जनज्वार के पाठकों, सहयोगियों आप सबका आभार. जैसी की हमें उम्मीद थी, जनता की लेखिका अरुंधती राय ने हमेशा की तरह जनता का ही पक्ष चुना.
प्रिय भाइयों,
हंस ने जो अगले सालाना आयोजन कि रूप रेखा प्रचारित की थी उसमें सब को यह आभास दिया था कि इस बार वे पुलिस अधिकारी विश्व रंजन और अरुंधती राय को एक ही मंच पर लायेंगे.लोगों में इस पर बड़ा आक्रोश था. मैंने दो-तीन दिन पहले हंस कार्यालय में राजेंद्र जी से पूछा तो उन्हों भी तस्दीक की. लेकिन जब मैं ने अरुंधती से पूछा तो उन्हों ने साफ़ कहा कि वे ऐसे कार्यक्रम में नहीं जा रहीं हैं. उनका जवाब संलग्न है
नीलाभ
अरुंधती का जवाब-
प्रिय नीलाभ,
बैठक के बारे में मुझे सावधान करने के लिए धन्यवाद. मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी. राजेंद्र यादव ने कुछ सप्ताह पहले मुझे फोन कर यह पूछा था कि क्या जुलाई में होने वाले ‘हंस’ के कार्यक्रम में मैं शामिल होऊँगी. मैं उस समय यात्रा कर रही थी इसलिए मैंने उनसे कहा कि मैं बाद में बात करूंगी. लेकिन अब आपने मुझे बताया कि बिना मेरी सहमती के यह प्रचार किया जा रहा है कि मेरे और कुख्यात पुलिस अधिकारी श्री विश्वरंजन के बीच बहस होगी. मुझे इन सबके बारे में कोई जानकारी नहीं हैं.
मेरा वहाँ जाने का कोई इरादा नहीं है. वह भी पीटीआई के साथ मेरे हाल के अनुभव और छ्त्तीसगढ़ पुलिस के व्यवहार व इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित अनाप-शनाप सुर्खियों के बाद. आपने बताया है कि कुछ युवा मुझसे इस कार्यक्रम में शामिल न होने का अनुरोध करने के लिए ज्ञापन तैयार कर रहे हैं..आप कृपया उन्हें बता दें कि मुझे मनाने के लिए किसी ज्ञापन की जरूरत नहीं है. मैंने वहाँ जाने के लिए कभी हामी नहीं भरी थी लेकिन अब यह लगने लगा है कि यह सब पहले से नियोजित था.
आप इसे (ईमेल) को उन लोगों में प्रसारित कर सकते हैं जो मेरे वहाँ जाने को लेकर चिंतित हैं.(अगर इसमें अनुवाद से मदद मिले तो करा लें.). मुझे लगता है कि बहस के और भी बहुत से अच्छे रास्ते हो सकते हैं जहाँ सत्ता के संरक्षण और पुलिस द्वारा नियंत्रित मीडिया आपकी बात को गलत ढंग से पेश नहीं केरगी.
शुभकामनाओं के साथ
अरुंधती
(original english text send by Arundhati)
Dear Neelabh
Thanks for alerting me about a meeting I had no idea about! Rajendra Yadav did call a few weeks ago and ask whether I could come to a Hans event in July. I was travelling at the time and said I'd speak to him later. And now you tell me that without my ever having agreed, it's being billed as a debate between me and the notorious policeman Mr Vishwaranjan! I had no idea about all this. I have no intention of being there. Not after my recent experience with PTI and the rubbish that is being put out by the Chhattisgarh police and headlined in the Indian Express. You say a bunch of youngsters are putting together a petition asking me not to go...please tell them that I don't need a petition to persuade me! I never agreed to go in the first place. And now it's beginning to look like a set up . You can circulate this to anyone who is worried that I might walk into this trap. (translate it if it will help?) I think there are better ways of having debates in which co-opted media people controlled by the police cannot misquote you.
All the best
Arundhati
हमारे न जाने से राजेन्द्र जी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन न जाने से हमें फर्क पड़ेगा। सो हम तो नहीं जा रहे।
ReplyDeleteशुक्रिया अरुंधति। आपने हमारे विश्वास को कायम रखा है। मैं पहले ही कह चुका हूं कि विश्वरंजन को सुनने कि लिए मैं हंस के समारोह में नहीं जाऊंगा। जनज्वार को भी बधाई, कि उन्होंने इस मुद्दे को उठाया।
ReplyDeleteउम्मीद है कि राजेंद्र यादव नरेंद्र मोदी या तोगड़िया को बुलाकर अरुंधति के न आने की भरपाई कर लेंगे। वे केपीएस गिल को भी बुला सकते हैं या अरवल कांड के जिम्मेदार अफसर सी आर कासवान को भी। रामपुर तिराहा कांड का आदेश देने वाले अफसर भी विकल्प हो सकते हैं।
arundhati ko salaam. aap sab ko mubaarakbad
ReplyDeletearundhati ko salaam. aap sab ko mubaarakbad
ReplyDeleteek dam sahi faislaa.
