Apr 4, 2017

पंजाब सरकार जेठमलानी को एक पेशी पर 3 लाख 30 हजार देती है और दिल्ली सरकार 22 लाख

सवाल है कि 7 गुना ज्यादा फीस देने के पीछे असल मकसद क्या है? साधारण जन की सरकार होने का दावा करने वाले केजरीवाल अपने बचाव में इतने आलीशान क्यों हैं?

ईमानदार सरकार बनाने और राष्ट्र का पैसा भ्रष्टाचारियों से बचाने के नाम पर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुए अरविंद केजरीवाल इन दिनों दोनों हाथों से जनता का पैसा लुटा रहे हैं। अभी दिल्ली सरकार का 97 करोड़ रुपया आम आदमी पार्टी के प्रचार में खर्च कर देने का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी हर पेशी पर 22 लाख रुपए देने का मामला सुर्खियों में है।

गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के​ खिलाफ मानहानी का मुकदमा किया हुआ है। मुख्यमंत्री की ओर से मुकदमा वरिष्ठ सुप्रीम कोर्ट वकील राम जेठमलानी लड़ रहे हैं। रामजेठमलानी देश के सबसे ​महंगे और ​काबिल वकीलों में माने जाते हैं। इसी के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने उन्हें अपना वकील बनाया।

जेठमलानी ने पहले ही अपनी हर पेशी पर 22 लाख का रेट सरकार के सामने साफ कर दिया। दिल्ली राज्य के कानून मंत्री होने के नाते मनीष सिसौदिया ने वकील जेठमलानी की फीस देने पर लिखित स्वीकारोक्ति भी दे दी।

लेकिन बाद में जब सरकार पर तरह—तरह के शिकंजे कसने लगे तो केजरीवाल सरकार अतिरिक्त सावधान हो गयी। वैसे भी दिल्ली के राज्यपाल का वह आदेश जिसमें कहा गया है कि सरकार के नाम पर आम आदमी पार्टी ने जो अपना प्रचार किया है, उसमें लगे 97 करोड़ रुपए पार्टी 30 अप्रैल तक सरकार के खाते में जमा कराए, के बाद सरकार की सांसत बढ़ गयी है।  

ऐसे में जब दिल्ली सरकार ने अरविंद केजरीवाल पर हुए मानहानी का मुकदमा लड़े राम जेठमलानी की फीस बिल भेजने के बाद भी नहीं दिया तो वह पत्र सार्वजनिक हो गया। पत्र में साफ लिखा है कि जेठमलानी प्रति पेशी 22 लाख दिल्ली सरकार से वसुलेंगे।

पत्र के सार्वजनिक होने के बाद काननू मंत्री ​मनीष सिसौदिया ने मुख्यमंत्री का बचाव करते हुए कहा है कि मुकदमा सरकार पर है तो फीस भी सरकार ही वहन करेगी। पर भाजपा के वरिष्ठ नेता विजेंद्र गर्ग इसे जनता के पैसे की बर्बादी मानते हैं। वे कहते हैं मानहानी के मुकदमें सरकार के नहीं ​बल्कि व्यक्तिगत होते हैं।

गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर राम जेठमलानी के निजी सचिव संजय कुमार द्वारा दिल्ली सरकार को भेजा एक बिल घूम रहा है जिसमें दिल्ली सरकार से जेठमलानी की एक सुनवाई का 22 लाख रुपए देने के लिए कहा गया है। हालांकि मामले पर हल्ला मचने पर जेठमलानी ने अपना रेट 1 करोड़ होना बताया है और साथ में यह भी कहा है कि अरुण जेटली के खिलाफ मुफ्त में भी मुकदमा लड़ सकते हैं। 


पर इस पूरे मामले में स्वराज अभियान के नेता और पंजाब—​हरियाणा हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील राजीव गोदारा कहते हैं, 'मुकदमा सरकार लड़े या व्यक्गित तौर पर अरविंद केजरीवाल पर असल सवाल यह है कि इतनी फीस क्यों दी जा रही है? यही जेठमलानी साहब पंजाब सरकार के पैनल में हैं और वह सिर्फ 3 लाख 30 हाजर प्रति पेशी लेते हैं।'  30 मार्च को पंजाब सरकार ने 76 वकीलों की एक सूची जारी की जिसमें रामजेठमलानी समेत कई दिग्गज पंजाब सरकार के पैनल पर हैं. 

