Jan 18, 2017

मित्रों! एनडी तिवारी प्ले व्वाय नहीं, नेता हैं

आप फेसबुक को एक तरफ से खंगाल लीजिए। बारी—बारी से सबकी वॉल देख लीजिए। आपको गिनती के लोग नहीं मिलेंगे जो एनडी तिवारी की भाजपा में जाने पर राजनीतिक आलोचना कर रहे हों और पूछ रहे हों कि राष्ट्रवादी यजमानी खाये बिना कब्र में शांति नहीं मिलेगी क्या पंडीजी? 

सभी उनके 'सेक्स कांड' की चर्चा कर रहे हैं? इस चर्चा में जाति—धर्म—लिंग—संप्रदाय की दीवारों को तोड़कर लोग समवेत स्वर में सेक्स के शॉट्स से लेकर तस्वीरें शेयर कर रहे हैं।

भरे—पुरे चुनावी मौसम में यह सब देख ऐसा लग रहा है मानो एनडी तिवारी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि 'राष्ट्रवादी प्ले ब्वॉय' रहे हों और उन्होंने लखनउ और देहरादून में राज्य की मुखिया की नहीं, बल्कि कोठे के मालिक की भूमिका निभाई हो।

उनकी प्ले ब्वाय की छवि और लोगों का बड़े पैमाने पर फेसबुक पर चल रहा 'पोर्नवादी' आनंद बताता है कि चुनावों में मुद्दा और मुद्दे की राजनीति सामाजिक कार्यकर्ताओं की जुगाली, अखबारों के संपादकीय और टीवी के पकाउ डिबेट्स की चीज बनकर रह गयी है।

अन्यथा जो आदमी उत्तर प्रदेश का तीन बार और उत्तराखंड का एक बार मुख्यमंत्री रह चुका हो उसको लेकर सबसे लोकप्रिय और जनप्रिय सवाल उसका सेक्स कांड ही क्यों बनता? ​वह भी वह सेक्स कांड जिसमें कोई शिकायतकर्ता नहीं है, सिवाय कि किसी ने चोरी से वीडियो बना लिया।

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