भारतीय खेल प्राधिकरण की ओर से मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय सीनियर अथलेटिक्स स्पर्धा का आयोजन हुआ था. मेजबानी के लिए धावक पीटी ऊषा को भी बुलाया गया. पीटी ऊषा देश की सर्वश्रेठ एथेलेटिक्स हैं. लेकिन युवा और खेल मामलों के मंत्री के आव-भगत में लगे अधिकारियों ने उनकी उपेच्छा की. उपेच्छा से आहत पीटी ऊषा मीडिया से मुखातिब होते ही रो पड़ीं.
उसके बाद बाद बयानबाजियों और माफियों का भी एक दौर चला.........
फिलहाल पीटी ऊषा के सम्मान में हिंदी के वरिष्ठ कवि वीरेन डंगवाल की कविता पढ़ें..............
पी टी ऊषा
वीरेन डंगवाल
मेरे ग़रीब देश की बेटी
आंखों की चमक में जीवित है अभी
भूख को पहचानने वाली
विनम्रता
इसीलिए चेहरे पर नहीं है
सुनील गावस्कर की-सी छटा
मत बैठना पी टी ऊषा
इनाम में मिली उस मारुति कार पर
मन में भी इतराते हुए
बल्कि हवाई जहाज में जाओ
तो पैर भी रख लेना गद्दी पर
खाते हुए
मुँह से चपचप की आवाज़ होती है ?
कोई ग़म नहीं
वे जो मानते हैं बेआवाज़ जबड़े को सभ्यता
दुनिया के
सबसे खतरनाक खाऊ लोग हैं.
अच्छी कविता के लिए आभार. आपका भी, वीरेन जी का भी.
ReplyDeleteसादर
आलोक
aapki nai post dekha...achhi kavita hai.
ReplyDeleteOM SAI RAM
ReplyDeleteTHANKS 4 UR MAIL