ऐसे में मुख्य सवाल यह है कि जब पंजाब सरकार से जेठमलानी एक पेशी पर 3 लाख 30 हजार ले सकते हैं, फिर दिल्ली सरकार उससे 7 गुना फीस क्यों अदा कर रही है? क्या इसके पीछे भी कोई कहानी है या फिर 'ईमानदारी' के खोल में लिपटी दिल्ली सरकार इस भ्रष्टाचार को देख ही नहीं पा रही?

पुलिस और जांच एजेंसियों की ड्यूटी बनती जा रही भाजपा की वफादारी

न पीपी पांडे जैसे पुलिस अफसर आसमान से टपकते हैं और न अमित शाह जैसे उनके राजनीतिक पैरोकार| उत्तर प्रदेश चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने ठीक ही समाजवादी सरकार पर पुलिस थानों को पार्टी दफ्तरों के रूप में चलाने का आरोप लगाया था...

विकास नारायण राय, पूर्व आइपीएस 

सर्वोच्च न्यायालय में जूलियस रिबेरो की याचिका पर गुजरात के विवादास्पद डीजीपी पीपी पांडे को पद छोड़ना पड़ा और डीजीपी के पद पर सरकार को आनन-फानन में गीता जोहरी को बैठाना पड़ा. ऐसे में सवाल पूछा जा सकता है कि एक बदनाम हत्यारोपी पुलिस अफसर को, योग्यता और वरिष्ठता के मानदंडों को दरकिनार कर, राज्य पुलिस का मुखिया बनाने के पीछे क्या राजनीतिक सन्देश छिपा हुआ था | 

पांडे, अमित शाह के मोदी शासन में गुजरात के गृह राज्य मंत्री दौर में काफी समय तक राजनीतिक पुलिस मुठभेड़ों के लिए कुख्यात पुलिस अफसर वंजारा के वरिष्ठ रहे | बाद में इशरत जहान जैसे फर्जी मुठभेड़ कांडों में वे वंजारा के साथ गिरफ्तार किये गये और लम्बी जद्दोजहद के बाद जमानत मिलने पर कार्यवाहक डीजीपी बना दिए गये | जग जाहिर है कि आज तक भी गुजरात में शीर्ष पदों पर नियुक्तियां अमित शाह की मार्फत होती हैं | यानी प्रधानमंत्री मोदी की सुविधा को ध्यान में रखते हुए | पांडे को भी इस समीकरण के तहत ही डीजीपी बनाकर पुरस्कृत किया गया | 



मोदी-शाह की जोड़ी चाहती तो पांडे की हिंदुत्व के एजेंडे पर जेल जाने की भरपाई और तरह से भी कर सकती थी| पांडे के जमानत पर छूटने तक मोदी देश के प्रधानमंत्री बन चुके थे और शाह काबिज थे भाजपा के शक्तिमान अध्यक्ष के पद पर| उन्होंने यदि पांडे को तब भी राज्य पुलिस का मुखिया ही बनाना तय किया तो इस तरह वे अपने वफादारों के लिए दो संदेश दे रहे थे| पहला यह कि वे अपने वफादारों की सेवाओं को पुरस्कृत करना कभी नहीं भूलते, हालाँकि यह संदेश पांडे को सूचना आयुक्त या निगरानी आयुक्त या लोक सेवा आयोग में पदस्थापित कर भी दिया जा सकता था| लिहाजा,इस सन्दर्भ में मोदी-शाह का दूसरा सन्देश ज्यादा महत्वपूर्ण था| अंधवफादारी के आगे वरिष्ठता, योग्यता या नेकनामी का कोई महत्व नहीं है।

केंद्र में सत्ता मिलने के बाद से मोदी-शाह को कहीं बड़े गेम खेलने पड़े हैं| गुजरात प्रकरणों में कांग्रेस ने भी सीबीआई की मार्फत शाह को जेल में रखा था और मोदी के पसीने छुड़ा दिए थे| दरअसल, यूपीए दो के दौर में मनमोहन सरकार को सत्ता में रखने में सीबीआई की बड़ी भूमिका रही- मायावती और मुलायम को जब-तब जेल का डर दिखाकर और अपने शासन के तरह-तरह के स्कैम में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश वाली जांचों को मन मुताबिक निर्देशित कर|

इस दौर में कांग्रेस सरकार ने सीबीआई को एपी सिंह और रंजीत सिन्हा के रूप में सीबीआई इतिहास के दो सर्वाधिक ‘लचीले’ डायरेक्टर दिए। फिलहाल,सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से इन दोनों के भ्रष्ट आचरण की जांच स्वयं सीबीआई को ही करनी पड़ रही है| इसी क्रम में मोदी-शाह ने भी गुजरात के ही एक जूनियर पुलिस अफसर राकेश अस्थाना को सीबीआई का कार्यवाहक डायरेक्टर बनाकर रखा| 

