अपराधियों को पुलिस-प्रशासन का कोई खौफ नहीं है। तभी तो दिनदहाड़े महिलाओं और बच्चियों का बलात्कार हो रहा है। कहीं खेत से किसी की लाश मिलती है, तो कहीं बलात्कार की कोशिश में नाकाम रहने पर अपराधी लड़की की आंखें ही फोड़ देते हैं...
डॉ0 आशीष वशिष्ठ
जैसे-जैसे 2012विधानसभा चुनावों का समय नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे विपक्षी दलों के साथ ही साथ अपराधी भी उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार की परीक्षाएं ले रहे हैं। प्रदेशभर में एक के बाद एक हो रहे बलात्कार कांड ने यूपी की कानून-व्यवस्था की पोल-पट्टी खोल कर रख दी है। मायावती कानून व्यवस्था के चुस्त-दुरूस्त होने के चाहे लाख दावे करें,लेकिन बेखौफ अपराधी सरकारी आंकड़ों और दावों को सरेआम मुंह चिढ़ा रहे हैं।
तेरह मई को सरकार के चार साल पूरे होने के अवसर पर जारी पुस्तिका में माया सरकार ने प्रदेश भर में अपराधियों पर नकेल कसने और अपराध नियत्रंण के जो लंबे-चौड़े दावे किए, वो आंकड़ों की धोखेबाजी के अलावा कुछ और दिखाई नहीं देते हैं। मायावती एक ओर अपनी पार्टी के विधायकों और मंत्रियों के कुकृत्यों से परेशान हैं, दूसरी तरफ बेखौफ अपराधी सरकार को खुली चुनौती दे रहे हैं।
प्रदेश में गरीब, किसान, महिलाओं और शोषितों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं है। सरकार दुर्घटना घट जाने पर लाठी पीटने और मुआवजा देकर अपनी छवि सुधारने का काम तो करती है, लेकिन एक बात तो स्पष्ट है कि अपराधियों को पुलिस-प्रशासन का कोई खौफ नहीं है। तभी तो दिनदहाड़े महिलाओं और बच्चियों का बलात्कार हो रहा है। कहीं खेत से किसी की लाश मिलती है, तो कहीं बलात्कार की कोशिश में नाकाम रहने पर अपराधी लड़की की आंखें ही फोड़ देते हैं।
सूबे में कानून व्यवस्था बुरी तरह चरमरा चुकी है। कन्नौज में नाबालिग लड़की से रेप की कोशिश में नाकामी पर आंख फोड़ने की घटना के 48 घंटे के भीतर प्रदेश में में छह और महिलाएं दरिंदों की हवस की शिकार बनीं। इन घटनाओं से लगता है कि यहां हर तरफ जंगलराज कायम हो गया है। पर हद तो तब हो जाती है जब पुलिस कानून व्यवस्था को सही बताते हुए मीडिया पर ही गलत खबर देकर छवि खराब करने का आरोप लगाती है। एडीजे बृजलाल ने मीडिया से कहा कि वो पुलिस की छवि लोगों के बीच खराब न करे। वहीं मुख्य सचिव अनूप मिश्र ने दिल्ली में प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था और 48 घंटों की अंदर 6 बलात्कार और एक बलात्कार की कोशिश के बारे में पूछे गए सवाल को हल्के में लेते हुए ‘ऐसी छोटी-मोटी घटनाएं होती रहती हैं’और ‘प्रदेश में कानून व्यवस्था सामान्य है’ कहकर सरकार का पक्ष रखा।
कन्नौज के गुरपुरवा गांव में एक 14 साल की लड़की से बलात्कार की कोशिश की गई और नाकाम रहने के बाद उसकी आंखों पर घातक वार किए गए। आरोपी कुलदीप और निरंजन यादव उसे रास्ते में रोककर पहले खेतों में ले गए, जहां उसे घसीटा और फिर बलात्कार की कोशिश की। लड़की द्वारा विरोध करने पर उसकी दोनों आंखों पर चाकू से वार किया। बाद में आरोपी बेहोश लड़की को खेत में ही छोड़कर फरार हो गए। गांववालों को जानकारी मिलने के बाद पीड़ित लड़की को अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों के मुताबिक लड़की की एक आंख की रोशनी पूरी तरह चली गई है और शायद ही सामान्य स्थिति में आ पाएगी। उसे इलाज के लिए कानपुर भेज दिया गया।
कन्नौज की घटना के बाद एटा जिले के निधौली कलां थाना क्षेत्र के सभापुर गांव में एक दलित महिला से पांच लोगों ने गैंगरेप किया। गैंगरेप करने के बाद महिला को जला दिया गया। गंभीर रूप से झुलसी महिला की इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई। इस कांड में लिप्त सभी आरोपी फरार हैं। 20 जून की सुबह तैंतीस वर्षीय अनारकली के घर में घुसकर उसके साथ बलात्कार किया गया।