ReplyDeletearundhati aadarsh lekhak aur buddhijivi ka udaaharan hain.unhein meria aur meri peedhee kaa salaaaam.
ReplyDeletearundhati aadarsh lekhak aur buddhijivi ka udaaharan hain.unhein meria aur meri peedhee kaa salaaaam.
ReplyDeleteअरुंधती का इन्कार हमारे लिए कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है. उन्होंने हमेशा ही जनता के पक्ष को लिखा और जीया है. उनके साथ साथ जन ज्वार भी बधाई का पात्र है.
ReplyDeleteअरुंधती के हंस के कार्यक्रम में न जाने के फैसले का स्वागत है.
ReplyDeleteभले ही खतरे की एक बदरी फ़िलहाल छट गई है. मगर यह किसी बड़े खतरे की तरफ़ इशारा करके गई है. अब सारे सवाल राजेन्द्र यादव के सामने हैं- अव्वल तो सबसे पहले उन्हें यह बताना चाहिए कि वह ख़तरा आहट के तौर पर भले ही इस समय एक खतरा तो टल गया लगता हो. मगर इसी समय में राजेन्द्र यादव के सामने भी एक सवाल है कि वह अरुंधती को जानकारी दिए बगैर इस बात का प्रचार क्यों करने लगे थे कि इस बार अरुंधती और विश्वरंजन के बीच बहस होगी ?
राजेन्द्र यादव का मन हमेशा ही चर्चा में बने रहने के लिए मचलता रहता है। साठा के बाद उनसे कुछ गम्भीरता की उम्मीद की जाती है लेकिन लगता है कि अब उनसे इस तरह की उम्मीद करना बेकार है। बहरहाल अरुंधती जी ने जिस तरह इस पूरे प्रकरण पर अपनी बात रखी है वह वाकई एक जनपक्षधर लेखक का दायित्व है। एक सुझाव यह है कि अब अगर राजेंद्र यादव ने यह शुरुआत कर ही दी है तो हमें बाकायदा अरुंधती की राय लेकर अलग से एक आयोजन करना चाहिए और इस तरह के और भी मनबहकियों के इरादों का उचित जवाब देना चाहिए। जिन्हें चूहे के बिल में होना चाहिए था वह अगर बाहर आकर शेर बनने का दम्भ भर रहे हैं तो यह उनकी गलत फहमी है।
ReplyDeleteअरुंधती के साथ उन सभी साथियों को सलाम जिन्होंने इस मुद्दे को उठाया। इस तरह की हर चीज का प्रतिकार बहुत जरुरी है।
यह विश्वरंजन कितना शातिर दिमाग है- यह जानना हो तो रविवार पर आलोक पुतुल से हुई यह बातचीत देखिए :
ReplyDeletehttp://raviwar.com/baatcheet/B29_interview-cg-dgp-vishwaranjan-alokputul.shtml
sahi kaha.
ReplyDeletemagar ab is haalat ka fyada uthakar avinas aur samrendar naamak dalle apni dukaan badaanaa chaahte hain.
dekhiye likhnapadhnaa to aataa nahi. chale hai lekh likhne.
lekh kya bhai saheb gaali gaouch par utar aaye hain.
shayad yahi inki aaukaat ho.
dallo se ummid bhi kya kee ja sakti thee.
anuraag kashyap ke kharche par kaise naache they to sabne dekhaa hai.
maloom nahi yah jamaat kab sudhregi.
Arundhati !
ReplyDeleteEk taraf tum ho
Doosari taraf tamaam Hindi ke hero!
Thake-haare
Bechaare
Zero!
Itni nazuk hokar bhi
Kitni bhaari pad gayi ho
Hindi ke bhagya-vidhaataon par !
Maan-samman ke nirmaataaon par !
Ham gumnaam tumhen pahaadi
Saawdhaan toh kya karenge?
Tumhen Salaam karte hain...
Himaalayan Salaam!
Jeewan ke srot se
Taral-saral
Pranaam !
-Snowa Borno aur Sainny Ashesh