Showing posts with label bengladesh west bengal border dispute ISI pakistan conspiracy janjwar. Show all posts
Showing posts with label bengladesh west bengal border dispute ISI pakistan conspiracy janjwar. Show all posts

Mar 15, 2011

आजादी के सफ़र में रोहिंगा


अराकान को स्वतंत्र कराने के लिए पाकिस्तान से मिलने वाली मदद के लिए रोहिंगा उसके इशारे पर भारत के खिलाफ गतिविधियों में शामिल होने को मजबूर हैं, तो वहीं अराकान में म्‍यांमारी जुंटा सैनिकों द्वारा किये जा रहे अत्याचारों के खिलाफ वे लड़ रहे हैं...


श्रीराजेश

म्यांमार में उत्तरी अराकान प्रदेश को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए दो दशक से संघर्ष कर रहे सुन्नी मुस्लिम संप्रदाय के रोहिंगा अब भारत के लिए खतरा बनते जा रहे हैं. म्यांमार की सेना की सख्त कार्रवाई से रोहिंगाओं को म्यांमार से पलायन के लिए बाध्य होना पड़ा है. कई रोहिंगा नेता यूरोपीय देशों में तो भारी संख्या में रोहिंगा लड़ाके बांग्लादेश में शरण लिए हुए हैं. बांग्लादेश सरकार ने 'काक्स बाजार' जिले में इन शरणार्थियों के लिए दो शिविर भी लगाए हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इन शिविरों में करीब 28 हजार रोहिंगा सपरिवार रह रहे हैं.


म्यामार सैनिकों के कब्जे में रोहिंगा मुसलमान : चाहें  आज़ादी 
 हाल में ही संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी की गयी रिपोर्ट में बांग्लादेश में तकरीबन तीन लाख रोहिंगा शरण लिए हुए हैं. अराकान की स्वतंत्रता की लड़ाई में इन्‍हें पाकिस्तान की ओर से भी मदद मिलती रही है. अपनी इस मदद के एवज में अब वह इनसे 'कीमत वसूलने' की तैयारी में है. पाकिस्‍तान अब इन रोहिंगाओं को भारत के खिलाफ इस्‍तेमाल करने में जुट गया है. पाक खुफिया एजेंसी आइएसआइ  इन छापामार लड़ाकों को प्रशिक्षण देकर बांग्‍लादेश के रास्‍ते भारतीय सीमा में घुसपैठ करा रही है.

भारतीय खुफिया एजेंसियों  ने यह खुलासा किया है कि बांग्लादेश सीमा से सटे पश्चिम बंगाल और असम से सीमावर्ती मुस्लिम बहुल इलाकों में तकरीबन डेढ़ हजार रोहिंगा लड़ाके छुपे हैं. खुफिया एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इनके पास विमान और युद्धपोतों को छोड़कर लगभग सभी प्रकार के अत्याधुनिक हथियार उपलब्ध हैं.

खुफिया एजेंसियों  ने पश्चिम बंगाल एवं असम पुलिस को जो सूचना उपलब्ध करायी है उसके अनुसार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ इन रोहिंगा छापामारों को पाकिस्तान में छापामार युद्ध का प्रशिक्षण देकर बांग्लादेश के रास्ते भारत में घुसपैठ करा रही है.

पिछली  4 मार्च को त्रिपुरा पुलिस ने राजधानी अगरतला से तीन महिलाओं समेत दस रोहिंगाओं को गिरफ्तार किया. ये सभी लोग गैरकानूनी रूप से भारत में घुसे थे. इसके पहले 22जनवरी को अंडमान-निकोबार द्वीप समूह से 700 किलोमीटर दूर समुद्र में थाईलैंड की समुद्री सुरक्षा बल ने भी 91 रोहिंगाओं को गिरफ्तार किया है. इनके पास भी थाई क्षेत्र में प्रवेश के लिए कोई वैध कागजात नहीं थे.

वर्ष 2008 में क्रिसमस की पूर्व संध्या को हावड़ा रेलवे स्टेशन से 32 म्‍यामारी रोहिंगा को बगैर वैध दस्तावेजों के गिरफ्तार किया गया. इनमें महिलाएं और बच्‍चे भी शामिल थे. इसके बाद हिंद महासागर से पांच मई 2010 को भारतीय तटरक्षकों ने 72 छोटी नौकाओं के साथ इन्हें गिरफ्तार किया.