जाहिर है, पांडे जैसे ही इस ‘वफादार’ की मार्फत वे कांग्रेस से भी बढ़कर अपना उल्लू सीधा करना चाहते रहे हों| सोचिये दांव पर कितना कुछ है कि यह सीनाजोरी तब की गयी जब भारत का मुख्य न्यायाधीश स्वयं सीबीआई का डायरेक्टर चुनने की समिति का हिस्सा होता है| अंततः उनका छद्म बहुत दिनों तक चला नहीं और सर्वोच्च न्यायालय के दखल के बाद वरिष्ठता के आधार पर एक नया डायरेक्टर लगाना पड़ा|

‘वफादारी’ का यह खेल उन्हें बेशक कांग्रेस ने सिखाया हो पर मोदी-शाह के तौर-तरीके कहीं अधिक निरंकुश हैं| उन्होंने सीबीआई के अलावा एकमात्र अन्य केन्द्रीय जांच एजेंसी एनआइए को भी पूरी तरह अपनी जकड़ में ले लिया है| कांग्रेस राज में एनआइएनेमालेगांव,समझौता एक्सप्रेस, मक्का मस्जिद,अजमेर शरीफ जैसे आतंकी मामलों में भगवा आतंक का हाथ सिद्ध किया था और तदनुसार संघ के असीमानंद और साध्वी प्रज्ञा समेत कई सदस्यों का अदालतों में चालान भी हुआ| 

केंद्र में मोदी सरकार बनते ही इन मुकदमों में अभियोजन के गवाहों को तोड़ने, संघी अभियुक्तों को जमानत दिलाने और उन्हें डिस्चार्ज कराने व बरी कराने का जिम्मा एनआइए के डायरेक्टर शरद कुमार ने उठा लिया| तब से असीमानंद अजमेर शरीफ मामले में बरी हो चुका है और प्रज्ञा को जमानत पर छोड़ने की अभूतपूर्व गुहार,जो स्वयं अभियोजक एजेंसी एनआइए कर चुकी है, अदालत ने ख़ारिज कर दी है| पुरस्कार स्वरूप शरद कुमार का सेवा काल दो वर्ष से लगातार बढ़ाया जा रहा है| 

मोदी-शाह को इसी स्तर की वफादारी चाहिए और इसलिए अपनी राजनीतिक साख की कीमत पर भी वे पीपी पांडे को गुजरात का एंटी करप्शन ब्यूरो के निदेशक बनाने से नहीं रुके| सोचिये, इस तरह उन्होंने शरद कुमार और राकेश अस्थाना जैसे कितने ही भावी ‘वफादारों’ को आश्वस्त किया होगा|

न पांडे जैसे पुलिस अफसर आसमान से टपकते हैं और न अमित शाह जैसे उनके राजनीतिक पैरोकार| उत्तर प्रदेश चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने ठीक ही समाजवादी सरकार पर पुलिस थानों को पार्टी दफ्तरों के रूप में चलाने का आरोप लगाया था| हालाँकि वे भूल गए कि गुजरात में स्वयं उनकी पार्टी भी पुलिस का व्यापक दुरुपयोग करती रही है| आज स्वयं केंद्र में सीबीआई और एनआइए अमित शाह के इशारे पर चलने वाली जांच एजेंसियां बनी हुयी हैं| गुजरात पुलिस का तो कहना ही क्या!

वो दिन जिसके बाद केजरीवाल ने मोदी के खिलाफ एक भी ट्वीट नहीं किया


जनज्वार। यह खबर कई लोगों को चौंका सकती है। लग सकता है कि मोदी विरोध के सबसे मजबूत पिलर केजरीवाल अाखिर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ क्यों नहीं लिखेंगे? क्यों चुप्पी साध जाएंगे? पर सच यही है। और अगर सच यही है तो सोचने वाली बात यह है कि इसके निहितार्थ क्या हैं, क्योंकर केजरीवाल को मोदी के खिलाफ अगिया बैताल बने रहने की अपनी रणनीति से सरेंडर करना पड़ा। 

हर रोज मोदी के खिलाफ 5 से 10 ट्वीट और रि—ट्वीट कर उनकी नीतियों, तरीकों और बयानबाजियों पर आग उगलने वाले, मखौल उड़ाने और आलोचना करने वाले केजरीवाल उस तारीख के बाद आज तक कभी मोदी के खिलाफ एक ट्वीट नहीं कर सके हैं। अलबत्ता ये कहना ज्यादा बेहतर होगा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उस तारीख के बाद कोई एक तारीख नहीं मिली जब वे मोदी के खिलाफ एक शब्द भी ट्वीटर पर लिख पाने का साहस कर पाएं हों। 

