 'दो कौड़ी का कलघसीटू अनुवादक' जो कि निश्चित तौर पर एक आदमकद क्रान्तिकारी बुद्धिजीवी पिता का पुत्र है, पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व का सबसे 'बेचारा' सदस्य भले हो,सबसे पतित कतई नहीं। यह उस सामंतवादी, पितृसत्तात्मक थियरी को भी ग़लत साबित करता है, जिसके वशीभूत होकर 'स्वघोषित क्रांतिकारी' कवियत्री कात्यायनी सभी आलोचकों का चरित्रचित्रण 'धनी किसान','सूदखोर' के बेटे वगैरह वाली 'मार्क्सवादी' भाषाका प्रयोग लेनिन, स्टालिन और क्रुप्सकाया के उठाये हुए कोटेशन्स के बीच करती हैं। उन्होंने हम सबके रोज़गारों का मज़ाक उड़ाया है। लेकिन वह जानती हैं कि बिना मेहनत उच्चमध्यवर्गीय जीवनशैली जीते रहने की जो 'क्रांतिकारी' सुविधा उन्हें और उनके परिवार को मिली है, वह हमारे नसीब में नहीं। और हां उन्होंने बाक़ायदा हमे मुक़दमे की धमकी दी है तो उसका स्वागत है। हम भी चाहते हैं कि जनता उनकी संपतियों, आय,व्यय, चंदे के उपयोग आदि की पूरी जानकारी पा सके।
ReplyDeleteविगत करीब पाँच वर्षों से जो कुत्सा-प्रचार किया जा रहा है, वह तीसरा चरण है जो घृणित और घनघोर निजी है। तमाम पोथों-पुलिन्दों का सारतत्व यह है कि (1) हम कोई राजनीतिक समूह नहीं बल्कि अपराधी गिरोह हैं जो सम्पत्तियाँ हड़पते हैं, किताबों का व्यापार करते हैं, (2) राजनीतिक ग्रुप के नाम पर महज़ एक परिवार है (और कुछ चेले-चपाटे हैं) और नेतृत्व के नाम पर बस एक व्यक्ति है जो तानाशाह और अति सुविधाजीवी है, (3) कात्यायनी की सभी रचनाएँ वास्तव में उसके पति की हैं। और उसके बेटे को भी ‘प्रोमोट’ किया जाता है। इसी आशय के बहुतेरे आरोप हैं, पर केन्द्रीय बिन्दु यही हैं।अभी तक क्या सिर्फ यही बहस के मुद्दे है ?
ReplyDeletenaveneet ye bataiye ki tumhari katyayni and party ke pass kya mudde hain. waise ye batao tum in sab baton ko rajneetik mudde kyon nahi maan rahe ho. kahin tum katyayni to nahi ho. kuchh bhi kaho chot kaphi gahri hai. tumhaare purane karykrtaon ke swalon se jahir hai ki vah tum par niji samptti khadi karne ke baare main kah rahe hain. isleeye tumhe apne samptti ke bayore sarvjnik kar dene chahiye, is tarh tilmilane se kaam nahi chalega.waise bhi tumhe hizdon aor maugon se darne ki kya jaroort hai tum, to kaphi majboot mard ho.ye jaroor batana tum majboot mard ho ya nahi.
ReplyDeleteye to sirf maugon aur hizdon ka khulasa hai, jab ham ladkiyan samne aayengi to tumhara kya hoga. kya tum hame lesbian karar dogi ya tumhari anuwad ki dictionary me koi naya shabd hai.
अजय प्रकाश साइबर वर्ल्ड में क्रान्ति बहुत पहले हो चुकी है इसलिए अगर सही मायने में देश के मेहनतकश के लिए कुछ करना चाहते तो मजदूर बस्तियों में जाओ क्योंकि सत्यम आपको समयपूर बादली के मजदूरों के बीच मिलेगें। आशू
ReplyDeleteashu shashiprakash k ngo main naye bharti hue ho[shayad?/]....
ReplyDeleteshashiprakash/katyayni/abhinav/satyametc....k aishoaaraam k saamaan jutane main apni javaani mat gavaan dena.....ye kranti bechnevaale tumhe bhi bech khayenge......
wow....what a real revolutionary politics!!! congrats!!
ReplyDeletethis is the politics of disciples of stalin and mao....
ReplyDeletecomrades turn to Workers Socialist Party, only party of october revolution....
Read our program: http://new-wave-nw.blogspot.in/p/our-programme.html