करोड़ों रूपये खर्च कर सरकार देश के नागरिकों को जागरूक करती है, लेकिन उसी जागरूकता की जिम्मेदारी मुफ्त में निभाने की कोशिश की तो एक युवा मुजरिम बन गया...
एक हैं राम प्रकाश। उन्हें गांव वाले सामाजिक रूप से एक जागरूक युवा मानते हैं। ऐसा इसलिए है कि राम प्रकाश अपने गांव और समाज की जरूरतों की फिक्र करते हैं। उसी फिक्र में राम प्रकाश ने अपने साथियों संग मिलकर गांव की समस्याओं को दीवारों पर लिख डाला जिससे कभी अधिकारी -मंत्री आयें तो उनकी सामने गांव की तस्वीर साफ रहे।
लेकिन जागरूकता की जिम्मेदारी निभाना उत्तर प्रदेश सरकार हरदोई जिले के जिलाधिकारी एके सिंह की निगाह में जुर्म है । जिलाधिकारी महोदय के इशारे पर जिले के पुलिस वाले रामप्रकाश की गिरफ्तारी और कुटाई के लिए लगातार संभावित जगहों पर दबीश दे रहे हैं।
राम प्रकाश के नेतृत्व में हुआ दीवार लेखन उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के जिलाधिकारी एके सिंह के लिए निगाह में जुर्म इसलिए दिखा क्योंकि इसके रहते जिलाधिकारी जनता के अपराधी माने जाते।
दरअसल जिस गांव में जनससमयाओं को लेकर दीवार लेखन किया गया था उस गांव में अगले कुछ दिनों में प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती दौरे पर आनेवाली थीं। उससे पहले इलाके में जिलाधिकारी एके सिंह के मनमाफिक सब हो रहा है या नहीं उसे 22 फरवरी को देखने क्षेत्र में दौरे पर आये। उसमें एक गांव लाला मऊ मवई भी था। वहां पहुंच कर डीएम साहब की निगाहें उन नारों पर पड़ी जो गांव में जारी अव्यवस्था और मांगों पर सुनवाई न होने को लेकर थीं।
इसमें मुख्य मांग प्राथमिक विद्यालय की अपूर्ण दीवार को पूरा करने की थी। इसके अलावा एक स्वास्थ्य उप-केन्द्र के स्वीकृत की भी चर्चा थी जिसे ईंट भट्ठा मालिक अमित सिंह गांव जखसरा में बनवाना चाहते हैं जबकि गांव वाले लाला मऊ बनवाना चाहते हैं। तीसरी मांग के तौर पर पास में बहने वाली नहर के पानी को गांव में लाने के लिए नहर पर एक झाल बनवाने की बात दीवारों पर लिखी गयी थी।
इन मांगों को लिखा देख जिलाधिकारी काफी नाराज हुए। अपनी नाराजगी की अभिव्यक्ति उन्होंने पुलिस को राम प्रकाश को गिरफ्तार करने के आदेश के रूप में की। अब पुलिस राम प्रकाष को खोज रही है और राम प्रकाष भागे-भागे फिर रहें हैं। 23 फरवरी की शाम तक पुलिस राम प्रकाश के घर पर थी और दीवारों को लिखी मांगों को मिटा रही थी।
समाज के अंतिम आदमी की मजबूती की बात करने वाली मायावती सरकार में ऐसा गैरलोकतांत्रिक व्यवहार ना जाहिर करता है कि प्रषासन लोगों मांगों को ताकत के बल पर दबाना चाहता है। हालत यह है कि जिलाधिकारी महोदय को बचाने के लिए पुलिस गांव वालों को आतंकित कर रही है।
जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय से जुड़े और मैग्ससे पुरस्कार विजेता संदीप पाण्डेय कहते हैं कि यदि जिला प्रशासन ने लोगों की मांगों पर पहले ध्यान दिया होता तथा उनको सुलझाने की कोशिश की होती तो आज यह नौबत न आती कि लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन करने के लिए पुलिस का सहारा लेना पड़ता।
mayavatti sarkar isase pahle do schooli bacchon ko mayavati ke poster par rang dalane ke jurm men bhitar kar chuki hai.
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