Jan 15, 2011

एक ही होता है

यह कविता नए नेपाल के निर्माण में लगे  लेखक  ने विशेष तौर पर जनज्वार के लिए भेजी  है. उन्होंने पहली बार हिंदी में कविता लिखी है जिसमें भारत से अपने रिश्ते का ऐतबार किया है...


प्रमोद धिताल

हमारा जमीन  फरक हुआ तो क्या हुआ
हमारी तमन्नाएँ तो एक ही जगह हैं
हमारा देश भिन्न हुआ तो क्या हुआ
हमारा सपना का प्रदेश तो एक ही होता है

हमारी खुशी और दुख का
हमारे पसीने और मेहनत का
हमारी लूट और लुटेरों, सभी का मकसद
और सोचने का ढंग एक ही होता है

साथियो! जब तुम्हारे सिर पे मंडराते हैं काले बादल
हमारी भी कशक व कहर तो वैसा ही होता है
जहाँ भी हो इस समय और जैसे भी हो
अगर न्याय की लड़ाई में शामिल हो तो
हमारा देश तो एक ही होता है...



(लेखक नेपाल में राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार हैं. उनसे dhitalpramod@gmail.comपर संपर्क किया जा सकता है.)


1 comment:

  1. ज्ञान प्रकाशSunday, January 16, 2011

    अच्छा ऐतबार किया है. बहुत अच्छे प्रमोद.

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