आप खुद भी 11 मार्च और उसके बाद के उनके ट्वीट 'https://twitter.com/ArvindKejriwal' चेक कर सकते हैं। 
11 मार्च को 5 राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के चुनाव परिणाम आए। पांच में से 2 राज्यों पंजाब और गोवा में आप ने चुनाव लड़ा। गोवा को छोड़ दें तो पंजाब के बारे में अरविंद केजरीवाल और उनके पार्टी के सभी कद्दावर नेता आश्वस्त थे कि वो सरकार बनाएंगे। अतिउत्साह की कोई सीमा नहीं थी। गोवा में भी कि मुख्य विपक्षी दल बनने को लेकर अरविंद केजरीवाल आश्वस्त थे। 

पर चुनाव परिणामों में आप पंजाब में मुख्य विपक्षी पार्टी बन पाई और गोवा में खाता ही नहीं खुला। एक राज्य में विपक्षी बनने और दूसरे में खाता नहीं खुल पाने से आहत अरविंद केजरीवाल ने 11 मार्च को एक भी ट्ववीट नहीं किया। 

जनज्वार ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 4 फरवरी से लेकर अबतक के सभी ट्वीट चेक किए। 4 फरवरी तक का इसलिए कि उसके बाद का ट्वीट दिख नहीं रहा है। केजरीवाल प्रतिदिन 14 से 35 ट्वीट और रि—ट्वीट करते हैं। 4 फरवरी से लेकर 9 मार्च तक उन्होंने हर रोज 5 से 10 ट्वीट मोदी के खिलाफ किए हैं। मजाक उड़ाया है, हंसी की है या फिर मोदी को ओछी राजनीति करने से बाज आने की हिदायत दी है ।

10 मार्च को केजरीवाल ने खुद के द्वारा दिल्ली एक विधानसभा में रैली संबोधित करने वाला ट्वीट किया। 

पांच राज्यों के चुनाव परिणामों के दिन 11 मार्च को केजरीवाल का ट्वीट चुप रहा। उस दिन एक भी ट्वीट अरविंद केजरीवाल ने नहीं किया। 

वह सीधे 12 मार्च को ट्वीटर पर एक वैशाखी के साथ अवतरित हुए। वह भी अपने एक दुश्मन के रि—ट्वीट की वैशाखी के साथ, जिनको कि अरविंद केजरीवाल ने पार्टी में रहते हुए बेइज्जत कर अपने गुर्गों से बाहर करा दिया था। 

जी हां, आप के पूर्व वरिष्ठ नेता और स्वराज अभियान के अध्यक्ष प्रशांत भूषण का एक ट्वीट इनके लिए तिनके का सहारा बना, जिसमें प्रशांत भूषन ने ईवीएम पर सवाल उठाए थे और भाजपा को वे दिन याद दिलाए जब भाजपा ने भी 2009 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद ईवीएम पर सवाल उठाए थे।  

Arvind Kejriwal Retweeted
Prashant Bhushan‏Verified account @pbhushan1 Mar 12

Those who screamed "Democracy at risk due to EVMs" while in opposition, are now celebrating "Democracy by EVMs", once in power!

प्रशांत भूषण से मिले तिनके के सहारे की बदौलत आज भी अ​रविंद केजरीवाल ईवीएम पर सवाल दागे फिर रहे हैं। पर आम आदमी पार्टी का संस्कार देखिए कि केजरीवाल के ही मंत्री कपिल मिश्रा, प्रशांत भूषण के कृष्ण और रोमियो वाले बयान को आपराधिक कृत्य बताते हुए उन्हें जेल भेजने के लिए प्रशासन से अपील कर रहे हैं। 

आइए आपको 11 मार्च से पहले के कुछ ट्ववीट पढ़वाते हैं कि हार के बाद प्रधानमंत्री मोदी को लेकर मुख्यमंत्री केजरीवाल का रुख अब कैसे बिल्कुल बदल गया है। उनको एक हार ने रणनीतिक यू टर्न लेने पर कैसे मजबूर कर दिया है...


