Apr 2, 2010

लेखक 'ककउनादा' हैं

अजय प्रकाश



अख़बार के दफ्तर से फ़ोन आया कि आपके भेजे गए आवेदन को स्वीकार कर लिया गया है.

सुनकर प्रसन्नता हुई और मैं अगले दिन दफ्तर पहुँच गया. पहुंचते ही मुझे एक बंद कमरे में भेज दिया गया जहाँ तीन लोग विराजमान थे. सेकंडों  की नमस्कार-बंदगी के बाद सवालों का दौर शुरू हुआ.

आपको पता है कि किस पेज के लिए यहाँ रखे जा रहे हैं?

जी, सम्पादकीय के लिए.

इस पेज का एक दूसरा नाम क्या है?

जी, कुछ लोग इसे गंभीर पृष्ठ भी कहते हैं.


तो फिर गंभीरता शब्द के  मायने  बताएं?

 समाज में जो लोग कम हंसते- बोलते है, बच्चे
 देखकर जिन्हें दूर भागते हैं, महिलाएं जिनके सामने चुप रहना जरुरी समझती हैं और नौजवान जिनके सामने बूढों जैसे दिखने लगते हैं, ऐसे लोगों को देखकर जो अहसास होता है उसे गंभीरता  कहते हैं.

पर यहाँ काम करते हुए आपका वास्ता गंभीर लेखन से होगा, इस बारे में आपकी राय?

अख़बारों के जिस लिखे  को सबसे कम पढ़ा जाता है उसे गंभीर लेखन कहा जाता है. इस पेज की  खासियत होती है कि पहले पाठकों को बताया जाय कि यहाँ लेखक लोग ही लिखते हैं, चोर-उचक्के नहीं. उसके बाद यह लिखना अवश्यम्भावी  होता हैं कि लेखक बटमारी- राहजनी के धंधे से नहीं साहित्य, पत्रकारिता, संगीत, कला, दर्शन, नाटक, राजनीति जैसी विधाओं से वास्ता रखते हैं. जैसे लेखक सामाजिक विषयों के जानकार  हैं, लेखक स्वतन्त्र पत्रकार हैं आदि. बात यहीं खत्म नहीं होती बल्कि लेखक अपने क्षेत्र में कितने वरदहस्त या  पारंगत हैं, यह भी बताना कलम क्लर्क यानी हमारे जैसों की बुनियादी जिम्मेदारी है.

आप इन विशेषताओं को लिखे जाने से सहमती जताते हैं? 

यह सोचकर कि लेखन में कुछ ऐसे भी लोग होंगे जो असमाजिक विषयों पर लिखते होंगे इसीलिए यहाँ सामाजिक हैं, परतंत्र पत्रकारों की भी एक जमात होगी इसलिए हमारे यहाँ स्वतन्त्र हैं. साथ ही दूसरी जगहों पर राहजनी, बटमारी, करने वालों की भरमार होगी जबकि हमारे यहाँ शुक्र  है कि लेखक ही अभी लिख रहे हैं.

बहुत खूब. लेकिन आप हमारे लिए विशेष क्या करेंगे जिसकी वजह से हम, आपको ही रखें?

वैसे तो गंभीर पेज पर करने के लिए कुछ होता नहीं है इसलिए मैं क्या कोई भी कुछ नहीं कर सकता. लेकिन मैं लेखकों के परिचय के लिए एक एक्सक्लुसिव शब्द  लेकर आया हूँ "ककउनादा". इस शब्द का इस्तेमाल पहली बार हमलोग ही एक्सक्लूसिवली करेंगे, जैसे लेखक ककउनादा हैं.

मेरे इस प्रस्ताव पर सामने बैठे तीनों महानुभाव खुश हुए. और पूछ लिए कि , 'मगर  इसका मतलब तो बताएं.'

मैंने कहा,  "ककउनादा" -  का मतलब हुआ कि लेखक कवि, कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार और दार्शनिक हैं. अगर किसी का परिचय इससे आहत होगा तो आगे-पीछे  उत्सर्ग-प्रत्यय जोड़ लिया जायेगा.

मेरे इस सुझाव पर तीन स्तरों के संपादकों के  समूह ने मुझे काम के योग्य माना. उन्हें यह शब्द इतना पसंद आया कि वे इसे कॉपीराईट कराने पहुँच गए. संयोग से यह शब्द  दूरदर्शन के  किसी सीरीअल का जूठन निकला...........लेकिन हमारे यहाँ आज भी एक्सक्लुसिव वर्ड है...........और मैं खोजकर्ता.


4 comments:

  1. प्रकाश जी,आपकी खोज रोचक है...लेकिन मुझे तो इस खोज से डर सताने लगा है। क्योंकि कहते-सुनते अखबारों के गम्भीर पेज पर थोड़ी सी जगह पाने दरकार रखता हूँ। हालांकि पूरी विधा में,मैं अपने को नवजात मानता हूँ इसलिए कोई खास जगह की नहीं बस जगह की तलाश रखता हूं। लेकिन मैं आपके ककउनादा खोज के दायरे से बाहर हूँ। आप अपनी इस खोज में थोड़ी सी हमारे लिए भी जगह बना दीजिए,ताकि हम भी इस खोज के हकदार हो सके।

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  2. हा हा बहुत खूब।

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  3. kya bat hai janab padhkar maza aa gaya.

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