Jan 4, 2017

अलविदा पापा!

पापा की दोनों आँखें सफेद गोली जैसी लग रही थीं. महिला डाक्टर ने पापा के शरीर से आंखें निकाल कर अपने साथ लाये डिब्बे में रख दीं. डाक्टर बोली कल तक आपके पापा की आँखें दो लोगों को लगा दी जायेंगी
पिता प्रकाश भाई की मौत पर उन्हें कुछ यूं याद किया सामाजिक कार्यकर्त्ता हिमांशु कुमार ने 

पापा का पूरा शरीर मेडिकल कालेज को दान दे दिया गया. कोई पंडित नहीं. कोई आडंबर नहीं. मां और बहनें पापा के देहदान के फैसले से सहमत थीं. मंझली बहन का परिवार उत्तर प्रदेश का कर्मकांडी परिवार है. उन्होंने हल्के फुल्के ढंग से बोला कि आत्मा की शान्ति नहीं होगी. मैंने उन्हें समझाया कि आत्मा-रूह वगैरह वहम हैं.

1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में जब गांधी जी ने 'करो या मरो' का नारा दिया, पापा ने मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन को आग लगा दी. पुलिस ने घर पर छापा मारा.पापा फरार होकर आगरा. इलाहाबाद और बनारस में भूमिगत रहे. गांधी जी को पत्र लिखा. गांधी जी ने पापा को सेवाग्राम आश्रम में अपने पास बुला लिया. गांधी जी ने पापा को नई तालीम के काम में लगाया. गांधी कहते थे जैसे आज़ाद भारत में अंग्रेजों का झन्डा नहीं चल सकता, वैसे ही आज़ाद भारत में अंग्रेजी शिक्षा भी नहीं चल सकती.

गांधी जी की हत्या के बाद पिताजी रचनात्मक कामों में लग गये. पापा ने नाम के आगे से जाति नाम उड़ा दिया. विनोबा भावे के भूदान और सर्वोदय आन्दोलन में पहली पंक्ति के कार्यकर्ता बने. प्रभावी लेखक, ओजस्वी वक्ता, विचारक, प्रखर कार्यकर्ता. सारे देश में कोई इलाका होगा जहाँ पिताजी लोगों को ना जानते हों. वे चलता फिरता ज्ञानकोष थे.


कोई भी प्रश्न हो उत्तर हाज़िर. सुघड़ इतने कि आंख बन्द कर के भी अपना सामान उठा सकते थे. घर की सारी महिलायें रफू का काम पापा से करवाती थीं. उस ज़माने में वो जोरू का गुलाम कहलाते थे क्योंकि मेरी मां के कपड़े धो देते थे. और थक जाने पर पत्नी के पांव भी दबा देते थे.

उत्तर प्रदेश में मंत्री पद मिला. ज़मीन बांटने का महकमा मिला. खुद भूमिहीन ही बने रहे. जीवन में अपना मकान नहीं बनाया. ना बैंक में कोई पैसा. एक चर्खा. कुछ अपना काता सूत. कुछ किताबें छोड़ कर आज पापा जिन्हें सब प्रकाश भाई के नाम से जानते थे, चले गये. मरने से पहले पापा बोल गये थे मरने के बाद मेडिकल कालेज में शरीर दे देना.


अलविदा पापा!