जनज्वार. बरेली जेल में बंद आतंकवाद के आरोपियों से मिलने गए परिजनों को पुलिस द्वारा पिटे जाने का विरोध शुरू हो गया है.सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय ने जारी विज्ञप्ति में इस घटना की निंदा की है और दोषी पुलिकर्मियों पर करवाई की मांग की है. वहीं मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल ने पुरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए दोषी जेल और पुलिस अधिकारियों को तत्काल निलंबित करने की भी मांग की है।
पीयूसीएल के प्रदेश संगठन सचिव राजीव यादव और शहनवाज आलम ने जारी विज्ञप्ति मे घटना के पीछे गहरी साजिश का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि चुंकि पुलिस रामपुर सीआरपएफ कैम्प पर हुए कथित आतंकी हमले में गिरतार लोंगों के खिलाफ कोई सुबूत कोर्ट में पेश नही कर पाई है इसलिए उसने निराशा में आरोपियों के परिजनों की, जो उनसे जेल में मिलनें आये थे, आधे घंटे तक बर्बर पिटाई की। जेल में हुई इस आपराधिक घटना के दौरान बच्चों सहित कई महिलाओं को चोट आई है.
मानवाधिकार नेताओं का आरोप है कि पुलिस आरोपियो के परिजनों को मारपीट कर उनके मनोबल को तोड़ना चाहती है ताकि वे ठीक से पैरवी ना कर सकें। वहीं,साम्प्रदायिकता के खिलाफ काम करने वाले संगठन डिबेट सोसायटी ने भी इस पुलिसिया कार्यवाही की आलोचना की है। संगठन के नेता रवि षेखर और एकता सिहं नें सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि रामपुर सी0आर0पी0एफ0 कैम्प की घटना की सत्यता पर शुरू से ही सवाल उठते रहें हैं।
यहाँ तक कि प्रदेश की कचहरियों में हुए धमाकों पर जब तत्कालीन केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल नें सीबीआई जांच की मांग की थी तब प्रदेश की मुख्यमंत्री ने उन्हें पहले रामपुर की घटना की सीबीआई जांच कराने की चुनौती दी थी। इसके बाद जांच का मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
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