अजय प्रकाश
हिंदी अख़बार दैनिक भास्कर के राष्ट्रीय संस्करण के मुख्य पृष्ठ पर राजेश आहूजा के नाम से आज एक खबर छपी है- 'माओवादियों का 'विदेश मंत्री' था कोबाद'. इस खबर के शीर्षक को लिखने साथ ही राजेश आहूजा इतने उत्साहित हुए हैं कि इंट्रो में लिख पड़तें हैं 'पूछताछ में हुआ खुलासा, भाकपा (माले) के कई देशों से बनाये संपर्क'. पत्रकार ने अपनी कलम से सीपीआइ (माओवादी) के महासचिव गणपति को भाकपा (माले) के प्रमुख नेताओं में शामिल कर दिया है. सीपीआइ (माओवादी) के पोलित ब्यूरो सदस्य कोबाद गाँधी को भाकपा ( माले) का नेता बनाने वाले राजेश आहूजा ने रिपोर्ट में आगे क्या गुल खिलाया है उसके लिए यहाँ उनकी खबर को स्कैन कर चिपका दिया है.
स्कैन कॉपी पढकर अगर आपके मुंह से निकल जाये कि 'पत्रकार है कि आईबी का दलाल'तो अपने मुंह पर ताला न लगाइयेगा. काहे कि हम अंडरवियर-बनियान के विज्ञापनों के बीच लिखने वाले पत्रकारों की जो औकात बची वह भी गायब हो जाएगी. डर है कि जो मीडिया मालिक आज हमें जवानी जगाने के तेलों और दवाओं के बीच लिखने -बोलने की जगह दे रहे हैं, वह हमारी चुप्पी से उत्साहित होकर कहीं कल को तेल बेचने के लिए न पकड़ा दें.
दरअसल अकेले राजेश आहूजा की सत्ता प्रतिष्ठानों को तेल लगाने और दलाली खाने का नमूना भर नहीं है बल्कि उस पेज के लिए जिम्मेदार पेज इंचार्ज, संपादक समेत उन सभी लोगों की चाहत का नतीजा है जो मालिकों के चहेते हैं.
आईबी का दलाल है ऐसे दलालों को मीडिया से बहार करने की जरुरत है.
ReplyDeletesahi kaha aapne vijay ji
ReplyDeleteपता नहीं..अजय प्रकाश जी आपको इस ऑर्टिकल में इतनता बुरा क्या लगा... न मैं आपको जानता हूं... और न ही आहूजा को लेकिन एक बात साफ पता चलती है कि या तो आपकी या फिर आपके किसी जानने वाले की आहूजा से जबरदस्त दुश्मनी है...बहरहाल पत्रकार होने के नाते हम सभी का शब्दों को तोल कर लिखना दायित्व है...
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