आप इस शख्स को ध्यान से देखिए। कैसे यह विकसित होते भारत को बदनाम कर रहा
है। मरी हुई बीवी को कंधे पर लाद के ले जा रहा है। वह भी 10 किलोमीटर। इसे
गौर से पहचान लीजिए। यह उसी कालाहांडी का है जहां भूख से मरने वालों ने देश
की समृद्धि पर दाग लगाई थी, हमारी सभ्यता को दागदार किया था। हो सके तो
इसे देश निकाला देने के लिए अभियान चलाइए। और यकीन कीजिए यह मोदी या नवीन
पटनायक की तरह चार घंटे नहीं सोता होगा। न ही अंबानी, अडानी या टाटा की तरह
हाड़तोड़ मेहनत करता होगा। मेहनत करने वाले कहीं ऐसे मरते हैं। यह दुर्गति
तो मुफ्त में रोटियां तोड़ने वालों की ही होती है। अन्यथा इसकी पत्नी
सरकारी अस्पताल में भगवान भरोसे क्यों मरती। अगर मर भी जाति तो सरकार की
हजारों एंबुलेंस क्या इसे घर तक छोड़ के नहीं आतीं। जरूर इसने मदद नहीं
मांगी होगी। किसी नेता से फोन भी नहीं कराया होगा। पक्का बदमिजाज होगा। मरे
हमें क्या!
और इस लिये ,इस आदमी को विदेशो से भी पैसे मिले,और अपने देश से भी, अरे पागल दुनिया देख के कुछ लिखा कर रे,तेरे जैसे हजारो website खोल कर बैठे है लोग, लेकिन पागलो जैसी बाते नही लिखते,
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