Aug 24, 2010

दलित क्यों नहीं हैं भागीदार


कात्यायिनी के नाम की यह वही संपत्ति है जिसकी जड़ें 1990की सांगठनिक फुट के साथ भी जुड़ी हुई हैं.बहस के विस्तार में गए बिना,मैं बस इतना पूछना चाहता हूँ कि कात्यायिनी के नाम से मकान क्यों ली गयी?

सुनील चौधरी

दोस्तों इस बहस में कुछ मुद्दे ठीक से सामने नहीं आ पाए है उनकी तरफ ध्यान देना काफी जरुरी है. ये ऐसे मुद्दे है जो वामपंथी आन्दोलन में शशि प्रकाश की लाइन को ठीक से समझने में मददगार साबित होंगे.वामपंथी आन्दोलन में दिनदहाड़े जिस झूठ फरेब और लूट को यह ग्रुप अंजाम दे रहा है उस पर एक नज़र -

1 - हिंदी में प्रकाशित होने वाली तीन पत्रिकाएं आह्वान, दायित्वबोध और बिगुल के संपादक प्रकाशक और मुद्रक क्रमशः आदेश सिंह, डॉ विश्वनाथ मिश्र और डॉ दूधनाथ थे जो इस संगठन से अलग हो चुके है. अब आह्वान के नाम में थोडा फेर बदल कर इसका संपादक प्रकाशक और मुद्रक शशि के बेटे अभिनव सिन्हा और उनकी मौसी कविता को बनाया गया है. इसी ग्रुप से निकाली जाने वाली बाल पत्रिका 'अनुराग' के संपादक भी अभिनव सिन्हा ही हैं. अब सवाल ये है तीनों संपादक क्यों अलग हुए उनके क्या सवाल है और उनके अलग होने के बाद आपके सैकड़ों कार्यकर्ताओ में से कोई इसकी जिम्मेदारी उठाने के काबिल क्यों नहीं है ...या सचेत तौर पर नहीं दिया गया है.

2 अब आइये इस ग्रुप के कुछ मुक़दमे पर एक नज़र डालते है

मुकदमा नंबर एक ...
गोरखपुर में कात्यायनी का जाफरा बाज़ार का पैत्रिक निवास जिसे संस्कृति कुटीर के नाम से जाना जाता है उसके सामने गेट के बगल में दो छोटे-छोटे कमरे है.एक में कात्यायनी के घर में काम करने वाली पैत्रिक दलित गरीब दाई रहती है.उसी कमरे को खाली कराने के लिए उसके साथ 1997मारपीट की गयी और उस घर को तोड़ने का प्रयास किया गया. गोरखपुर की अदालत में यह मुक़दमा आज भी लड़ा जा रहा है

मुकदमा नंबर दो...
गोरखपुर के राप्ती नगर का फ्लैट MIG-134जिसका मालिकाना कात्यायनी के नाम है, इसको लेकर गोरखपुर विकास प्राधिकरण से मुकदमा लड़ा जा रहा है क्योंकि GDA ने खराब स्तर का मकान बना कर दिया है.कात्यायिनी के नाम की यह वही संपत्ति है जिसकी जड़ें 1990की सांगठनिक फुट के साथ भी जुड़ी हुई हैं. बहस के विस्तार गए बिना मैं बस इतना पूछना चाहता हूँ कि कात्यायिनी के नाम से मकान क्यों ली गयी.यहाँ यह भी जान लेना जरुरी है क़ि कात्यायिनी अपने राजनीतिक जीवन में कब पूर्णकालिक कार्यकर्त्ता रहीं और कब नहीं यह भी रहस्य का विषय  है.


रामबाबू और कात्यायिनी: कौन किसका साझीदार 
मुकदमा नंबर तीन ...
लखनऊ में 69बाबा का पुरवा निशातगंज. बिगुल का उप सम्पादकीय कार्यालय.इस बड़े से मकान के मालिक थे बीड़ी सक्सेना जिनकी किरायेदार कात्यायनी थीं लेकिन अब उस मकान पर इस ग्रुप ने कब्ज़ा कर लिया है.अब उसमें रामबाबू ( शशि के साथी ) रहते हैं. जब इस मकान पर रामबाबू ने कात्यायिनी के साथ मिलकर कब्ज़ा कर लिया तो इस संपत्ति के असली मालिक बीडी सक्सेना ने आन्दोलन के कई लोगों से गुहार लगाई.बिगुल के सभी पाठकों को पत्र लिखा क़ि उन्हें उनका मकान दिलाया जाय लेकिन मकान उन्हें नहीं मिला और वे दिवंगत हो गये.जब कात्यायनी से इस बारे में पत्रकारों,साहित्यकारों ने पूछा था तो उनका जबाब था,'ये राम बाबु का मामला है मेरा नहीं.'सच यह है कि इस माकन पर कब्जेदारी बनाये रखने के लिए इस ग्रुप ने सत्ता के अपने सभी संपर्को से पूरी मदद ली.

अब आगे-

दायित्वबोध क़ि पुस्तिका श्रृंखला एक और दो-अनश्वर है सर्वहारा संघर्षो क़ि अग्नि शिखाएं और समाजवाद की समस्याएं और पूंजीवादी पुनर्स्थापना,ये दोनों पुस्तिकाएं इस ग्रुप के शुरूआती समय की पुस्तिकाएं है.इनके लिए दो बड़े कोचिंग संसथाओ से विज्ञापन लिया गया था.लेकिन चालाकी यहाँ भी चालाकी बरती गयी और विज्ञापन देने वालों के लिए कुछ अंक निकाल कर बाकि सबमें विज्ञापन नहीं दिया गया था और यही सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है.

