Mar 5, 2017

बनारस में हो रही राष्ट्रीय पत्रकारिता का एक मजमून

इन दिनों कई संपादक संवाददाता बन गए हैं। वह बनारस में जमे हुए हैं। उन्हीं में से किसी एक को मेरे एक जानकार से मेरा नंबर मिला। उनका फोन आया, अब बात सुनिये...

''अजय भाई, कोई मुद्दा बताइये जो बनारस का असल सवाल बने...''

मैं, ''दर्जन भर गंदे नालों को दिखाइए जो सीधे गंगा में गिरते हैं और बताइये नमामि गंगे कैसे बनारस में दम तोड़ रहा है।''

संपादक, ''ये बहुत ही रिपिटेड मुद्दा है।''

मैं, ''सडकों और आवाजाही की सुविधा को दिखाकर बताइये कि करोड़ों के फंड, प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र होने और यूनेस्को से मिले विश्व धरोहर के दर्जे के बावजूद तीसरे दर्जे का शहर बना हुआ है।''

संपादक, ''चुनाव में कौन पढता है इन मुद्दों को। कोई चुनावी मुद्दा बताइये।''

मैं, ''मोदी महिलाओं के पक्षधर बनते हैं। बनारस में विधवा, परित्यक्त औरतें और भीख मांगने वाली महिलाओं की आबादी लाखों में है, इसपर कर दीजिए। और बताइये कि जहाँ सभी पार्टियों के धुरंधर हैं वहां आधे वोट की भागीदार औरत कहाँ है चुनाव में, प्रचार में।''

संपादक, ''यह तो मोदी को बेवजह टारगेट करना हो जायेगा। यह कोई आज की समस्या तो है नहीं।''

मैं' ''तो ठीक है आप बीएचयू पर करिये। बताइये कि अस्पताल से लेकर विश्विद्यालय तक कैसे दिन प्रतिदिन संसाधनों की कमी से घिरते जा रहे हैं। एक जगह शिक्षक नहीं तो दूसरे जगह सुविधा नहीं। महंगा इलाज और महँगी शिक्षा तो हैं ही। जबकि बिहार यूपी मिलाके 18 जिलों की उम्मीद है यहाँ के अस्पताल और विश्वविद्यालय से।''

संपादक, ''बहुत एकेडेमिक टाइप सवाल हैं। अच्छा...फिर बात करता हूँ आपसे। मोदी जी का जरा रोड शो कवर कर लूँ। थैंक्यू डियर।''