May 31, 2017

पत्नी दलित है इसलिए आत्महत्या कर रहा हूं....

क्या वाकई हमारे समाज में जातीय अहं इतने भीतर तक समाया हुआ है कि इस तरह से सवर्ण होने के सामाजिक दंभ और अहसास में आई गिरावट से कोई ख़ुदकुशी भी कर सकता है.....

तैश पोठवारी

"मैं मनप्रीत सिंह बरार हूं। बिचौलिए गुरतेज सिंह बाबा के माध्यम से मेरी शादी तय हुई थी। मैं एक जट लड़का हूं और मेरे ससुर भी जट हैं, लेकिन उनकी पत्नी रामदासिया हैं... पहले मुझे और मेरे परिवार को बताया गया था कि वे (उनकी पत्नी और सास) भी जट हैं।"

मनप्रीत सिंह  बरार  की फाइल फोटो 
यह सुसाइड नोट है एक जट सिख लड़के का, जो सिर्फ इसलिए आत्महत्या कर लेता है, क्योंंकि उसकी पत्नी जट नहीं बल्कि दलित है। एक तरफ हमारी युवा पीढ़ी जहां जाति—पाति से उपर उठने की बात करती है, वहीं जाति की जड़ें उसमें कितनी गहरे तक पैठी हुई हैं उसका एक उदाहरण है पंजाब का यह जट सिख नौजवान। 22 वर्षीय मनप्रीत सिंह जिसकी हाल ही में शादी हुई थी, ने मात्र इसलिए जहरीला पदार्थ खा लिया, क्योंकि उसकी पत्नी जिसे उसने जट सिख समझा था वह दलित जाति से ताल्लुक रखती है।

यह घटना पंजाब के लहरिगागा स्थित खाई गांव की है। यह शादी एक बिचौलिये गुरतेज सिंह निवासी भुटाल कलां के माध्यम से ​हुई थी, जिसने 45000 हजार रुपए लेकर यह शादी करवाई थी। 22 वर्षीय मनप्रीत सिंह बरार की शादी 21 मई को संगरूर निवासी रेणु कौर से हुई थी। 

जैसे ही शादी के बाद मनप्रीत ने यह जाना कि उसकी सास रासदासिया है, और चूंकि उसने उस लड़की से शादी की है जो उसकी कोख से पैदा हुई है तो उसने आत्महत्या कर ली। क्योंकि पत्नी का एक रामदासिया के पेट से पैदा होने से उसके जातीय अहं को चोट पहुंची थी। हालांकि यहां भी सवाल उठता है कि जहां हमारा भारतीय समाज पितृसत्तात्मक है, और पिता के वंश से ही बच्चों की पहचान होती है तो रेणु दलित कैसे हो गयी। आखिर उसकी मां का पति जट सिख है। चाहे फिर उसका अतीत जो रहा हो। क्या वाकई हमारे समाज में जातीय अहं इतने भीतर तक समा चुका है कि इस तरह से सवर्ण होने के सामाजिक दंभ और अहसास में आई गिरावट से कोई ख़ुदकुशी भी कर सकता है। 

मृतक के पिता बघेल सिंह बेटे की मौत के बाद कहते हैं कि सारी गलती बिचौलिए की है, जिसने हमारे साथ धोखा किया। बिचौलिए ने यह कहकर और पैसे लेकर शादी करवाई थी कि रेणु कौर जटों की लड़की है, पर गरीब है। शादी के बाद जब मनप्रीत अपनी मां के साथ रेणु के घर फेरा पाने गया तब उसे पता चला कि वास्तव में रेणु की मां रामदासिया है। रेणु की मां अपने पति की मौत के बाद एक जट सिख के साथ अपने घर में रहती है। 

इसी से परेशान और दुखी मनप्रीत ने लहिरागागा वापिस आकर खेतों में जा सल्फास खाकर आत्महत्या कर ली। मरने से पहले लिखे पत्र में उसने व्यथित होकर लिखा भी है कि 45000 रुपए लेकर उसकी शादी यह कहकर करवाई थी कि वो जट सिख परिवार से है, जबकि हकीकत में वो रविदासी जाती की है, जिस वजह से वो आत्महत्या कर रहा है। 

घटना के बाद लहिरागागा पुलिस के एसएचओ जंगबीर सिंह ने कहा कि उन्होंने आईपीसी की धारा 306 के तहत बिचौलिए गुरतेज सिंह पर केस दर्ज कर लिया है।  

रिश्तों को गालियों से नहीं नजदीकियों से आंकिए !