मार्च 9 
 Arvind Kejriwal Retweeted
Kapil Mishra‏Verified account @KapilMishraAAP Mar 9

मोदी जी के दबाव में रोका गया रामकिशन जी परिवार को सहायता का प्रस्ताव । परदे के पीछे से राजनीति न करें। चुनी हुई सरकार का सम्मान करना सीखें।

मार्च 9
Arvind Kejriwal tweeted
आप सैनिकों को ढंग का खाना तक नहीं देते, हमें क्यों रोक रहे हैं : 


मार्च 7 
 Arvind Kejriwal Retweeted
Jignesh Mevani‏ @jigneshmevani80 Mar 7

#womensday2017 Modi Ji will be giving 'upadesh' to hundreds of Mahila sarpanch of Gujarat but will not utter a word about naliya sex scam


मार्च 5
 Arvind Kejriwal Retweeted
ASHUTOSH MISHRA‏ @ashu3page Mar 5

ASHUTOSH MISHRA Retweeted ASHUTOSH MISHRA

अरविंद केजरीवाल के बाद अखिलेश यादव दूसरे ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्हे किसी भी हाल मे हराने के लिए पीएम मोदी ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया है

मार्च 4 
Arvind Kejriwal Retweeted
Aarti‏ @aartic02 Mar 4
Replying to @ArvindKejriwal

.@ArvindKejriwal Media Channels are showing Modi's Rally on Polling Day, VC campaigning for Modi ~ Shame 🤔🤔
85 replies 591 retweets 628 likes
/status/837951102444257280 …

फरवरी 27
Arvind Kejriwal Retweeted
Shabnam hashmi‏ @ShabnamHashmi Feb 27

साल का बेस्ट स्टेटमेंट - 

मोदी को अगर लगता है कि गोरखपुर में बिजली नहीं आती तो कोई तार पकड़कर चेक कर लें' 
-अखिलेश

फरवरी 25 
Arvind Kejriwal Retweeted
Bhagwant Mann‏Verified account @BhagwantMann Feb 25

( Breaking News):पूरे देश के गधों ने की बगावत..कहा मोदी अपनी हद में रहें हम मेहनत की रोटी खाते हैं ...राममंदिर का चंदा नही..
गदेश बदल रहा है

फरवरी 22 
Arvind Kejriwal‏Verified account @ArvindKejriwal Feb 22
जो प्रधानमंत्री नोट ठीक से नहीं छाप सकता वो देश क्या चलाएगा। पूरे देश का मज़ाक़ बना के रख दिया।

फरवरी 20
Arvind Kejriwal Retweeted
Bhagwant Mann‏Verified account @BhagwantMann Feb 20
विकास के मुद्दे से भटक गए साहेब..सीटों के लालच में लटक गए साहेब..बातें अब श्मशान की होने लगी है..अपने ही वादे गटक गए साहेब..
देश बदल रहा है.

फरवरी 19
Arvind Kejriwal‏Verified account @ArvindKejriwal Feb 19
मोदी जी का ये बयान दिखाता है की भाजपा UP में बुरी तरह हार रही है और मोदी जी बहुत नर्वस हैं

फरवरी 16
Arvind Kejriwal‏Verified account @ArvindKejriwal Feb 16
मोदी जी ने ISI से पठानकोट की जाँच कराई, नवाज़ शरीफ़ के जन्मदिन पर उनके घर गए और अब भाजपा के लोग ISI के लिए जासूसी करते पकड़े गए?

फरवरी 15 
Arvind Kejriwal Retweeted Feb 15
मोदी के तमाम अडंगों के बावजूद भी गरीबो के लिए काम करती रही केजरीवाल सरकार ।

फरवरी 12 
Arvind Kejriwal Retweeted
Modi's note ban was the biggest scam of 2016, says P Chidambaram

फरवरी 10 
Arvind Kejriwal‏Verified account @ArvindKejriwal
आप कांग्रेसियों पर ऐक्शन नहीं लेते, उनसे डरते क्यों हो? चुनाव के पहले उन्हें खोखली धमकियाँ देते हो। लगता है आपकी जन्मपत्री उनके पास पड़ी है

फरवरी 6 
Arvind Kejriwal‏Verified account @ArvindKejriwal Feb 6
मोदी जी, आपकी तमाम अड़चनों के बावजूद हमने दिल्ली के ग़रीबों को पक्के मकान देने शुरू कर दिए। आप अपना धर्म कीजिए, हम अपना करेंगे।

फरवरी 5 
Sanjay Singh AAP‏Verified account @SanjayAzadSln Feb 5 
अमित शाह की रैली फ़्लॉप BJP की UP में 50 से कम सीटें आयेंगी https://www.facebook.com/azadsanjaysingh/posts/358458334540184 …

फरवरी 4  
Arvind Kejriwal Retweeted
History of India‏ @RealHistoryPic Feb 4

Young Narendra Modi selling "Chai" to Young Vijay Malaya at Sabarmati River Front, Gujarat.(1980)