जन लोकपाल विधेयक की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर जारी आमरण-अनशन के मसले पर जनज्वार लगातार आपके बीच है. इसी कड़ी में जनज्वार ने अपने सहयोगियों की मदद से 'जंतर-मंतर' डायरी की शुरुआत की है. साथ ही हमारी कोशिश होगी कि अन्ना आन्दोलन के पक्ष-विपक्ष में खुलकर बात हो, जिससे जनतांत्रिक आंदोलनों को और मजबूती मिले. ख़बरों और बहसों की इस पूरी कड़ी को आप दाहिनी और सबसे ऊपर भी देख सकते हैं...एक महत्वपूर्ण बात और . मीडिया माध्यमों से जुड़े जो भी साथी जनज्वार पर छप रही डायरी को अपने माध्यमों के जरिये प्रसारित कर रहे हैं , वे उसे डायरी के तौर पर ही प्रसारित करें, किसी व्यक्ति विशेष के नाम से नहीं. डायरी जनज्वार टीम के अलग-अलग सदस्य लिख रहे हैं...मॉडरेटर
इस बीच एक आइसक्रीम बेचने वाला भी अपना दुखड़ा बताने चला आया कि आज तो इडिया गेट पर धंधा ही मंदा हो गया है.सब लोग यहीं आ गए हैं, सो हम भी चले यहाँ चले आए हैं...
इस बीच एक आइसक्रीम बेचने वाला भी अपना दुखड़ा बताने चला आया कि आज तो इडिया गेट पर धंधा ही मंदा हो गया है.सब लोग यहीं आ गए हैं, सो हम भी चले यहाँ चले आए हैं...
जंतर मंतर डायरी - 4
किशन बाबूराव ऊर्फ अण्णा हजारे के आमरण अनशन का गुरुवार को तीसरा दिन था.उन्हें समर्थन देने वालों का जमावड़ा लगा रहा. इनमें चलचित्र जगत के कई नाम शामिल थे.जंतर-मंतर पर पिछले तीन दिन से मोमबत्ती ब्रिगेड सक्रिय है.जगह-जगह मोमबत्तियां जलाई जा रही हैं.
इस दृश्य को अपने कैमरे में कैद करने के लिए टीवी वाले सक्रिय हैं.शॉट को और सजीव और जीवंत बनाने के लिए वे मोमबत्तियां और झंडे बांटते नजर आए.एक अदद बेहतर विजुअल का सवाल था.
टीवी चैनलों को भ्रष्टाचार के भ्रष्टाचार विरोधी भीड़ में इतनी टीआरपी नजर आ रही है कि कुछ ने तो जंतर मंतर पर ही रस्सी और कुछ कुर्सियों पर के सहारे अस्थायी स्टूडियो ही बना लिया है.
गुरुवार शाम एक ऐसे ही स्टूडियो में टीवी पत्रकारिता के महान स्तंभ कहे जाने वाले राजदीप सरदेसाई स्वामी अग्निवेश और लार्ड मेघनाथ देसाई के साथ भ्रष्टाचार पर चर्चा करने में मशगूल थे. वे देश में भ्रष्टाचार की जड़ें तलाशने और उसे काटकर सुखाने की तरकीब की खोज में जंतर-मंतर पहुंचे थे.
ये वही सरदेसाई थे जिन्होंने संसद में वोट के बदले हुए नोट के खेल का स्टिंग आपरेशन करवाया था.इसमें उनके कई प्रिय और अप्रिय लोग शामिल थे, लेकिन स्टिंग आपरेशन के टेप को अपने दर्शकों को दिखाने की जगह माननीय लोकसभा अध्यक्ष को सौंपना जरूरी समझा था. मैं आज तक यह नहीं समझ पाया कि सरदेसाई की जवाबदेही किसके प्रति थी लोकसभा अध्यक्ष या अपने दर्शकों के प्रति. इसका जवाब शायद वही दे पायें. अगर कभी मिलें तो आपलोग पूछिएगा जरूर.
