Feb 14, 2017

शहीदों को लेकर भ्रामक प्रचार बंद करो!

भगत सिंह और साथियों के मुकदमे के दस्तावेज मौजूद हैं जो कई किताबों में भी आ चुके हैं। लेकिन झूठ फैलाने वाली ब्रिगेड का दस्तावेजों से लेना-देना भी क्या है....

धीरेश सैनी

भगत सिंह को फांसी की सजा के नाम पर झूठे मैसेज वायरल करने वालों का देश और देश के शहीदों से कैसा रिश्ता है, समझना मुश्किल नहीं है। भगत सिंह और साथियों की फांसी पर जहां द्रविड विचारक रामासामी पेरियार ने अपने तमिल रिसाले में संपादकीय लिखकर इस शहादत के प्रति सम्मान व्यक्त किया था, वहीं आरएसएस शहादत के औचित्य पर सवाल खड़े कर रहा था। 

जब भगत सिंह जैसे विचारक-क्रांतिकारी देश की जनता को एकजुट होकर अंग्रेजों, साम्राज्यवाद और हर तरह की गैरबराबरी से लड़ने के लिए प्रेरित कर रहे थे, संघ अपने साम्प्रदायिक अभियान के जरिये अंग्रेजों की मदद ही कर रहा था। ऐसे में शहीदों के नाम पर झूठ फैलाए जाने पर कोई हैरत भी नहीं है। वैलंटाइन डे के विरोध के नाम पर कई साल पहले मैसेज जारी किए गए थे कि इस दिन भगत सिंह को फांसी हुई थी, इसलिए शहीदों को सम्मान देते हुए वैलंटाइन डे का बहिष्कार किया जाए। चूंकि भगत सिंह की शहादत की तारीख 23 मार्च 1931 बेहद मशहूर है, इसलिए पिछले कुछ सालों से यह मैसेज वायरल किया जाने लगा कि 14 फरवरी को भगत सिंह, राजगुरू औऱ सुखदेव को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। यह भी कोरा झूठ है। 

सच यह है कि स्पेशल ट्रिब्यूनल ने फैसला 14 फरवरी को नहीं, बल्कि 7 अक्तूबर 1930 को सुनाया था जिसके तहत भगत सिंह, शिवराम राजगुरु उर्फ `एम` और सुखदेव को सजा-ए-मौत तथा किशोरी लाल, महावीर सिंह, विजय कुमार सिन्हा, शिव वर्मा, गया प्रसाद उर्फ निगम, जयदेव और कँवलनाथ तिवारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। कुंदन लाल को सात साल सश्रम कारावास और प्रेमदत्त को पांच साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी। तीन अभियुक्तों देशराज, अजय कुमार घोष और जतिन्द्र नाथ सान्याल को रिहा कर दिया गया था।

पांच अभियुक्त जयगोपाल, फणीन्द्र नाथ घोष, मनमोहन बनर्जी, हंसराज वोहरा और ललित कुमार मुखर्जी को इकबालिया गवाह हो जाने के कारण कैद मुक्त करने का फैसला सुनाया गया था। इकबालिया गवाह रामशरण दास और ब्रह्मदत्त के लिए अलग आदेश जारी किए जाने की घोषणा की गई थी।

भगत सिंह और साथियों के मुकदमे के दस्तावेज मौजूद हैं जो कई किताबों में भी आ चुके हैं। लेकिन झूठ फैलाने वाली ब्रिगेड का दस्तावेजों से लेना-देना भी क्या है?

(धीरेश सैनी की फेसबुक वॉल से)

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