Apr 24, 2011

प्रार्थना कीजिये अब आत्हत्याओं का सिलसिला न शुरू हो


जनज्वार। राजनीतिक गलियारों से लेकर खेल के मैदान तक आजीवन फैले रहे ख्यात तांत्रिक सत्य साईं बाबा की आज सुबह साढे़ सात बजे मौत हो गयी। देश- दुनिया में बसे उनके लाखों भक्तों को बाबा के मरने का गहरा अफसोस है और वे मातम मना रहे हैं। लेकिन  कहीं यह मातम आत्महत्याओं में तब्दील ना हो, सरकार को इसका विशेष ध्यान  रखना पड़ेगा.   

आज सुबह बाबा की जांच कर रहे डाक्टरों ने साफ कह दिया था कि घटते ब्लड प्रेशर के कारण उनके अंग अब काम नहीं कर रहे हैं। उनके स्वास्थ्य को लेकर डॉक्टरों के हाथ खड़ा करने के बाद देष-दुनिया में फैले उनके भक्तों को सिर्फ बाबा के अंतिम समय का ही इंतजार रह गया था। हालांकि इनमें से बहुतों को उम्मीद थी कि बाबा कोई चमत्कार कर देंगे जिससे मौत उनके दरवाजे से लौट जायेगी, लेकिन सत्य साईं भक्तों की इस उम्मीद पर अपने जीवन के अंतिम समय में खरा नहीं उतर सके।

साईं की बिगड़ती हालत का समाचार सुनकर लाखों  की संख्या में पहुंचे भक्त जो थोड़ी देर पहले तक किसी चमत्कार की उम्मीद में आंध्र प्रदेष के पुट्टापर्थी स्थित आश्रम के आसपास प्रार्थना में जुटे थे,अब मातम मना रहे हैं। गौरतलब है कि साईं बाबा 28मार्च से साईं बाबा उच्च आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती थे।

अगर किसी के मरने के बाद सबसे प्रचलित टिप्पणी का सहारा लिया जाये तो कहा जा सकता है कि ‘भाग्य का लेखा कौन मिटा सकता है और एक न एक दिन सबको तो ये दुनिया छोड़ कर जाना ही है।’ जाहिर तौर पर मातम के माहौल में यह टिप्पणी दुखितों के लिए राहत का काम करती है।

मगर सवाल है कि क्या साईं से गहरे जुड़े भक्तों पर यह टिप्पणी कोई असर कर पायेगी या उनके कुछ सैकड़ा भक्त अपने आदि गुरू साईं के मरने के शोक में आत्महत्या करेंगे। आंध्र में ऐसी पिछली वारदात याद करें तो प्रदेश के मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी की हेलीकाप्टर दुर्घटना में मौत की खबर सुनकर कई सैकड़ा लोगों ने दुखित होकर आत्महत्याएं की थीं।

अब जबकि साईं मर चुके हैं और किसी भी राजनेता के मुकाबले उनके भक्तों की संख्या ज्यादा है, इसके मद्देनजर सरकार ने कोई एहतियात बरता है कि लोग आत्महत्या करने की मानसिकता में न जायें। कहीं ऐसा न हो कि बाबा की षव यात्रा के बाद या साथ में ही भक्तों की षवयात्राएं निकलें। इस संभावना से इसलिए भी इनकार नहीं किया जा सकता कि अपने प्रिय लोगों की मौत के बाद उनको चाहने वालों की आत्महत्या का तमिलनाडू और आंध््रा में पुराना रिकार्ड है।

ऐसे में इस मानसिक दासता से भक्तों को उबारने का कोई उपाय सरकार और बाबा से जुड़ी संस्थाओं को करना चाहिए। संभव है वह कोई अपील आदि का तरीका हो। दूसरा अगर आम लोग आत्महत्याएं करेंगे तो उनके परिवार उजड़ जायेंगे।

बाबा तो अपने पीछे चालीस हजार करोड़ की संपत्ति छोड़ गये हैं, मगर उनके भक्तों के साथ तो यह सुविधा नहीं होगी। उपर से सरकार भी बाबा के दुख में मरने वाले परिवारों को कोई मुआवजा नहीं देगी। इसलिए कहीं ऐसा न हो कि बाबा के साथ मुक्ति की चाह में मरने वाले भक्तों के परिवार 40 रूपये के लिए भी तरसें।

3 comments:

  1. Saurabh Srivastava, panchkulaSunday, April 24, 2011

    haan ab to baba mar gaye ab logon ko nahin marna chahiye. agar baba ke 40 hajar karod men se ek-do karod bhi mile to marne men jyade dikkat nahin hai.haan magar bivi vafadar honi chiye. nahin to idhar mare aur udhar vah saain aur bhakt ke marne ke shok men hanimoon par

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  2. bahut accha janjwar. iski paryapt sambhavna ho sakti hai. samay par sarkar ko isko rokane ka tatkal upay karna chahiye. sahi samay par news likhne men janjwar bejod hai bhaiyon.

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  3. http://exposedsaibaba.blogspot.com/


    आम आदमी मरता है तो लोग कहते हैं--भगवान की मर्जी --या भगवान ने अपने पास बुला लिया,वगैरह वगैरह ...साईं भगवान मर गए ये किसके पास गए.?

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