बिनायक सेन के योजना आयोग में शामिल होते ही छत्तीसगढ़ सरकार को अचानक देश के सारे क़ानून याद आ गए. और इतने ज्यादा कानून याद आ गए कि प्रधानमंत्री को भी क़ानून पढ़ाने चढ़ बैठे...
हिमांशु कुमार
बड़े-बूढों ने कितना सही कहा है कि उसके घर में देर है अंधेर नहीं. हम अब तक छत्तीसगढ़ की सरकार को पानी पी-पीकर कोस रहे थे कि इन्हें कानून की कोई फ़िक्र नहीं है, लेकिन रमन सिंह ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर हमारे सारे आरोपों को एक झटके में हवा में उड़ा दिया. बिनायक सेन के योजना आयोग में शामिल होते ही छत्तीसगढ़ सरकार को अचानक देश के सारे क़ानून याद आ गए. और इतने ज्यादा कानून याद आ गए कि प्रधानमंत्री को भी क़ानून पढ़ाने चढ़ बैठे. और उन्हें समझा दिया की प्रधानमंत्री ने कितना बड़ा गैरकानूनी काम कर दिया है.
विनायक सेन |
आज मेरा दिल खुशी से हवा में जैसे पंख लगाकर उड़ रहा है. वाह! अब हमारे स्वर्णिम छत्तीसगढ़ में सारे काम क़ानून से होंगे.मजदूरों को अब सरकारी मजदूरी दो साल बाद नहीं, बल्कि कानून के मुताबिक पंद्रह दिन में मिल जाया करेगी. बस्तर में सरकार ने जिन आदिवासियों के घरों की 'सलवा जुडूम' यज्ञ में आहुति दी थी, अब कानून का पालन करके सरकार उन सबको जले मकानों का मुआवजा देगी.
अब जिन आदिवासी लड़कियों के बलात्कारी रमन सिंह जी को मिल ही नहीं रहे थे (हालाँकि वही लोग अभी भी नए गाँवों को जलाकर जमीनें उद्योगपतियों के लिए खाली कर रहे थे, स्वामी अग्निवेश और पत्रकारों पर हमला कर रहे थे) वो सब अब मिल जायेंगे. और रमन सिंह जी उन लगातार तनख्वाह ले रहे, पर फरार चल रहे पुलिसवालों और एसपीओ को क़ानून का पालन सुनिश्चित करते हुए क़ानून के हवाले कर देंगे. वाह! मज़ा आ जायेगा. अब तो कोई भी पत्रकार दंतेवाडा जा सकेगा. आदिवासियों से मिल सकेगा. अब छत्तीसगढ़ में भारत का संविधान फिर लागू हो गया रे! दुःख भरे दिन बीते रे भैय्या...
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