इन गिरफ्तार म्‍यामारी रोहिंगाओं से पूछताछ में खुफिया विभाग को कई चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं. खुफिया विभाग के मुताबिक ये रोहिंगा दो मोर्चे पर अपनी लड़ाई एक साथ लड़ रहे हैं. एक तरफ ये अराकान को स्वतंत्र कराने के लिए पाकिस्तान से मिलने वाली मदद के लिए उसके इशारे पर भारत के खिलाफ गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं, वहीं अराकान में म्‍यांमारी जुंटा सैनिकों द्वारा रोहिंगाओं पर किये जा रहे कथित अत्याचारों के खिलाफ लड़ रहे हैं.


रोहिंगा मुस्लिमों का जीवन : रैन बसेरों में पल रही पीढियां
 अराकान नेशनल रोहिंगा आर्गेनाइजेशन की ओर से 14 फरवरी, 2011 को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गयी जिसमें कहा गया, 'ये सभी रोहिंगा गलती से थाई जल क्षेत्र में चले गये थे.थाई सुरक्षा बलों को उनकी मजबूरी को समझना चाहिए.'

यूनियन रोहिंगा कम्यूनिटी ऑफ यूरोप के महासचिव हमदान क्याव नैंग का कहना है कि म्यांमार में रोहिंगाओं पर जुंटा सैनिक दमन नीति चला रहे हैं. वहां खुलेआम मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है.मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों की रोकथाम के लिए उन्होंने विश्व समुदाय से खासकर भारत से एमनेस्टी इंटरनेशनल पर दबाव बनाने का आग्रह किया है. उन्होंने तीन सितंबर 2008 को बांग्लादेशी अखबार दैनिक युगांतर, पूर्वकोण में प्रकाशित खबर और फोटो को सभी देशों को भेजा था.

इस रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि म्‍यांमार में किस तरह रोहिंगाओं को मस्जिद में नमाज अदा करने से जुटां सैनिकों द्वारा रोका जा रहा है. इसी तरह मांगदोव शहर से सटे रियांगचन गांव के मेई मोहमद रेदान नामक युवक को मानवाधिकार की रक्षा से संबंधित एक पत्रिका का प्रकाशन करने के आरोप में गिरतार किया गया. जुंटा सैनिकों की सहयोगी नसाका फोर्स ने उसे देकीबुनिया शिविर से गिरफ्तार किया और टार्चर किया.  इस क्रम में उसकी जीभ काट ली गई.

इसी तरह यूनियन रोहिंगा कम्यूनिटी ऑफ यूरोप की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया था कि पिछले दो वर्षों में जुंटा सैनिकों द्वारा 17 रोहिंगा समुदाय के धार्मिक नेताओं को गिरफ्तार किया गया, लेकिन अब वह कहां और कैसे हैं? इसकी जानकारी किसी को नहीं है. इन 17 धार्मिक नेताओं में मौलाना मोहमद सोहाब, मौलाना मोहमद नूर हसन, नैमुल हक भी शामिल हैं.


वर्ष 1991से म्यांमार में रोहिंगा और जुंटा सैनिकों के बीच छापामार युद्ध चल रहा है, लेकिन बीते तीन वर्षों से जुंटा सैनिकों ने रोहिंगाओं के आंदोलन को दमन करने का अभियान छेड़ दिया है.सेना के खिलाफ अपने अभियान के लिए वे अब मुस्लिम राष्‍ट्रों की ओर मदद के लिए देख रहे हैं.

बांग्‍लादेश सरकार अपने उस वादे पर भी अमल करती नजर नहीं आ रही जिसमें उसने यह कहा था कि उनके देश की जमीन का इस्‍तेमाल भारत विरोधी कार्यों के लिए नहीं किया जाएगा. जानकारी के अनुसार बांग्‍लोदशी जमीन पर उन्‍हें हर तरह की मदद मुहैया कराई जा रही है, वहीं आईएसआई भी उन्‍हें हथियार चलाने से लेकर अन्‍य सभी तरह के सैन्य प्रशिक्षण देकर भारत में घुसपैठ कराने में जुटी है.

ख़ुफ़िया अधिकारियों के मुताबिक पश्चिम बंगाल के सुंदर वन के जलमार्ग से बांग्लादेश के खुलना और सतखिरा होकर भारत में घुसपैठ कर रहे हैं. गुप्त सूचना के अनुसार कुछ छापामारों के उत्तर चौबीस परगना के बांग्लादेश सीमा से सटे इलाकों और दक्षिण चौबीस परगना के कैनिन, घुटियारी शरीफ, मगराहाट, संग्रामपुर, देउला, मल्लिकपुर और सोनारपुर में बांग्लादेशी घुसपैठियों के बीच छिपे होने की आशंका है. इनमें भारी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं.



 
लेखक हिंदी  साप्ताहिक  पत्रिका  'द  संडे इंडियन' से जुड़े  हैं, उनसे  rajesh06sri@gmail.com  पर संपर्क किया जा सकता है.