Apr 19, 2011

नेपाली कवि निभा शाह की कवितायें


मार्क्स की खेती

नीचे-नीचे तहखाना बनाया, वेश्यालय चलाया
ऊपर-ऊपर पार्टी बनाई देश  चलाया
क्या गजब का देश
क्या गजब है देश
वेश्यालय  के दलाल भी खुद
देश के मुखिया भी खुद
दलाल और मुखिया का फ्यूजन
क्या गजब का देश
क्या गजब है देश.

नीचे-नीचे तहखाना बनाया
इंसान की लाश बिछाई
ऊपर-ऊपर बुद्ध की मूर्ति  बनाई
ओम शांति  फैलाई
क्या गजब का देश
क्या गजब है देश
बुद्ध भी खुद
जल्लाद भी खुद
बुद्ध और जल्लाद का फ्यूजन
क्या गजब का देश
क्या गजब है देश.

नीचे-नीचे तहखाना बनाया
रामनाम चलाया
ऊपर-ऊपर हंसिया-हथौड़ा बनाया
मार्क्सवाद चलाया
क्या गजब का देश
क्या गजब है देश
राम का हनुमान भी खुद
मार्क्स का लेनिन भी खुद
लेनिन और हनुमान का फ्यूजन
क्या गजब का देश  
क्या गजब है देश

नीचे-नीचे तहखाना बनाया
देश का व्यापार चलाया
ऊपर-ऊपर मां का हृदय बनाया
राष्ट्रीयता  का नारा चलाया
क्या गजब का देश
क्या गजब है देश
लेन्डुप भी खुद
भीमसेन भी खुद
लेन्डुप और भीमसेन का फ्यूजन
क्या गजब का देश
क्या गजब है देश

गांधारी की पट्टी कब खुलेगी
जब गांधारी की पट्टी खुलेगी
एक दिन होगा
वो मेरा देश।

फुटनोट : - 1. लेन्डुप : 1971 में सिक्किम के भारत में विलय के समय सिक्किम का प्रधानमंत्री
2. भीमसेन : 1800 सदी  के आस पास नेपाल-ब्रिटिश  के बीच चले भीषण  युद्धों में नेपाली सेना का
प्रधान सेनापति, जिसके नेतृत्व में नेपाल की गोरखाली सेना ने कई युद्धों में अंग्रेजों को हराया।
.........................................................................................
मनसरा

पसीना बहाकर ही अगर दुनिया बदलनी होती
तो फिर क्या था मनसरा
भरिया की दुनिया कब की बदल गयी होती
खून बहाकर ही अगर दुनिया बदल गयी होती
तो क्या था मनसरा
जनता की दुनिया कब की बदल गयी होती
जबकि मनसरा
खून-पसीने से ही तो दुनिया बदलती है
खून-पसीने से न बदली हुई दुनिया क्यों नहीं बदलती
कभी आग की भरभराहट सुनी है मनसरा
आग बोलती है-आग की आवाज सुनो मनसरा

खुद की चीरी हुई लकड़ी
आग कोई और जलाये
आग अपनी नहीं होती मनसरा
आग अपनी न होने से उजाला अपना नहीं होता
उजाला अपना नहीं होने से दुनिया नहीं बदलती मनसरा
कभी आग की भरभराहट सुनी है मनसरा
आग बोलती है-आग की आवाज सुनो मनसरा

खुद की खोरिया खनी गयी खेत
औरों के नाम पर नामकरण होने से
मिट्टी अपनी नहीं होती
मिट्टी अपनी नहीं होने से
पेटभर अनाज नहीं होता
पेटभर अनाज न होने से
दुनिया नहीं बदलती मनसरा
कभी आग भुरभुराते हुए सुना है मनसरा
आग बोलती है, आग की आवाज सुनो मनसरा।

खुद की चलायी हुई बंदूक
निर्देशन कोई और करे
सत्ता अपनी नहीं होती
सत्ता अपनी न होने से
दुनिया नहीं बदलती मनसरा
कभी आग भरभराते हुए सुना है मनसरा
आग बोलती है, आग की आवाज सुनो मनसरा।


(पहली बार चर्चित नेपाली प्रगतिशील मासिक पत्रिका मूल्याङ्कन में मार्च २००९ में अंतर्राष्ट्रीय  महिला दिवस के अवसर पर प्रकाशित।)फुटनोट  -1. भरिया; भूमिहीन खेतीहर मजदूर  2. खोरिया; जमीन का एक हिस्सा जिसे पहली बार जंगल काट कर खेती योग्य बनाया गया.मूलतः  थारु भाषा का शब्द. 3. मनसरा  : दमित और उत्पीडित जनता का प्रतीक.
......................................................................................................................................

शहीद

क्रांति के व्यापार में
शहीद का खून प्रधानमंत्री बन जाता है
शहीद के सपने मूर्ति बन जाते हैं।
और जब क्रांति व्यापार में बदल जाती है
तो शहीद का खून
21वीं सदी का जंगबहादुर बन जाता है।
शहीद मूर्ति बन जाते हैं
जनता गांधारी बन जाती है।
(३ फरवरी 2011)

फुटनोट:1. जंगबहादुर - नेपाल में 104 साल तक चले राणा वंश  का  संस्थापक  तानाशाह प्रधानमंत्री
...................................................................................................................

