Apr 1, 2017

दलित युवक को प्रेम करने की मिली सजा, आंखें निकाली फिर लिंग काटा

नृशंस हत्या के मामले में पुलिस ने दर्ज किया आत्महत्या का केस, कल गांव में बहुजन सेना और बहुजन स्टूडेंट फेडरेशन का होगा प्रचंड प्रदर्शन

जनज्वार। आप तस्वीर देख कर विचलित हो सकते हैं पर जनज्वार का मानना है कि आपको नृशंसता के इस वारदात की तस्वीर देखनी चाहिए, क्योंकि मारे गए उस 25 वर्षीय दलित युवक की भावनाएं कम कोमल नहीं रही होंगी, जिसकी मोहब्बत के बदले आंखें निकाल ली गयीं हैं, लिंग काट लिया गया। 


प्रेम करने का खामियाजा कुछ इस तरह चुकाया मधुकर ने : आँखें निकालीं, लिंग काटा और बुरी हालत में मौत के घाट उतार दिया 
एक पिछड़ी जाति की लड़की से प्रेम करने वाले युवक की नृशंस हत्या कर उसका लिंग और दोनों आँखें  निकाल लिए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। उससे भी सनसनीखेज यह है कि पुलिस ने इस मामले में आत्महत्या का मुकदमा दर्ज कर अपना काम पूरा कर लिया है। 
घटना तेलंगाना के करीमनगर जिले के  मंथानी गांव की है। 30 मार्च को नृशंसतापूर्वक मारा गया 25 वर्षीय मधुकर दलित जाति से है। बहुजन सेना के प्रोफेसर कादिर कृ​ष्णा बताते हैं, 'मधुकर गांव के ही पिछड़ी जाति के आदमी के यहां ट्रैक्टर चलाने का काम करता था। काम करने के दौरान ट्रैक्टर मालिक की बेटी से उसे प्यार हो गया। घर वालों  को यह बात पता चली तो उन्होंने उसे न सिर्फ जान से मार दिया, बल्कि दोनों आंखें निकाल लीं और लिंग काट दिया।'

गौरतलब है कि लड़की ने मधुकर से शादी करने के लिए घर वालों पर दबाव डाला और नहीं मानने पर जहर खा लिया। लेकिन लड़की की जान बच गयी. बाद में लड़की को जब पता चला कि उसके घरवालों ने मधुकर के साथ कुछ बुरा किया है तो उसने अपने प्रेमी मधुकर के घरवालों को फोन किया। घरवालों को मधुकर की लाश क्षत—विक्षत हालत में मिली। 
 दलित युवक मधुकर : प्रेम के बदले मिली मौत 
कल सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारियों के साथ मंथानी  गांव जा रहे कादिर बताते हैं, 'लड़की पिछड़ी जाति के 'मुनरू कापोस' उपजाति से है जिनकी टाइटिल 'डोरा' है। टीआरएस पार्टी के स्थानीय एमएलए पुट्टा मधु भी लड़की की ही जा​ति से हैं और उनका लड़की के ​परिवार से गहरा ताल्लुक है।' 

प्रोफेसर कादिर के अनुसार, ' मुनरू कापू जाति वाले अपने को रेड्डी सवर्णों के बहुत करीब पाते हैं और दलितों से वह वैसे ही नफरत करते हैं, जैसे दूसरी ताकवर जातियां। उसी नफरत का नतीजा है उनकी लड़की से प्रेम करने वाले युवक की यह नृशंस हत्या है।' 

दलित युवक की हत्या से व्यथित अर्चना सोंटी अपने फेसबुक पर तस्वीर शेयर करते हुए लिखती हैं, 'कहां गए पिछड़ी जातियों के वो ठेकेदार जो खुद को मजबूत बनाने के लिए बहुजन कहते हैं। वह टीवी पर बैठने वाले ब्राह्मण कहां हैं, क्यों चुप हैं जब एक दलित को प्यार के गुनाह में इस तरह से मारा गया।' 

इसी तरह सतीश कुमार कहते हैं, 'यह फिर हुआ है एक जातिवादी समाज में। फिर एक बार एक ​दलित की हत्या की गयी है। पर अबकी हत्यारों की झुंड में सवर्ण जाति कम्मा और रेड्डी नहीं हैं। वेलमा भी नहीं है, ​​बल्कि 'मुनरू कापू' पिछड़ी जाति के लोगों ने हत्या की है,जो धीरे—धीरे एक हत्यारे गैंग में तब्दील होते जा रहे हैं।

वीडियो में देखें मधुकर के भाई और मां क्या कह रहे हैं


8 comments:

  1. Thank you for writing on this issue. All dalits should form JACs and unitedly fight such attrocities.

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    1. I request from all castes from all religions to be united and march against such heinous act. We should register our request in PMO portal.....

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  2. It is time to stand against such incidents. Electronic media won't show such heinous incident. All Dalits should come together now.

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  3. अब तो बस यही होना बाकी रह गया था। अब कँहा है। हमे माननीय प्रधानमंत्री जी और बसपा प्रमुख मायावती जी। ये लोग जब वोट मांगने का टाइम आता है। तबतो ये अपने दुश्मन को भी दोस्त बन लेते है। और चुनाव खत्म होते ही। "अपना काम बनता भाड़ में जाये जनता"। ये जातिवाद एबोला वायरस से भी ज्यादा खतरनाक है। जिसका इलाज मुश्किल है नामुमकिन नही अगर इस वायरस को जल्द से जल्द रोका ना गया तो ये ऐसा सर्वनाश मचाएगा जैसा कि आपने अपने सपने में भी नही सोचा होगा।

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  4. Dalits should join Islam, you have freedom to be a Muslim and join prayer with us shoulders to shoulder, toe to toe. Islam gives human dignity but I know people who are opposed to this are feared of their ideology being vanished soon, they want propaganda to keep people away from Islam

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  5. क्या दलितों के असली दुश्मन जाति प्रथा है? यदि जाति प्रथा ख़त्म कर दिया जाये तो शोषण ख़त्म हो जायेगा?
    ओबामा अमेरिकी राष्ट्रपति बना, क्या काले या अफ़्रीकी नस्ल के अमेरिकी मजदूरों के का शोषण और अन्याय ख़त्म हो गया!
    जाति व्यवस्था भारतीय समाज का कोढ़ है, पर इससे निजत पूंजीवाद में संभव नहीं है, वैसे ही जैसे अमेरिका में रंग भेदी या नस्लवादी कोढ़ से!
    मजदुर वर्ग की एकता और संघर्ष ही रास्ता है. दूसरी कोई भी एकता जाति, धर्म, क्षेत्र, आदि पर केवल भुलावा है, शोषण पर आधारित पूंजीवाद की जिंदगी को बढ़ता है!
    समाजवादी क्रांति जिंदाबाद! समाजवादी, मार्क्सवादी, नास्तिक भगत सिंह जिंदाबाद!

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  6. This kind of activity are not belong to humanity.The culpirit thinking is so ........

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  7. GAAYE SE PREM OR INSAN SE NAFRAT KYON

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