अगर भक्तों को यह सुनना अच्छा लगता है कि भाजपा देश की नई कांग्रेस है तो उन्हें यह सुनकर भी आह्लादित होना चाहिए कि मोदी देश के नए नेहरु हैं। फिर कांग्रेस तो नेहरु की संस्कृति​ ही बनाएगी जिसमें प्रियंका चोपड़ा का भी एक रोल होगा...


जनज्वार। प्रधानमंत्री मोदी विदेश यात्रा के दौरान बर्लिन में प्रियंका चोपड़ा से भी मिले। मोदी के समक्ष प्रियंका के बैठने के अंदाज से प्रधानमंत्री के भारतीय समर्थक आहत हैं। वह हताशा में प्रियंका को गालियां बक रहे हैं और उन्हें भारतीय संस्कृति की याद दिला रहे हैं। 

मोदी भक्त और समर्थक संस्कार, संस्कृति, लाज, लिहाज और बाप—बेटी के रिश्ते जैसी बातें कर अपने पंरपरावादी नेता का बचाव कर रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि इससे मोदी की छवि को छति पहुंचेगी। बर्लिन में प्रियंका और मोदी के मिलने—मिलाने के प्रकरण में वह लगातार प्रियंका को दोषी मान रहे हैं। 

उनकी बातों और ट्वीटर—फेसबुक पर आ रही टिप्पणियों से लग रहा है मानो प्रियंका ने मोदी जैसे वृहत्तम व्यक्तित्व को अपनी दो टांगों के करीब ला पटका है। भक्तों की यह चिंता इसलिए भी दिख रही है कि प्रियंका से उनका मुख्य ऐतराज प्रियंका की दिखती टांगों और बैठने के आत्मविश्वासी अंदाज पर है। 

पर भक्तों और परंपरावादी कट्टरपंथियों को समझना चाहिए कि मोदी जी खुली टांगों को नैतिकता को मानक मानने की राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के बुद्धिकौशल से उपर उठ चुके हैं, जबकि संघी अभी भी नाभी, जांघ, नितंब, उरोज के उभार, उसके दिखने और न दिखने को नैतिकता की चरम स्थिति मानते हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत कई नेता इस संदर्भ में बयान भी दे चुके हैं।   

इसीलिए वह प्रियंका के लिबास पर अकबक बोलकर जी को शांत कर रहे हैं। पर भक्त इस मामूली बात को नहीं मान रहे कि प्रियंका का यही अंदाज मोदी को आकर्षित करता है जिसकी वजह से वह विदेश यात्रा में भी उनके लिए अलग से समय निकालते हैं। रही बात कपड़े की तो भारतीय महिला फिल्म कलाकारों का यह सामान्य ड्रेस है जो किसी से मिलते-जुलते वक्त पहनती हैं। फिर प्रियंका किसी खाप की गिरफ्त में हैं तो हैं नहीं जो ड्रेस कोड माने।

प्रियंका के प्रति प्रधानमंत्री की आत्मीयता, लगाव और स्नेह एक कलाकार से बढ़कर होगा तभी तो वह मिलें हैं। जैसे प्रियंका प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा के इस बार के महत्वपूर्ण और व्यस्ततम कार्यक्रमों का हिस्सा हों, उनके बिना विदेश यात्रा अधूरी रह जाती हो। 

और एक बात आखिर में ! 

मोदी के सामने प्रियंका के बैठने का अंदाज बहुत कुछ कहता है। और इतना स्पष्ट रूप से कहता है कि मोदी प्रियंका को यह अधिकार देते हैं और जिससे वह एक शक्तिशाली महिला के रूप में उनके सामने पेश हो पा रही हैं। नहीं तो उनके कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री भी मोदी के समक्ष हाथ पीछे किए ऐसे खड़े रहते हैं जैसे अर्दली खड़ा होता है। 

इससे भी बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रियंका ने मोदी से मुलाकात की तस्वीर ट्वीटर पर प्रधानमंत्री की इजाजत के बगैर शेयर की होगी?

या अंदाज भारतीय पूंजीपति मुकेश अंबानी वाला रहा होगा कि अंबानी ने अपने नेटवर्क 'जियो' के प्रचार का ब्रांडआइकॉन बनाकर मीडिया में मोदी को पेश कर दिया था जिसपर ऐतराज होने पर पीएमओ ने एक फर्जी सफाई दे दी थी और अंबानी पर एक हवाई जुर्माना लगा दिया था।