Sep 10, 2010

हिंसा का बौद्धिक समापन


माओवादियों से मध्यस्तता के मामले में गृहमंत्री से मिले पत्र को लेकर हर जगह 'सूक्ति वचन' के तौर पर  पढ़ने वाले स्वामी अग्निवेश की यह कला नयी नहीं है.शम्सुल इस्लाम ने अपने पत्र में 2002के गुजरात नरसंहार के बाद स्वामी अग्निवेश पर सांप्रदायिक होने के जो तथ्य गिनाएं   हैं, वह हतप्रभ करने वाला है.

हालाँकि स्वामी अग्निवेश की चालाकी और सत्तानिष्ठा  की आलोचना के बरख्स  उनको चाहने वाले कुछ  लोगों ने जनज्वार को कहा कि शांति यात्रा में शामिल बाकि को जब चिदंबरम ने बुलाया ही नहीं और चिठ्ठी स्वामीजी को दी तो  इसमें स्वामी जी का क्या दोष.हालाँकि अब इस मामले में स्वामीजी को सीधे जवाब देना चाहिए और इस मुगालते से निकल लेना चाहिए कि सवाल पूछने वालों की औकात क्या है बजाय की गलतियों को सुधारें ?बहरहाल हम उनके द्वारा हासिल किये गए दो पत्रों को एक साथ प्रकाशित कर रहे हैं जिससे कि सबको पता चल सके कि स्वामी जी के पत्र हासिल करने की कला नयी नहीं है, और  न ही राजसत्ता के भीतर पैदा हुई विकट स्थिति में  सत्ताधारी पार्टियों के साथ गलबहियां होने की बात नयी.

अपने को शांति और अहिंसा का दूत कहने वाले स्वामी अग्निवेश ने अपने साथियों और विश्वास करने वालों पर जो आघात किया है,उस हिंसा को सरोकारी जनता हमेशा याद रखेगी क्योंकि राजसत्ता के हिंसा का यह बौद्धिक समापन है.


माओवादियों से वार्ता के सन्दर्भ  में गृहमंत्री का पत्र और गुजरात दंगे के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का पत्र अग्निवेश के नाम



1 comment:

  1. la diya janjwar, kya koi channel kisi ki pol kholega, jo janjwar ne kar dikhaya. sau chuhe khakar, billi chali haj ko vali kavat ko agnivesh charitarth kar rahe the, vaise kya bataun hamare desh men logon ki yadast bahut kamjor hoti hai aur hashiye ke pragatisheelon kee to aur bhi. main nahin janta janjwar kisaka hai, kaun log ise chala rahe hain magar kam bada kar rahe hain, naujvan bharat sabha ludhiyana aapko salam karta hai.

    ReplyDelete