Oct 27, 2016

जिन्हें खोजे नहीं मिल रहे तीन तलाक के मामले, यह रिपोर्ट सिर्फ उनके लिए

कोई जज है, कोई मैनेजर, कोई शिक्षक तो कोई बिजनेसमैन है, पर तीन तलाक बोलकर औरतों के अधिकारों की धज्जियां उड़ाने में कोई किसी से कम नहीं है। अजय प्रकाश की रिपोर्ट

तलाक बोला और घर से भगा दिया जज साहब ने
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद की आफ्सा 45 वर्ष की हो गयीं थीं पर इस डर से शादी नहीं कर रही थीं कि शादी के बाद जब कभी पति की इच्छा होगी, वह तलाक बोल घर से बेदखल कर देगा। वह बीए की पढ़ाई करने के बाद पास के ही एक स्कूल में पढ़ा रही थीं। पर घर वालों के दबाव में 2014 में बड़ी दवाब में उन्होंने अलीगढ़ के 59 वर्षीय अतिरिक्त जिला न्यायाधीश मोहम्मद ज​हीरूद्दीन सिद्दीकी से शादी की। जज साहब की पहली पत्नी की मौत के बाद उनके दो बच्चों के पालन—पोषण की शर्त के साथ आफ्सा उनकी दूसरी पत्नी बनी। जिंदगी कुछ महीनों तक सामान्य चली फिर फरवरी में जज साहब ने पत्नी को घर बेदखल ​कर दिया। पत्नी गिड़गिड़ाती रहीं कि कहां जाउंगी तो उन्होंने कह दिया, अभी जाओ फिर बुला लुंगा। मायके वाले भी मान गए कि चलो नोंक—झोंक के बाद सब ठीक हो जाएगा। पर जब साहब ने पत्नी को वापस बुलाने से मना कर दिया और कह दिया कि मैं तलाक दे चुका हूं। आफ्सा कोर्ट नहीं जाना चाहतीं और उनके भाइयों को लगता है कि बीरादरी वाले निपटा देंगे।

पहले ठग लिया ​फिर तलाक बोल दिया
वरिष्ठ पत्रकार और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता जावेद आनंद बताते हैं मुंबई में एक तलाक पीड़ित मुस्लिम लड़की ने मुझसे संपर्क किया। वह चाहती थी कि उसके पति और चेन्नई के मुख्य मुफ्ती ने उसके साथ जो धोखाधड़ी की है उसके खिलाफ कोई फतवा जारी हो जिससे मौलवी और ​पति को सबक मिले।' लड़की ने बताया, 'मैं एक मल्टीनेशनल बैंक में ​सीनियर एक्ज्यूक्टिव हूं और मेरा मुस्लिम शौहर चेन्नई में ही एक दूसरे मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर है। हम दोनों ने एमबीए हैं। पति ने इंवेस्टमेंट के नाम पर मुझपर भावनात्मक दबाव बनाया और मेरी सैलरी हर महीने अपने खाते में डालता रहा। बाद में मैं अपनी सैलरी उसके खाते में डालने से मना कर दी तो वह बोला खुला 'लड़कियों का अधिकार जिसके ​जरिए वह तलाक दे सकती हैं' दे दो, जबकि मैं इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी। मैंने पैसा मांगा तो वह घर छोड़कर चला गया। मैं उसके घर गई तो कह दिया, मैंने तुम्हें तलाक दे दिया। मुख्य मु्फ्ती के यहां गयी, उसने मुझे डांटकर भगा दिया कि पहले 'खुला' देती हो और अब यहां नाटक करती हो।' जावेद बताते हैं कि फिर मैंने उस लड़की के लिए मुंबई के मुख्य मुफ्ती से मदद मांगी पर वह टाल गए, आख्रिर में पंजाब के मुख्य मुफ्ती फुजैलूर रहमान उस्मानी से गुहार लगाई तो वह फतवा जारी करने को तैयार हुए। उसके बाद कुछ खास हो पाया होगा मुझे नहीं लगता। हां, घरेलू हिंसा कानून के आने के बाद से जरूर मुस्लिम महिलाओं को राहत मिली है।

तीन तलाक के लिए सबसे आसान शब्द 'अवैध संबंध'
तीस हजारी कोर्ट में जज ने जब पूछा कितना पढ़े लिखे हो तो तलाक देने वाले शिक्षक शौहर का जवाब था — एमए, बीएड, एमएड और डायट की डिग्री। दिसंबर 2013 से अदालत में चल रहे इस मामले की शुरुआत उस समय हुई जब शिक्षक पति ने शिक्षिका पत्नी को तीन बार तलाक कह छोड़ गया। पति को संदेह था कि पत्नी का अवैध संबंध है। दो छोटे बच्चों के साथ, पति के मां—बांप को भी पाल रहीं फरहाना बताती हैं कि एक शाम कहीं से वह घूमकर आए। उनके पिता जी ने कोई बात कही। उस पर वह बिगड़े, मैंने हस्तक्षेप किया तो मुझपर आरोप लगाए, कहा तुम्हार अवैध संबंध है और तलाक बोल चलते बने। अब वह सिर्फ तारिखों पर अदालत में आते हैं और सुलह करने की बजाए मुझे बर्बाद करने की धमकी देते हैं।

तलाक वापस नहीं लेंगे चाहे करोड़ों फुंक जाए
कैश 30 लाख रुपए, चार पहिया गाड़ी और दस भर सोना दहेज में देने के बाद दिल्ली के जाफराबाद में हुई एक बिजनेसमैन घराने की शादी तीन महीने भी नहीं चली। शौहर ​साजिद ने लड़की से एक दिन मारपीट कर घर से निकाल दिया। लड़के—लड़की दोनों ने दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी की है। मायके वाले उसे वापस ससुराल लेकर आए तो साजिद और उसके घर वालों ने कह दिया कि मैंने तलाक दे दिया है। इस मामले को देख रहीं सुप्रीम कोर्ट की वकील फरहा फैज कहती हैं, 'ऐसे मामलों में तलाक शब्द ही ब्रम्ह है, मनमानी ही रिवाज है।' साजिद अपनी 23 वर्षीय तलाकशुदा पत्नी को कोर्ट के आदेश के बावजूद 10 हजार महीना के हिसाब से भत्ता देने को तैयार नहीं। एक साल के बकाए का आधा उसने तब दिया है जब कोर्ट ने उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया।

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