सत्ता बदली है पर यूपी पुलिस नहीं। योगी की घोषणाएं बस जुबानी तीर साबित हो रही हैं और हकीकत में पुलिस अपने उसी रंग में है, जिसको भाजपा गुंडाराज कहते नहीं अघाती थी...
आस मोहम्मद कैफ की रिपोर्ट
विजय वर्मा पुलिसवालों से कहता रहा कि वह पत्रकार है, मगर पुलिस वालों ने उनकी एक न सुनी। उन्हें खंभे से बांधकर बुरी तरह पीटा गया। इस बात की भनक जब नुमायश ग्राउंड में मौजूद कुछ पत्रकारों को लगी तो वो अस्थायी चौकी में पहुंचे और इस घटना का विरोध किया। काफी कहासुनी के बाद देर रात विजय वर्मा को छोड़ा गया।
28 अप्रैल की सुबह जब इस बात की जानकारी जब पत्रकारों को हुई तो उन्होंने पीड़ित पत्रकार विजय वर्मा के साथ उच्चाधिकारियों से भेंट की। पीड़ित ने अपने कपड़े उतारकर चूतड़ और पीठ पर पुलिसिया बर्बरता के निशान दिखाये। घटना की तहरीर मुकदमे के रूप में दर्ज करने के लिए जब पत्रकार कोतवाली नगर गए तो वहां मौजूद अफसर सुलह-समझौते की बात करने लगे मगर पत्रकारों ने भी इसको सम्मान और सुरक्षा से जुड़ा विषय बताकर किसी भी कीमत पर समझौता करने से मना कर दिया।
उच्चाधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद किसी तरह अपराध सं0-594/17 के अंतर्गत धारा- 147, 323, 504 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज हुआ। मुकदमा दर्ज होते ही आरोपी दरोगा यदुवीर सिंह यादव और पांच सिपाहियों को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया।
घटना की जानकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी दी गयी और मानवाधिकार आयोग को भी अवगत कराया गया है। पीड़ित पत्रकार विजय वर्मा पिछड़ी जाति के हैं. वे हिन्दी-अंग्रेजी और लखनऊ-आगरा से प्रकाशित आधा दर्जन अखबारों के स्थानीय स्तर पर स्टाफ रिपोर्टर रहे हैं और साप्ताहिक रहस्य संदेश के जिला प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त हैं।
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