May 13, 2011

भट्टा-पारसौल में पुलिसिया तांडव की कहानी, पीड़ितों की जुबानी


ग्रेटर नोएडा में सरकार द्वारा पूंजीपतियों की लिए कब्जाई जा रही जमीन के बदले अधिक मुआवजे की मांग को लेकर 17 जनवरी से चल रहा भट्टा गाँव में  41 गांवों का धरना 7 मई को पुलिस और किसानों के बीच खूनी झड़प के साथ खत्म हो चुका है। तीन किसानों और दो पीएसी जवानों की मौत के बाद दर्जनों की संख्या में किसान लापता हैं। मायावती सरकार ने तीन गाँवों भट्टा, पारसौल और आछेपुरा को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया है और किसानों के मुख्य वार्ताकार मनवीर सिंह तेवतिया पर पचास हजार का ईनाम घोषित कर रखा है। गाँवों से पुरुष गायब हैं, अब यहाँ हैं तो सिर्फ महिलाएं और बच्चे। हां, उन घरों में पुरुष जरूर दिखते हैं जिनके यहां का कोई आंदोलन में मारा गया है।

खूनी संघर्ष की शाम  7 मई को भट्टा गांव में क्या हुआ और उसके बाद के हालात कैसे हैं, इस पर वहां के ग्रामीणों की आप खुद सुनें...



गोलीकांड में मारे गए किसान राजपाल के भाई क्या कहते हैं, सुनिए...