इसी तरह गौंडा के करनैलगंज में एक नाबालिग दलित किशोरी से गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गई। हत्या के बाद बलात्कारी उसके शव को गन्ने के खेत में फेंककर भाग गए। जिले के करनैलगंज के मसौलिया गांव के निवासी राजेश की चौदह वर्षीय बेटी 16जून से ही लापता थी। खेत पर जाने के बाद वह वापस नहीं लौटी। रविवार को गन्ने की खेत से उसका शव बरामद हुआ। उसके साथ भी गैंगरेप होने की आशंका जताई जा रही है। पुलिस ने कहा है कि पोस्टमार्टम के बाद सच सामने आएगा। राजेश ने तीन लोगों के खिलाफ थाने में तहरीर दी है।
फिरोजाबाद के सिरसागंज में भी एक 15 साल की नाबालिग लड़की के साथ कथित रूप से बलात्कार किया गया। मीना बाजार इलाके में लड़की के कथित प्रेमी शानू नाम के लड़के ने अपने दोस्त गट्टू के साथ मिलकर उसका बलात्कार किया। पुलिस ने शानू को गिरफ्तार कर लिया तथा दूसरे आरोपी की तलाश जारी है। बस्ती जिले में 18साल की दलित लड़की के साथ एक युवक ने रेप किया। बताया जा रहा है कि उक्त युवक ने बंदूक की नोक पर लड़की का रेप किया। अपने परिवार के साथ स्टेशन से घर जा रही कानपुर के कर्नलगंज की एक युवती को चार गुंड़ों ने रावतपुर चौराहे से अगवा कर लिया। उसे एक होटल में रखा गया। रविवार की सुबह लड़की सफाई करने वाले लड़के की मदद से किसी तरह भाग निकली।
लड़की के परिजनों की शिकायत पर हरबंश मोहाल पुलिस ने होटल मैनेजर को हिरासत में ले लिया। पुलिस का कहना है कि इस मामले में गैंगरेप की पुष्टि नहीं हुई है। युवती ने बताया कि वो भीड़ की वजह से परिवार से बिछड़ गई थी,जिसके बाद उसको अगवा किया गया। युवती के परिजनों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी रिपोर्ट लिखवाने जाने पर कहा कि कहीं चली गई होगी। बस्ती के रानीपुर बेलादी गांव में एक युवक ने बंदूक की नोंक पर बलात्कार किया। पुलिस ने आरोपी सत्ती सिंह के खिलाफ मामला पंजीबद्ध कर लिया है और आरोपी की तलाश की जा रही है। राज्य में पिछले दिनों अपराध की बढ़ती घटनाओं पर राजनीति भी शुरू हो गई है। कांग्रेस ने यूपी की सत्तारुढ़ बसपा सरकार पर अपराधियों की मदद करने का आरोप लगाया है।
इन घटनाओं से तो यही लगता है लगभग पूरा सरकारी अमला लूटपाट और भ्रष्टाचार में लिप्त है। पुलिस प्रशासन अपने विवेक को एक किनारे रखकर सत्ताधारी दल के एजेंट की भांति काम कर रहा है। कहीं डीआईजी स्तर का अधिकारी किसी प्रदर्षनकारी को जूते से मसलने में शान समझता है,तो कहीं सीओ और एसपी स्तर के अधिकारी अपनी नेम प्लेट छुपाकर अहिंसक प्रदर्शनकारियों पर बर्बरतापूर्वक डंडे बरसाना ही अपनी डयूटी समझते हैं।
मायावती ने चुनावों के मद्देनजर प्रशासनिक अधिकारियों के व्यापक स्तर पर फेरबदल किया है, ताकि चुनावों के समय उनके चहेते पालतू अधिकारी सरकारी एजेंट की भांति सत्ताधारी दल की चाकरी कर सके। निजी स्वार्थों और प्रमोशन के भूखे अधिकारी अपनी जान पर खेलकर बहनजी के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं। सत्ता की चाकरी और चापलूसी के चलते प्रदेश की कानून व्यवस्था चरमरा कर रह गई है। अपराधियों को ये भलीभांति ज्ञान है कि जब प्रदेश में सत्ताधारी दल के विधायक और मंत्री अपराध में संलिप्त है तो उनको पूछने वाला कौन है अर्थात चोर चोर मौसेरे भाई। मायावती सख्त कानून और प्रषासन के चाहे जितने भी दावे करे लेकिन जमीनी सच्चाई किसी से छिपी नहीं है।
भारी जनदबाव और विपक्षी दलों के चिल्लाने पर सरकार की आंख खुलती है और फिर समूचा सरकारी अमला झाडपोंछ और डैमेज कंट्रोल में लग जाता है। सरकार घटना के कारणों को जानने की बजाए लीपापोती में अधिक विश्वास करती है। चाहे किसी भी घटना का इतिहास उठाकर देख लीजिए प्राथमिक स्तर पर सरकारी अमले की नाकामी ही दिखायी देती है। भट्ठा-पारसौल की घटना हो या फिर शीलू बलात्कार कांड, सरकार पहले पहल घटना को छुपाने की ही कोशिश में लग रहती है। मीडिया, जनता और विपक्षी दलों कें हस्तक्षेप के बाद सरकार जाग पाती है।
मुख्मंत्री के मातहत बहनजी को उनके मातहत चाहे जो भी विकास और अपराध नियंत्रण की तस्वीर दिखा रहे हों लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि प्रदेश में गरीब, किसान और महिलाएं अत्यधिक दुःखी और प्रताडित हैं लेकिन सरकारी अमला कागजी कार्रवाई और फर्जी आंकड़ेबाजी में मशगूल है।
स्वतंत्र पत्रकार और उत्तर प्रदेश के राजनितिक -सामाजिक मसलों के जानकार .
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