एक बात पर आपको यकीन नहीं होगा लेकिन कसम से कह रहा हूँ कि गुरुवार को जंतर-मंतर पर अण्णा को समर्थन देने दूसरे ग्रहों को प्राणी भी पहुँचे थे.वे देखने में तो बिल्कुल पृथ्वीवासी ही लग रहे थे,लेकिन अंतर बस इतना ही था कि उनकी सींग थी.पूछने पर बताया कि पृथ्वी पर बढ़ते भ्रष्टाचार को बढ़ता देख वे यहाँ आने से खुद को रोक नहीं पाए.मेरा एक साथी तो उन्हें कौतुहलवश मुहँ फाड़कर देखता ही रह गया. वह ऐसे प्राणियों को पहली बार देख रहा था.
अब जहाँ इतना बड़ा मजमा लगा हो कुछ लोग अपना फायदा देखकर आ जाते हैं(जैसे बाकी के लोग केवल देशहित में वहाँ पहुँचे थे). जंतर-मंतर पर भी कुछ ऐसे लोग पहुंचे. इनमें प्रमुख थे, रेहड़ी-पटरी वाले और कबाड़ बीनने वाले. एक कबाड़ी ने बताया, जानते हैं भइया, यहां जो लोग आए हैं उनकी हर चीज हाई-फाई होती है, जैसे वे कभी हैंडपंप या वाटरसप्लाई का पानी नहीं पीते हैं, जब भी पीते हैं बोतल वाला पानी ही पीते हैं. इसलिए मुझे यहां कबाड़ मिलने की उम्मीद थी. इसलिए मै जंतर-मंतर आ गया. आप देख ही रहे हैं चारों तरफ बोतले-बोतलें ही पड़ी हैं.
इस बीच एक आइसक्रीम बेचने वाले भी अपना दुखड़ा बताने चला आया.उसने बताया कि आज तो इडिया गेट पर धंधा ही मंदा हो गया है.सब लोग यहीं आ गए हैं.सो हम भी चले यहाँ चले आए, आखिर पापी पेट का सवाल है.
गुरुवार को अण्णा का आमरण अनशन कुछ रंग लाता दिखा.सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री और वकील कपिल सिब्बल अण्णा से बातचीत करने पहुँचे. उन्होंने इस अभियान में प्रमुख भूमिका निभा रहे अरविंद केजरीवाल और आर्य समाजी नेता स्वामी अग्निवेश से बातचीत की.
सरकार अभियानकारियों की पांच प्रमुख मांगों में से तीन पर सहमत हो गई है. लेकिन दो बातों पर गाड़ी अटक गई है. इनमें से एक है जन लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने वाली समिति का प्रमुख अण्णा को बनाना.कांग्रेस नीत सरकार का कहना है कि इस समिति के अध्यक्ष कांग्रेस की परंपरा के मुताबिक वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ही होंगे.दूसरी मांग समिति के गठन की अधिसूचना जारी करना है. सरकार इस पर सहमत नहीं है.अभियानकारियों का कहना है कि क्या भरोसा सरकार कल अपनी ही बात से मुकर जाए.
अण्णा भी मसौदा समिति का अध्यक्ष बनने को राजी नहीं हुए,वे चाह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट का कोई पूर्व न्यायाधीश इसकी अध्यक्षता करे.इन बिंदुओं पर अरविंद केजरीवाल और स्वामी अग्निवेश, सरकार ऊर्फ कपिल सिब्बल से शुक्रवार सुबह एक और दौर की बातचीत करेंगे.इस बात की संभावना है कि सरकार इन मांगों को भी मान ले और शुक्रवार को अण्णा खाना-पीना शुरू कर दें, जय हो.
जंतर मंतर पर कुछ ऐसे लोग भी मिले जिन्हें अण्णा के इस अभियान के पीछे कांग्रेस का हाथ नजर आ रहा है.उनका तर्क था कि काग्रेस अण्णा के दम पर काली कमाई और भ्रष्टाचार को हथियार बनाकर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे स्वामी रामदेव और भ्रष्टाचार के नाम पर देशभर में रैलियां करने की घोषणा कर चुकी भारतीय जनता पार्टी को एक साथ निपटाना चाहती है.
