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May 8, 2011

कहता है अमेरिका

रंजीत वर्मा की चार कवितायेँ

1.

ओबामा और ओसामा
भले ही इन नामों में समानता हो
भले ही इनकी कार्रवाइयां भी एक जैसी हों
हत्या और धमाकों से लबरेज
फिर भी क्यों लगता है ऐसा कि
इनमें से एक है सभ्य
और दूसरा है बर्बर

कहीं यह उनके पहनावे की वजह से तो नहीं
एक का पहनावा है ऐसा
जैसा कि आतंकियों को पहने
वे दिखाते हैं हमें टीवी में बार-बार
जबकि दूसरे का पहनावा है ऐसा
जिसे दफ्तर या दावतों में जाते वक्त
पहनने का रिवाज बताते हैं वे

या कहीं यह उनकी भाषा में जो अंतर है
उसकी वजह से तो नहीं
एक हमला करने से पहले चीखता है
लेकिन क्या कहता है समझ में नहीं आता
और दूसरा कार्रवाई समाप्त होने के बाद भी
चेहरे पर बिना कोई भाव लाए
शांति और दृढ़ता से कहता है
- जस्टिस हैज बिन डन।

क्या सिर्फ इसलिए
कहा जा सकता है कि
इनमें से एक है अच्छा
और दूसरा है बुरा

क्या इसलिए सिर्फ इसलिए
कहा जा सकता है
एक को अच्छा और दूसरे को बुरा
कि एक कानून तोड़ते
जरा भी नहीं हिचकता
और दूसरा
जो कुछ करता है
कानूनन जायज ठहराने में
है उसे महारत हासिल।

2.
ओसामा अमेरिका का ही गढ़ा हुआ था
आज अमेरिका ने ही उसे तोड़ डाला
और फिर उसने घोषणा की
कि उसने दुनिया को आतंकवाद से
मुक्त कर दिया
लेकिन सवाल है कि
दुनिया पर उसने आतंकवाद थोपा क्यों था?

3.
ओसामा अमेरिका के खिलाफ
जंग का ऐलान किये बैठा था
उसने उसके युद्धपोत मार गिराये थे
उसकी सत्ता के अहम् प्रतीक होते थे जो
विश्व व्यापार केंद्र की गगनचुम्बी इमारतें
उन्हें एक पल में ध्वस्त कर दिया था उसने
नौ ग्यारह के नाम से
मशहूर हुई तारीख के दिन
ये वही इमारतें थीं
जहां से अमेरिका ने दुनियाभर में
शोषण का जाल फैला रखा था

वे तमाम देश
जो गरीब हैं मेरे देश की तरह
आज इसी शोषण की चपेट में है

अमेरिका ही क्या
हमारे देश के शरीफ लोग भी
भला ऐसा क्यों चाहते हैं कि
भूख पैदा करने वाली ताकत को नहीं
हम सिर्फ ओसामा को मानें आतंकी

4.

अमेरिका कहता है
खूंखार हत्यारा था वह
अपनी आतंकी कार्रवाइयों से उसने
तीन हजार मासूम लोगों की जानें ली थी
उसे छुट्टा कैसे छोड़ा जा सकता था
भले ही उसके गुर्दे खराब हो गए हों
और वह अपनी स्वाभाविक मौत मर भी चुका हो
फिर भी उसे मारना
और मारने की घोषणा करना
एक जरूरी रस्म था
अमेरिका की सेहत के लिए

अमेरिका कहता है
उस सारे नुकसान की भरपाई करनी थी
उसकी मौत की खबर से
जो उसने विश्व व्यापार केंद्र को उड़ाकर
अमेरिका को पहुंचायी थी

अमेरिका कहता है
एक बड़े मकसद से जुड़ा अभियान था यह
यहां बेमतलब का आंकड़ा न रखें
कि तीन हजार से सात गुणा ज्यादा लोगों की हत्या
एंडरसन ने भोपाल में की थी
जहरीली गैस छोड़ कर
जिसे उसने पनाह दे रखी है

अमेरिका कहता है
वह एक चूक थी योजना नहीं
कोई इरादा नहीं था वहां
कोई युद्ध नहीं था वह
जैसा कि ओसामा कर रहा था

दुश्मन वह है
जो हमें शत्रु समझता है
न कि वह है दुश्मन
जो हमारी शरण में आता है

अमेरिका कहता है
भूल जाओ लाखों तमिलों की हत्या को
जो लंका में की गयी मेरी शह पर
और आंच नहीं आने दी मैंने राजपक्षे पर
इस तरह का भी कोई आरोप
हम पर मत लगाओ

अमेरिका कहता है
भूल जाओ विदर्भ में
आत्महत्या कर रहे किसानों की
ढाई लाख की संख्या
जो पार हुआ चाहती है पिछले पंद्रह सालों में
मत कहो कि इसके पीछे
हमारी विकास नीति काम कर रही है
तुम्हारे पास भी यही मॉडल है विकास का
अब यह मत कहना कि
यह जबरन थोपा गया है तुम पर

अमेरिका कहता है
पंद्रह लाख इराकियों को मैंने
गोलियों से जरूर उड़ाया
और ग्वेंतानामो भी है मेरे पास
और भी है बहुत कुछ मेरे पास
असांजे जो कुछ बोलता है उससे भी ज्यादा
काले कानून और कारनामों की इतनी परतें हैं कि
ओसामा भी जानता तो उसके होश
उड़ गए होते

यह याद रखो हमेशा कि
अगुवा हैं हम इस दुनिया के
जहां के तुम एक अदना से बासिंदे हो
अगर तुम हमारे साथ नहीं हो तो
दुश्मन हो हमारे
यह घोषणा पहले ही की जा चुकी है
मत कहना कि चेताया नहीं गया था तुम्हें

कोई विकल्प नहीं है तुम्हारे पास
सिवा हमारा साथ देने के
किसी सरहद के पीछे
छिप नहीं पाओगे फिर तुम
ओसामा की दरिंदगी भरी मौत तुम्हारे सामने है
और डॉलर की ताकत से भी तुम अनजान नहीं हो।



विधि मामलों के टिप्पणीकार और लेखक.कविता को जनता के बीच ले जाने के प्रबल  समर्थक और दिल्ली में शुरू हुई कविता यात्रा के संयोजक. उन्होंने ये कवितायेँ 2 .5 .2011 से 6 .5 .2011   के बीच लिखी हैं.