लालबहादुर का छौंका

नेपाल की सार्वभौमिकता साउथ ब्लाक में गिरवी  रखने के बाद
कुर्सी फल प्राप्ति होने वाले इस देश में
कल तक जनता के रक्त से पिचकारी खेलने वाले भी यही
आज शहीद के सम्मान में मौन धारण करने वाले भी यही
यही ही क्यूं
वो भी तो,
वही लालबहादुर का छौंका

औरों की चीरी हुई लकड़ी
खुद बेचने वाले लालबहादुर
औरों की जलायी हुई आग
खुद तापने वाले लालबहादुर
औरों के बनाये हुए झण्डे खुद फहराने वाले लालबहादुर
औरों के चलाये हथियार खुद आत्मसमर्पण करने वाले लालबहादुर
औरों के सिले हुए कपड़े खुद पहनने वाले लालबहादुर

हां वही लालबहादुर
इस दौर में क्या कर रहे हैं पता है मनसरा?
इस दौर में तो लालबहादुर का छौंका
नाभि  के नीचे चोली और नाभि के ऊपर पेटीकोट पहनकर
तुंडीखेल और कैंटोनमेंट के रंगमंच में बिना नकाब के लाखे नाच नाच रहे हैं

हां इस दौर के फागुन 1 में लालबहादुर
बिना नकाब के लाखे नाच नाच रहे हैं
इसलिए तो

अब यह देश चाहिये किसको?
यह देश पराजितों को चाहिए
पराजितों का इतिहास होगा
पराजित ही लिखेंगे
थबांग और सुखानी की गाथा
अद्दाम और कालीकोट की गाथा
क्योंकि 
पराजितों को ही नया महाभारत चाहिए
पराजितों को ही नया विश्व  चाहिए
पराजित ही लिखेंगे नया महाभारत
अपने हस्ताक्षर का एक नया महाभारत।
................................................................................................................

फुटनोट: (22 जनवरी 2011 को लिखी गयी कविता. उसी दिन शक्तिखोर  कांटोनमेंट  में शान्ति समझौते के तहत नेपाली  माओवादी पार्टी के प्रमुख प्रचण्ड और तत्कालीन प्रधानमंत्री  माधव कुमार नेपाल ने जनमुक्ति सेना (नेपाल) को विशेष समिति के अन्तर्गत रखने के लिए समझौता किया था.)
1. टूंडीखेल - काठमांडू स्थित नेपाली सेना मुख्यालय द्वारा अधिगृहित   पार्क
2. लाखे नाच- नेवारी जनजाति का एक प्रसिद्ध नृत्य जिसमें  पुरुष बुरका पहन या भड़कीले मुखड़े लगा कर नाचते हैं.
3. फागुन 1:  इस दिन को नेपाली माओवादी जनयुद्ध दिवस के रूप में मनातें हैं.
4. थावांग- नेकपा माओवादी द्वारा शुरु किये गए जनयुद्ध का अति महत्वपूर्ण केंद्र जिसे उन्होंने नेपाल के येनान की संज्ञा दी.
5. सुखानी-  सत्तर के दशक में झापा जिले के एक गाँव में नेपाली कम्युनिस्ट  द्वारा संगठित किसान  विद्रोह  जिसे तत्कालीन पंचायत तानाशाही ने निर्ममता से कुचल दिया.
6. अछाम - पशिमी नेपाल के अछाम जिला. 16 फरवरी 2002 में अछाम जिले के मुख्यालय मंगलसेन में नेपाली माओवादी जनमुक्ति सेना द्वारा शाही नेपाली सेना पर किया गया भीषण हमला.
7. कालिकोट-  पुलिस दमन के विरोध  में 10 मई 1999 को कालिकोट जिले के पवानघात में निशस्त्र ग्रामीण महिलाओं ने  पुलिसवालों से बड़ी मात्रा में हथियार  कब्जे में लिए.



प्रारम्भिक  शिक्षा  कालिकोट और काठमांडू  में हुई.  बाद  में भारत (लखनऊ , दिल्ली) से  पत्रकारिता  की  पढाई. 
इसी  दौरान नेपाल में चल रहे माओवादी जनयुद्ध से गहरे प्रभावित हुईं और दिल्ली पुलिस द्वारा 10  जुलाई 2002 को नेपाली माओवादी नेता पार्थ क्षेत्री  के साथ गिरफ्तार. अगले  दिन नेपाली शाही सेना को सुपुर्दगी के बाद करीब  2 साल नेपाल के विभिन्न जेलों  में सजायाफ्ता.   नेपाली साहित्य जगत में चर्चित 'पारिजात साहित्यिक  पुरस्कार' से हाल में इन्हें सम्मानित किया गया है. नेपाल की   इस कवि से जनज्वार के पाठकों का परिचय जेएनयू से समाज शास्त्र में पीएचडी कर रहे पवन पटेल के जरिये हो पाया है. मूल नेपाली से हिन्दी अनुवाद भी पवन ने ही किया है.



1 comment:

  1. bejod kavitayen. agar halat aise ho gaye hain bahut dukhdayi hai

    ReplyDelete