उनका कहना था कि सरकार जन लोकपाल विधेयक को लाकर राष्ट्रमंडल खेल,आर्दश हाउसिंग घोटाला,टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला,एस बैंड घोटाला को ठंडे बस्ते में डालना चाहती है.लो भाई जन लोकपाल आ गया, अब वही इनकी जांच करेगा. इससे शायद 2014 की चुनावी वैतरणी पार कर जाए कांग्रेस. चलो, कोई नहीं कांग्रेस अपने राजकुमार के मिशन-14 के रास्ते का एक और रोड़ा हटाने में सफल रही.
बहुत अच्छा अजय. लोकपल का गुब्बारा फूटने तक रिपोर्टिंग जारी रहनी चाहिए.
ReplyDeleteथोड़ा यह विमर्श भी ज़रूरी है कि लोकपाल का गुब्बारा फूटने के बाद भ्रष्टाचार कैसे ख़त्म होगा ?
ReplyDeleteअन्ना की इस पहल का समर्थन है, और खुशी है कि लोग सामाजिक सरोकार के लिए घर दफ्तरों से निकल रहे है. जनतंत्र म बिना लोगो की भागीदारी के बेमतलब है. परन्तु लोकपाल बिल सिर्फ एक स्टेप है सही दिशा में. बाकी उसकी सीमा है, उससे हमारा समाज किसी बदलाव म...ें नहीं जाने वाला. क़ानून और उस क़ानून का भी पालन इसी समाज में होना है, जाने पहचाने रास्तों से बहुत अलग नहीं होगा. लोगो को उस पर भी नज़र रखनी होगी. इस सीमा के साथ ही इस आंदोलन को देखना होगा. ये मूढता है,कि भारत माता एक सम्भ्रांत जेवर और गहनों से भरी औरत है, जबकि स्वास्थ्य और शिक्षा और नागरिक अधिकारों में बहुसंख्यक औरते और बच्चे इस देश में सबसे निचले पायदान पर खड़े है. ये मूढता है, और उन सब लोगों के लिए जो इस देश में सबके लिए सामान अवसर और न्याय चाहते है, एक जीता जागता सिम्बल है कि लड़ाई बहुत छोटे है, उसे बड़े धरातल तक बढाने की ज़रूरत है.
ReplyDeleteलो जी 4 दिन से चल रही नौटंकी ख़त्म. अब लोकपाल बिल का झुनझुना बजाते हुए ख़ुशी-ख़ुशी अपने घर जाओ जी !!! घोटालों का क्या है, इतने बड़े देश में घोटाले तो होते रहते है. अब जन लोकपाल भी आने वाले है. यानि अपने देश के आंगन में १ और सफ़ेद हाथी खड़ा होगा. अब इसको भी चराते रहो, वर्ना बेचारा दूसरे सफ़ेद हाथियों के चारे का हिसाब किताब रखने के लिए ताकत कहाँ से लायेगा? सरकार की तो पौ-बारह हो गई. बेचारी उमा भारती और चौटाला जी के नसीब में तो अन्ना की उडती नज़र तक ना थी., लेकिन सोनियाji को प्रजापालक, राष्ट्रहित चिन्तक राजमाता होने का certificate थामने में ज़रा भी देर नहीं की अन्ना ने. क्या हुआ अगर गाँधी परिवार के स्विस बैंक खातो में अरबों रुपये जमा हैं? भाई वो भारत के भाग्य विधाता है, उन्हें इतना हक तो है ही की जनता की कमाई से थोडा अपने लिए रख ले. आजकल काले धन से खरीदे designer कपडे चढ़ा के भ्रष्टाचार के खिलाफ नारे लगाना लेटेस्ट ट्रेंड है जी. जंतर-मंतर पेज-३ hot-spot है. अख़बार में फोटो और साथ में "बुद्धिजीवी", चिन्तक, सामाजिक कार्यकर्ता जैसे तमगे फ्री! फायदे का सौदा है जी , आप भी झपट लो.
ReplyDelete