कुमार की ठसक को पार्टी और उसके नेता बर्दाश्त नहीं करते। कुमार की इस कमजोरी का भी पार्टी को पता है कि वो भाजपा को लेकर इतने कटु कभी नहीं रहते, जितने कांग्रेस को लेकर....
जनज्वार दिल्ली। आम आदमी पार्टी में एक बात कही जाती है कि यहां कोई भी बयान यूं ही नहीं दे देता, जब तक ऊपर से अनुमति या सहमति न हो। कल दिल्ली के पूर्व संयोजक रहे दिलीप पांडेय का कुमार विश्वास पर ट्वीट करके किया गया हमला स्पष्ट करता है कि अब कुमार पर पार्टी को कितना अविश्वास है।
पर दिलीप पांडेय के ट्वीट ने कुमार को बैकफुट पर ला दिया है। कल से कुमार भाजपा के खिलाफ ट्वीट ओर रिट्वीट कर रहे हैं। कुमार के ट्वीटर हैंडल को देखकर समझ आ जायेगा कि दिलीप का तीर निशाने पर लगा है। यह लड़ाई पंजाब के विधानसभा चुनाव के नतीज़ों के समय से चली आ रही है जो कभी स्पष्ट तो कभी अस्पष्ट रूप से बाहर आ जाती है।
अब एक बात तो तय है कि कुमार आम आदमी पार्टी में अकेले पड़ते नज़र आ रहे हैं। इसका जिक्र वो खुद 2 दिन पहले एनडीटीवी 24/7 को दिए अपने इंटरव्यू में भी कर चुके हैं। इस इंटरव्यू में कुमार खुद को अभिमन्यु की उपाधि दे रहे थे, जो महाभारत में घेरकर मार दिया जाता है। इंटरव्यू लेने वाली पत्रकार भी खुद ये बोल रही थी कि आपके खिलाफ पार्टी के ऊपरी स्तर पर साजिश रची जा रही है। कुमार ने खुद कहा कि उन्हें भी इस बात का इल्म है। आखिर क्या वजह है कि पार्टी के बड़े नेता कुमार को किनारे लगाने में लगे हुए हैं।
दरअसल दिल्ली से राज्यसभा के लिए 3 सांसद जाने हैं। पार्टी के एमएलए के हिसाब से तीनों आप के सांसद राज्यसभा जाएंगे। इसमें से एक सीट के लिए खुले तौर पर कुमार अपनी दावेदारी जताते रहे हैं। और पार्टी तक ये बात पहुंचाते रहे हैं कि उनको राजयसभा के लिए दूसरी पार्टी से भी आॅफर है। कुमार की इसी ठसक को पार्टी और उसके नेता बर्दाश्त नहीं करते। कुमार की इस कमजोरी का भी पार्टी को पता है कि वो भाजपा को लेकर इतने कटु कभी नहीं रहते, जितने कांग्रेस को लेकर।
पार्टी के नेताओं को भी पता है उन्हें राज्यसभा के लिए कहां से आॅफर है। इसी को ध्यान में रखते हुए कल सोच—समझ कर दिलीप पांडेय ने अपने ट्वीट में कुमार पर हमला करते हुए कहा कि क्या बात है भैया आप कांग्रेस को तो खूब गाली देते हो पर कहते हो वसुंधरा के खिलाफ नही बोलेंगे। ऐसा क्यों?
कुमार ने अपने इंटरव्यू में साफ—साफ बोल दिया था कि मुझे पता है पार्टी में कौन—कौन उनके खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं कुछ तो वो हैं, जो इस घर में रहे हैं (इस घर से मतलब कुमार के घर में) और यहीं रोटी खाई है। कुमार को भी अब ये समझ आ रहा है कि इस लड़ाई में उनकी हार निश्चित है इसलिए वो खुद को अभिमन्यु घोषित कर रहे हैं।
इस लड़ाई में किसी को कुछ हासिल हो या न हो पर राजनीति के चलते दो दोस्तों की दोस्ती में जरूर दरार आ गई है। कुमार और मनीष सिसोदिया दोनों गाज़ियाबाद ज़िले के पिलखुआ कस्बे रहने वाले बचपन के दोस्त थे। पर अब दोस्ती में पहले जैसी बात नहीं रह गई है। इसका सबूत रविवार को राजस्थान की पार्टी की वहां के वालंटियर्स की मीटिंग की कुमार और मनीष की फ़ोटो देखकर पता चल जाता है। दोनों एक मंच पर बैठे हैं, पर ऐसा लगता है जैसे दोनों बस एक खानापूर्ति कर रहे हैं। कवि कुमार विश्वास का चेहरा देख साफ पता चल रहा है कि अब उन्हें अपने घनिष्ठ मित्र मनीष से भी कोई उम्मीद नहीं कि वे पार्टी में उनका सपोर्ट करेंगे। कुमार के चेहरे पर गुस्सा साफ दिख रहा है।
इस लड़ाई में एक और अहम किरदार है संजय राघव। ये जनाब मनीष सिसोदिया जी के साले साहब हैं। मनीष भले ही खुद कुमार पर कोई कटाक्ष करने से बचते रहे हों, लेकिन उनका साला संजय राघव जो खुद कुमार के घर के पास रहता है वो कोई भी दिन नहीं छोड़ता जब अपने ट्वीट से कुमार पर आक्रमण न करता हो। इसे मनीष की मौन सहमति कहा जाए या कुछ और। लेकिन इतना तो तय है कि मनीष और कुमार की दोस्ती एक किनारे पर आ गई है, जो कभी भी टूट सकती है।
पार्टी नेताओं को ये आपसी लड़ाई आने वाले दिनों में सोशल मीडिया से निकलकर सड़क पर भी आयेगी। बस इंतज़ार कीजिये कुछ दिनों का।
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