May 31, 2017

रिश्तों को गालियों से नहीं नजदीकियों से आंकिए !

अगर भक्तों को यह सुनना अच्छा लगता है कि भाजपा देश की नई कांग्रेस है तो उन्हें यह सुनकर भी आह्लादित होना चाहिए कि मोदी देश के नए नेहरु हैं। फिर कांग्रेस तो नेहरु की संस्कृति​ ही बनाएगी जिसमें प्रियंका चोपड़ा का भी एक रोल होगा...


जनज्वार। प्रधानमंत्री मोदी विदेश यात्रा के दौरान बर्लिन में प्रियंका चोपड़ा से भी मिले। मोदी के समक्ष प्रियंका के बैठने के अंदाज से प्रधानमंत्री के भारतीय समर्थक आहत हैं। वह हताशा में प्रियंका को गालियां बक रहे हैं और उन्हें भारतीय संस्कृति की याद दिला रहे हैं। 

मोदी भक्त और समर्थक संस्कार, संस्कृति, लाज, लिहाज और बाप—बेटी के रिश्ते जैसी बातें कर अपने पंरपरावादी नेता का बचाव कर रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि इससे मोदी की छवि को छति पहुंचेगी। बर्लिन में प्रियंका और मोदी के मिलने—मिलाने के प्रकरण में वह लगातार प्रियंका को दोषी मान रहे हैं। 

उनकी बातों और ट्वीटर—फेसबुक पर आ रही टिप्पणियों से लग रहा है मानो प्रियंका ने मोदी जैसे वृहत्तम व्यक्तित्व को अपनी दो टांगों के करीब ला पटका है। भक्तों की यह चिंता इसलिए भी दिख रही है कि प्रियंका से उनका मुख्य ऐतराज प्रियंका की दिखती टांगों और बैठने के आत्मविश्वासी अंदाज पर है। 

पर भक्तों और परंपरावादी कट्टरपंथियों को समझना चाहिए कि मोदी जी खुली टांगों को नैतिकता को मानक मानने की राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के बुद्धिकौशल से उपर उठ चुके हैं, जबकि संघी अभी भी नाभी, जांघ, नितंब, उरोज के उभार, उसके दिखने और न दिखने को नैतिकता की चरम स्थिति मानते हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत कई नेता इस संदर्भ में बयान भी दे चुके हैं।   

इसीलिए वह प्रियंका के लिबास पर अकबक बोलकर जी को शांत कर रहे हैं। पर भक्त इस मामूली बात को नहीं मान रहे कि प्रियंका का यही अंदाज मोदी को आकर्षित करता है जिसकी वजह से वह विदेश यात्रा में भी उनके लिए अलग से समय निकालते हैं। रही बात कपड़े की तो भारतीय महिला फिल्म कलाकारों का यह सामान्य ड्रेस है जो किसी से मिलते-जुलते वक्त पहनती हैं। फिर प्रियंका किसी खाप की गिरफ्त में हैं तो हैं नहीं जो ड्रेस कोड माने।

प्रियंका के प्रति प्रधानमंत्री की आत्मीयता, लगाव और स्नेह एक कलाकार से बढ़कर होगा तभी तो वह मिलें हैं। जैसे प्रियंका प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा के इस बार के महत्वपूर्ण और व्यस्ततम कार्यक्रमों का हिस्सा हों, उनके बिना विदेश यात्रा अधूरी रह जाती हो। 

और एक बात आखिर में ! 

मोदी के सामने प्रियंका के बैठने का अंदाज बहुत कुछ कहता है। और इतना स्पष्ट रूप से कहता है कि मोदी प्रियंका को यह अधिकार देते हैं और जिससे वह एक शक्तिशाली महिला के रूप में उनके सामने पेश हो पा रही हैं। नहीं तो उनके कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री भी मोदी के समक्ष हाथ पीछे किए ऐसे खड़े रहते हैं जैसे अर्दली खड़ा होता है। 

इससे भी बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रियंका ने मोदी से मुलाकात की तस्वीर ट्वीटर पर प्रधानमंत्री की इजाजत के बगैर शेयर की होगी?

या अंदाज भारतीय पूंजीपति मुकेश अंबानी वाला रहा होगा कि अंबानी ने अपने नेटवर्क 'जियो' के प्रचार का ब्रांडआइकॉन बनाकर मीडिया में मोदी को पेश कर दिया था जिसपर ऐतराज होने पर पीएमओ ने एक फर्जी सफाई दे दी थी और अंबानी पर एक हवाई जुर्माना लगा दिया था। 

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