Sep 16, 2009

हत्यारी पंचायतें

अजय प्रकाश

हर महीने आठ से दस प्रेमियों की हत्या करने वाली मध्ययुगीन बर्बर खाप पंचायतों के खिलाफ हरियाणा में मुकदमा दर्ज करने का इतिहास नहीं है।

मान-सम्मान के नाम पर बलात्कार, हत्या, बेदखली, सामाजिक बहिष्कार और आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाली इन पंचायतों का नेतृत्व ऐसे लोगों के हाथ में है जिन्हें देखकर तालिबान की याद आती है। हरियाणवी समाज में सदियों से पैठी इन तालिबानी मान्यताओं के पूजकों से आधुनिक मूल्यों के साथ खड़ा हो रहा नया समाज थर्राता है।
हरियाणा में पहली बार खाप के एक नेता को एक हत्याकांड के सिलसिले में जेल भेजा गया है। करनाल जिले के बनवाला खाप के नेता सतपाल को मातौर गांव के वेदपाल हत्याकांड मामले में गिरफ्तार किया गया है। हालांकि खाप पंचायत के खिलाफ मुकदमा दर्ज न कर पुलिस ने पंचायत को कटघरे में खड़ा होने से हमेशा की तरह फिर एक बार बचा लिया है। फिर भी न्यायालय कानून बनाने के लिए उसी राज्य का मुंह ताक रहा है जिसकी विधानसभा में खाप पंचायतों का सरेआम समर्थन करने वाले प्रतिनिधि बैठे हुए हैं।
राज्य के कानून विशेषज्ञों के मुताबिक छोटी अदालतों से लेकर हरियाणा उच्च न्यायालय ने भी प्रेमी युगलों की सुरक्षा के आदश से आगे बढ़कर पंचायतों को अवैध घोषित करने या पंचायत सदस्यों के खिलाफ सीधी कार्रवाई करने के बारे में स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं दिये हैं। यहां तक कि प्रेमी युगलों की हत्याओं और सुरक्षा को लेकर पिछले वर्ष उच्च न्यायालय द्वारा गठित उच्चस्तरीय कमेटी ने भी जारी अपनी रिपोर्ट में ऐसा कोई सुझाव नहीं दिया है जिससे खाप या जातिगत पंचायतों के तालिबानी फरमानों पर सीधी चोट हो सके।
कमेटी के सदस्य और चंडीगढ़ उच्च न्यायालय के वरिष्ठ स्थाई अधिवक्ता अनुपम गुप्ता का जवाब है, ‘मैंने जानबूझकर चर्चा नहीं की। सिर्फ जातिगत पंचायतों पर सवाल खड़ा करने से समस्या खत्म नहीं होने वाली।’ कई वकीलों से बातचीत में पता चला कि खाप पंचायतों पर इसलिए मुकदमा नहीं दर्ज किया जा सकता है कि संकट के समय उनकी एक सहयोगी भूमिका होती है। अगर इस आधार पर हम खापों को जायज ठहरायेंगे तो तालिबान के विरोध में कैसे खड़े हो पायेंगे।
कमेटी ने अपने बचाव में यह भी कहा कि कमेटी के गठन होने तक खापों के सीधे हस्तक्षेप जैसे मामले उजागर नहीं हुए थे। लेकिन सच्चाई यह है कि 27 जून 2008 में जब कमेटी का गठन हुआ तो उससे 36 दिन पहले 9 मई को बला गांव में कालीरमन खाप के आदेश पर प्रेमी जोड़े जसबीर और गर्भवती सुनीता की हत्या कर दी गयी थी। इसी तरह 2 अप्रैल को कमेटी की रिपोर्ट पेश होने से 20 दिन पहले 12 मार्च को करनाल जिले के मातौर गांव में बनवाला खाप ने वेदपाल और सोनिया को अलग होने का फरमान सुना दिया था। बाद में 26 जुलाई को वेदपाल की हत्या कर दी गयी।
इसी तरह अगस्त महीने में झज्जर जिले के धाड़ना गांव में रवींद्र और शिल्पा को भाई- बहन बनाये जाने के पक्ष में कादयान खाप का अगस्त के मध्य में चार दिनों का धरना चला। धरने में यह अभूतपूर्व था कि महिलाएं भी शामिल थीं। घोर स्त्री विरोधी इन खाप पंचायतों में महिलाओं का शामिल होना एकदम नयी घटना थी। सैकड़ों की संख्या में पुलिस ड्यूटी बजा रही थी कि कहीं पंचायत रवींद्र के घर में घुसकर आग न लगा दे, हत्या न कर दें। लेकिन किसी पंचायत प्रतिनिधि के खिलाफ इस मामले में कोई मुकदमा नहीं दर्ज हुआ।

हरियाणा पुलिस महानिदेशक विकास नारायण राय भी मानते हैं कि ‘पंचायतों पर शिकंजा कसने के मामले में कोताही बरती जाती रही है।’ पुलिस महानिदेशक को ‘प्रेमी सुरक्षा घर’ योजना से काफी उम्मीदें हैं। उल्लेखनीय है कि हरियाणा पुलिस ने प्रेमी जोड़ों को हत्यारों से बचाने के लिए ‘सेफ होम’ बनाने की घोशणा की है जिसकी देखरेख सीधे पुलिस के हाथों में होगी। लेकिन सवाल है कि हथियारों से लैस दस पुलिस वाले जब कादयान खाप के हमलावरों से वेदपाल को मरने से नहीं बचा सके तो वही पुलिसकर्मी उन घरों को खापों के हमले से कितना सुरक्षित रख पायेंगे। और इससे बड़ी बात है कितने दिन प्रेमी जोड़े गांव-घर से दूर ‘सेफ होम’ में जी पायेंगे।
इन मानवाधिकारों की रक्षा करने वाला दफ्तर मानवाधिकारआयोग’ हरियाणा में नहीं है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शब्दों में,‘राज्य में ऐसे आयोग की आवश्यकता नहीं है।’ हां राज्य में महिला आयोग जरूर है जिसकी अध्यक्ष कांग्रेसी नेता सुशीला शर्मा हैं। खापों के खिलाफ आयोग ने किस तरह की कार्यवाई किये जाने की राज्य से सिफारिश की है, उनका जवाब था, ‘टेलीफोन न पर मैं थानों और अधिकारियों को राय सुझाती रहती हूं। महिला आयोग खापों पर शोध कर रहा है। शोध पूरा होने पर फैसला होगा।’
मुख्यमंत्री मानवाधिकार आयोग की जरूरत महसूस नहीं करते, महिला आयोग खापों पर शोध करवा रही है और अदालत की गठित कमेटी की रिपोर्ट में खाप और जातिगत पंचायतों पर कार्यवाही का जिक्र ही नहीं आता। वैसे में जीवनसाथी चुनने का अधिकार हरियाणा में कहां से मिलेगा?