Feb 10, 2018

अक्सरहां युवा मिलते हैं जो कहते हैं कि हम शाहिद बनना चाहते हैं

सामाजिक कार्यकर्ता मसीहुद्दीन संजरी की नज़र में शाहिद आज़मी
11,फरवरी 2010 को कानून और साम्प्रदयिक सदभाव का खून करने वालों ने शाहिद आज़मी को शहीद कर दिया। शाहिद आतंकवाद के नाम पर फंसाए जा रहे बेकसूर मुस्लिम युवकों के मुकदमें देखते थे और कई बार उन ताकतों के मंसूबों का खाक में मिला दिया था जिनकी साज़िश की वजह से सैकड़ों मुस्लिम नौजवानों को सलाखों के पीछे डाल दिया गया था।


शाहिद ने बेकसूर युवकों की कानूनी लड़ाई को अपनी ज़िन्दगी का मकसद बना लिया था। एलएलएम करने के बाद उनके मामू उन्हें एक मशहूर के वकील के पास लेकर गये ताकि उनका भांजा अच्छा प्रशिक्षण लेकर खूब पैसा कमाए लेकिन आज़मी का इरादा कुछ और था। इस रास्ते पर चलने में आने वाले सम्भावित खतरों से भी शायद वह वाकिफ थे। इसीलिए उनकी मां जब उनसे शादी करने की बात करतीं तो वह मुस्करा कर टाल देते थे।

शाहिद आज़मी मूल रूप से आज़मगढ़ के इब्राहीमपुर गांव का रहने वाले थे। उनके पिता अनीस अहमद पत्नी रेहाना अनीस के साथ मुम्बई के देवनार क्षेत्र में रहकर अपनी अजीविका कमाते थे। बचपन में ही पिता अनीस अहमद का देहान्त हो गया। शाहिद आज़मी ने पंद्रह साल की आयु में दसवीं की परीक्षा दी।

अभी नतीजे भी नहीं आए थे कि कुछ राजनितिज्ञों को कत्ल करने की साजिश के आरोप में उन्हें टाडा के तहत गिरफतार कर लिया गया। जेल में भी अपनी पढ़ाई जारी रखी और कानून की डिगरी हासिल की। उन्हें पांच साल की सजा भी हुई परन्तु बाद में सुप्रीम कोर्ट से बरी हो गए। जेल से रिहा होने के बाद एक साल का पत्रकारिता का कोर्स करने साथ ही एलएलएम भी किया। कुछ समय एडवोकेट मजीद मेमन के साथ रहने के बाद अपनी प्रेक्टिस करने लगे।

शाहिद आज़मी का नाम उस वक्त उभर कर सामने आया जब उन्होंने 2002 के घाटकोपर बस धमाका, मुम्बई के 18 आरोपियों में से 9 को डिस्चार्ज करवा लिया बाद में बाकी 8 आरोपियों को भी अपर्याप्त साक्ष्यों के कारण टाडा अदालत ने बरी कर दिया। इस घटना के एक आरोपी ख्वाजा यूनुस की पुलिस हिरासत में ही हत्या कर दी गई थी।

शाहिद आज़मी 11, जूलाई 2006, मुम्बई लोकल ट्रेन धमाका, मालेगांव कबरस्तान विस्फोट और औरंगाबाद असलेहा केस के आरोपियों के वकील थे। यही वह जमाना था जब देश में एक साम्प्रदाकि-फासावादी शक्तियों द्वारा यह सघन अभियान चलाया जा रहा था कि कोई अधिवक्ता आतंकवादियों का मुकदमा नहीं देखेगा। इस समय तक आतंकवादी होने का अर्थ होता था मुसलमान होना। देश के कई भागों में ऐसे अधिवक्ताओं पर हिंसक हमले भी हुए थे।

बेंगलुरू में सैयद कासिम को शहीद भी कर दिया गया था। ऐसे वातावरण में यह साहसी नौजवान महाराष्ट्र के बाहर बंगाल समेत देश के कई भागों में जाकर अपनी कानूनी मदद देता रहा। अपनी शहादत से कुछ दिनों पहले ही बहुत गम्भीर मुद्रा में अपने परिजनों और मित्रों से शाहिद ने कहा था कि वह एक ऐसी योजना पर काम शुरू करने जा रहा है जिसके नतीजे में बेकसूरों पर हाथ डालने से पहले एजेंसियों को सौ बार सोचना पड़ेगा।

2006 और 2007 के बीच एडवोकेट शाहिद आज़मी को अज्ञात लोगों की तरफ से धमकी के फोन मिले थे। उन्होंने स्थानीय पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज करवाई थी। उन्हें सेक्योरिटी भी दी गई थी लेकिन कुछ ही दिनों बाद वापस ले लिया गया। 26, नवम्बर 2008 के मुम्बई पर हुए आतंकी हमले में जब पहले से ही जेल में बन्द फहीम अंसारी और सबीहुद्दीन अंसारी को घसीटा गया तो शाहिद आजमी उनके वकील हुए।

इस हमले के पाकिस्तानी अभियुक्त अजमल कसाब के वकील के पी पवार को ज़ेड श्रेणी की सुरक्षा दी गई परन्तु इसी मुकदमें से जुडे़ दूसरे अधिवक्ताओं की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं की गई। शाहिद आज़मी कमेटी फार प्रोटेक्षन आफ डेमाक्रेटिक राइट्स (सीडीपीआर) सदस्य होने के साथ ही इंडियन असोसिएशन आफ पीपुल्स लाएर से भी जुड़े हुए थे। शाहिद आज़मी खुश मिज़ाज स्वभाव का था।

यही कारण था कि उनके विरोधी भी उनका सम्मान करते थे। मुम्बई की सरकारी वकील रोहिनी जो कई मुकदमों में शाहिद के खिलाफ वकील थीं, ने इसकी कड़े शब्दों में निन्दा करते हुए अपनी संवेदना व्यक्त की थी।

शाहिद नहीं रहा, पर देश में वो युवाओं का एक आइकन है. अक्सरहां युवा मिलते हैं जो कहते हैं की हम शाहिद बनना चाहते हैं.