मीनाक्षी ने आदेश और सतेन्द्र का वर्ग बांटने में में कोई कोताही नहीं बरती है लेकिन मजदुर वर्ग से आने वाले नन्हें लाल, जनार्दन , घनश्याम, स्वर्गीय रघुवंश मणि और बिगुल संपादक डॉ दूधनाथ के साथ वहां क़ि पूरी इकाई का वर्ग बताना भूल गई हैं.इनमें से लगभग सभी के परिवार वाले और वे खुद भी दिहाड़ी पर जीने वाले गरीब और दलित लोग हैं.दूसरा सच यह उभरकर सामने आता है कि इनके संगठन से सबसे ज्यादा वापस जाने वाले तो मजदुर वर्ग के ही लोग हैं.

सर्वहारा पुनर्जागरण -प्रबोधन की लाइन पर इस ग्रुप के बीस वर्षों के इतिहास में मेरी जानकारी में अपवाद स्वरुप भी दलित समुदाय से आने वाला कोई कार्यकर्ता इनके यहाँ टिका नहीं है, क्या इन्हें अपने लिए नई जनता चुनने का समय आ गया है जो इनके लिए पैसा उगाहती हो.

दुकान में क्रांति के आधार: जनचेतना से जगी कार्यकर्ताओं में चेतना
बहरहाल ऊपर लिखे  सवालों के साथ कुछ अन्य जरुरी सवाल.अगर कात्यायिनी इन प्रश्नों का हमें जवाब देने में तौहिनी मानती हैं तो वह जवाब वामपंथी बुद्धिजीवियों के समूह को भेज सकतीहैं क्योंकि यह सवाल हमारे अकेले का नहीं है...


1. कात्यायिनी, सत्यम वर्मा, शशि प्रकाश, रामबाबू, अभिनव, मीनाक्षी, नमिता, कविता संपत्ति का ब्यौरा दें और बताएं कि यह सभी लोग किस तरह की रिहाइशों में रहते हैं.

2. ऊपर लिखे सभी नामों में से एक एक के बारे में बताएं कि कब और किन वर्षों में किस टीम के साथ दलितों, मजदूरों और किसानों के बीच इन्हें काम करने का अनुभव है.

3. रिवोलुशनरी कम्युनिस्ट लीग( भारत) के महासचिव शशिप्रकाश यानी आपके पार्टी प्रमुख की मजदूर- किसान- छात्र आंदोलनों में भागीदारी और अनुभवों के वर्ष के बारे में बताएं.हो सकता है आप कहें कि सुरक्षा कारणों से बताना संभव नहीं है.इसलिए हम सिर्फ अनुभव के ब्योरे मांग रहे हैं, जगह बताना आपकी मर्जी.

4. दिल्ली, गोरखपुर, लखनऊ और इलाहाबाद में कौन कौन सी प्रोपर्टी है, सभी को सार्वजानिक करें? कहाँ और कौन से मुकदमें चल रहे हैं उसको भी बताएं.

5. जितने भी आंदोलनों में आप शामिल रहे हैं और आन्दोलन की वजह से राजसत्ता ने कितने मुकदमें किये हैं और सिर्फ संपत्ति के कारण कितने मुकदमों में संगठन के लोग या संगठन आरोपित है.

6 . जितने भी ट्रस्ट, सोसाइटी, प्रकाशन और संस्थान हैं उनमें कौन -कौन है और उसके प्रमुख कौन हैं?

7. बिगुल, आह्वान, दायित्वबोध, सृजन परिप्रेक्ष्य और अनुराग बाल पत्रिका का संपादक और मुद्रक, मालिक प्रकाशक कौन है?

8. राहुल फाउंडेशन , परिकल्पना प्रकाशन, अनुराग बाल ट्रस्ट, अरविन्द सिंह मेमोरियल की कार्यकारिणी और पदाधिकारियों का विस्तृत ब्यौरा दें.

9. बिगुल मजदूर दस्ता, दिशा छात्र संगठन, नौजवान भारत सभा, नारी सभा, बाल कम्यून की कार्यकारिणी बताएं और उनके पमुखों की जानकारी दें.

10. पिछले दस वर्षों में संगठन ने विभिन्न पत्रिकाओं, स्मारिकाओं और किताबों को छपने के लिए व्यक्तिगत सहयोग के आलावा किन-किन श्रोतों से आर्थिक सहयोग लिया है.ये सभी पत्रिकाएं और किताबें रजिसटर्ड हैं इसलिए आपको लिए गए और प्रकाशित विज्ञापनों को सार्वजानिक करने में दिक्कत नहीं होगी.साथ ही विज्ञापन दाताओं ने जो आपको कीमत अदा की है उसे भी बताएं.

11. जिन कार्यकर्ताओं ने संगठन छोड़ दिया है उनके नाम पर संगठन की कौन सी संपत्ति है, उसकी जानकारी दें.

12. आपके यहाँ कई बड़े प्रकाशन( हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी), किताब की बड़ी दुकानें, ट्रस्ट, सोसाइटी, गाड़ियाँ हैं जिसमें तमाम लोग काम करते हैं उनको दिए जाने वाली तनख्वाह और भत्तों की विस्तृत जानकारी दें.

13 . संगठन  से जुडी संस्थाओं और उनके स्वामियों के नाम से खुले खातों का ब्योरा दें.  करेंट और सेविंग  अकाउंट  की जानकारी अलग-अलग दें.