Feb 9, 2018

शाहिद आज़मी की शहादत की 8 वीं बरसी पर 11 को लखनऊ में कार्यक्रम

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद दलितों- पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के ऊपर लगातार उत्पीडन बढ़ रहा है. सत्ता में आने के बाद सहारनपुर से लेकर बलिया तक दलितों के उत्पीड़न का सिलसिला जारी है. भीम ऑर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद पर रासुका लगाया गया है. बलिया रसड़ा में गाय चोर के नाम दलित युवकों सरेबाज़ार अपमानित किया, सर मुड़वाकर गले मे गाय चोर की तख़्ती लगाकर मारते हुए पूरे बाजार में घुमाया गया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र में दलितों-पिछड़ों के लिए संघर्षरत नेताओं पर फ़र्ज़ी मुकदमे लादकर उत्पीड़ित किया जा रहा है.



सत्ता संरक्षण में मुसलमानों पर हमले हो रहे हैं, कासगंज साम्प्रदायिक हिंसा उसी का उदाहरण है. भाजपा राज में भगवा गुंडे बुलंदशहर से शाहजहांपुर तक मुसलमानों को पीट पीट कर मार रहे हैं।

प्रदेश  सरकार मानवाधिकार आयोग की नोटिस को दरकिनार करते हुए प्रदेश में दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों को मुठभेड़ों के नाम दिन दहाड़े हत्या कर रही है. पूर्वांचल में मुकेश राजभर, जयहिंद यादव, अन्नू सोनकर से लेकर नोएडा में जितेंद्र यादव तक फ़र्ज़ी मुठभेड़ों का सिलसिला जारी है। इतना ही नही दमन और उत्पीड़न के लिए यूपीकोका लाया जा रहा है।

भारतीय गणतंत्र को 69 साल पूरे हो गए हैं फिर भी आबादी के एक बड़े हिस्से को न सिर्फ नागरिक मनाने से नकारा जा रहा है बल्कि उनको इंसान होने का भी दर्ज़ा नहीं दिया जा रहा है. जबकि भारतीय संविधान के प्रस्तावना में ही सबके लिए न्याय की बात कही गयी है और संविधान निर्माताओं का सपना भी यही था की भारतीय गणराज्य का हर नागरिक तक इंसाफ की पहुँच हो. आज जब दलितों-पिछड़ों पर हमले बढ़े रहे हैं, मुसलमानों को राजनीति से प्रेरित हिंसक भीड़ उनके पहचान के आधार पर पीट-पीटकर मार रही है. सरकारें दलित उत्पीड़न और साम्प्रदायिकता के खिलाफ बोलने वालों को देशद्रोही करार देकर जेलों में ठूसने पर उतारूं हैं. विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को अपना हक मांगने पर मुक़दमे लादे जा रहे हैं. किसान आत्महत्या को मजबूर हैं. तो हम सब की जरुरत है कि हम कतारबद्ध हो. 

शाहिद आज़मी की शहादत की 8 वीं बरसी पर सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत दोस्तों की मुलाकात में आप सभी आमंत्रित हैं ताकि हम एक बेहतर देश और समाज का निर्माण कर सकें. 

हमारे पीएम पकौड़ेबाज़

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा पकौड़े बेचने को रोजगार की परिभाषा में शामिल किए जाने संबधी बयान देकर युवाओं के उम्मीदों और भावनाओं के साथ मजाक उड़ाए जाने पर युवा सामाजिक चिंतक सूरज कुमार बौद्ध ने एक गीत "हमारे पीएम पकौड़ेबाज़" लिखकर युवाओं की भावनाओं को व्यक्त किया है। आइए पढ़ते हैं...

- सूरज कुमार बौद्ध

हमारे पीएम पकौड़ेबाज
चाय चाय करते करते बन गए जुमलेबाज,
हमारे पीएम पकोड़ेबाज, हमारे पीएम पकोड़ेबाज......-2
फर्जी डिग्री वाले पीएम की, झूठ-मूठ अल्फाज सुनो।
ट्वीट-ट्वीट से मन ना भरे तो, साहब के मन की बात सुनो।
छात्र नौजवानों की अब, सुनो तो मन की बात...
हमारे पीएम पकोड़ेबाज, हमारे पीएम पकोड़ेबाज......-2
नोटबंदी और जीएसटी की, मार तेरी उपलब्धि है
फर्जिकल स्ट्राइक करने वाली, हर बातें गीदड़भभकी है
वंचित गरीब किसानों पर बेईमानों का राज....
हमारे पीएम पकोड़े बाज, हमारे पीएम पकोड़ेबाज......-2
दो करोड़ की नौकरी, हर साल देने वाले थे,
15 लाख सबके खाते में, स्विस बैंक से लाने वाले थे
गजब के अर्थशास्त्री हो तुम, गजब तेरा विकास...
हमारे पीएम पकोड़े बाज, हमारे पीएम पकोड़ेबाज......-2
अच्छे दिन की बात करके, लाइन में लगवा दिए,
आधार कार्ड के चक्कर में, संतोषी को मरवा दिए,
कासगंज में दंगे करवाके, देखो खुले घूमें सांड......
हमारे पीएम पकोड़े बाज, हमारे पीएम पकोड़ेबाज......-2