Mar 31, 2017

छात्राओं को नंगा करने वाली वॉर्डन बर्खास्त

आरोपी वार्डन ने रखा अपना पक्ष, कहा यह उन शिक्षकों की साजिश जो पढ़ाना नहीं चाहते 
 

मुजफ्फरनगर से संजीव चौधरी की रिपोर्ट 

उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर के कस्तूरबा गाँधी आवासीय विद्यालय में 30 मार्च को हॉस्टल वार्डन सुरेखा तोमर द्वारा विद्यालय की छात्राओं को निर्वस्त्र कर कक्षा में बैठाने का एक बेहद शर्मनाक मामला सामने आया है। हॉस्टल वार्डन की इस घिनौनी करतूत का पीड़ित छात्राओं ने विरोध किया है। आरोपी वॉर्डन को सरकार ने फिलहाल बर्खास्त कर दिया है। घटना के बाद कई छात्राओं के अभिभावक अपनी बच्चियों को स्कूल से घर ले गए हैं। 

गौरतलब है कि मुज़फ्फरनगर के खतौली थाना क्षेत्र के तिगरी गांव स्थित सरकारी कस्तूरबा गाँधी आवासीय विद्यालय का है। विद्यालय में आमतौर पर गरीब परिवार की बच्चियां पढ़ती हैं। इनमें से कुछ बच्चियां महज आठ वर्ष की हैं, जिन्हें अभी ना खाने का पता है और ना ही पीने का। विद्यालय में आठ साल से लेकर 12 वर्ष की बच्चियां अपने परिवार से दूर शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। 

खतौली के कस्तूरबा गाँधी बालिका आवासीय विद्यालय में वार्डन ने रविवार 26 मार्च को विद्यालय में अध्यनरत 65 छात्राओं को संयुक्त रूप से कक्षा में ले जाकर नग्न अवस्था में खड़ा किया। वार्डन सुरेखा ने कई घंटों तक कई छात्राओं को पूर्ण रूप से निर्वस्त्र रखा। छात्रायें खुद को अपमानित महसूस करती रहीं, लेकिन वार्डन ने छात्राओं की एक न सुनी। 

महिला वॉर्डन ने छात्राओं के साथ यह सनकी सलूक क्यों किया, यह तथ्य और चौंकाने वाला है। दरअसल वॉर्डन को विद्यालय के टॉयलेट में ब्लड के धब्बे मिले थे जिसे देख विद्यालय की वार्डन आग बबूला हो गईं। जिसके बाद उसने सभी छात्राओं को क्लास रूम में ले गयीं और कुछ छात्राओं को निर्वस्त्र होने के​ लिए कहा और एक—एक कर छात्राओं के मासिक धर्म होने की जांच करने लगीं। 

इस बीच छात्राएं रोती—बिलखती रहीं, लेकिन हिटलर बनी हॉस्टल की वार्डन न तो शर्मिंदा हुई और न छात्राओं की हालत पर उसे तरस आया। वार्डन टॉयलेट में ब्लड को देख समझ चुकीं थीं कि विद्यालय की किसी छात्रा को मासिक धर्म हुआ है, जिसने ये टॉयलेट गंदा किया है। बस वार्डन ने उस छात्रा को ढूंढने के लिए इस घिनौनी करतूत को अंजाम दिया। 

वार्डन की इस हरकत के बाद छात्राओं ने विद्यालय में जमकर नारेबाजी कर विरोध शुरू कर दिया। बवाल मचने पर पहुंचे बेसिक शिक्षा अधिकारी चंद्रकेश यादव ने आनन—फानन में सात सदस्यों की टीम बनाकर इस पूरे मामले की जाँच कर वार्डन सुरेखा पर आरोप सिद्ध होने तक निलंबित कर दिया था। पर अब सरकार ने आरोपी वॉर्डन को बर्खास्त कर दिया है।  

आठवीं पढ़ने वाली छात्रा ने बताया, 'बाथरूम की कुण्डी में खून लग गया था। बड़ी मैम 'वार्डन मैम' ने उसका कुछ उल्टा मतलब निकाला। फिर बड़ी मैम ने हम सभी लड़कियों के कपड़े उतरवाए और दो लड़कियों के गुप्तांग दबाकर चेक करने को कहा। इस बीच मैम लगातार धमकाती रहीं कि जल्दी बताओ कि किसका डेट आया है, नहीं तो सबको पीटूंगी। 

छठवीं कक्षा की छात्रा के मुताबिक, 'मैम ने हमें नीचे बुलाया और कहा कि जिसके—जिसके मासिक धर्म हो रहे हैं वह खड़े हो जाओ। फिर नंगा होने का कहा। हमने बीएसए से इनकी शिकायत कर दी है। अगर यह रहेंगी तो हम लड़कियां यहां नहीं रहेंगी।' 

बवाल मचने के बाद मौके पर पहुंचे परिजन संजीव त्यागी कहते हैं, 'मेरी बेटी कक्षा 6 में है। उसने मुझे पर बताया कि मैडम बच्चियों से कपड़े उतारने को बोल रही हैं। बेटी ने फोन पर बताया कि किसी बच्ची के मासिक धर्म आने पर बाथरूम में कहीं खून का धब्बा लग गया था, जिसके कारण वार्डन ने ऐसा किया। 

आरोपी वार्डन सुनिता का कहना है, 'मैंने ऐसा कुछ नहीं किया, यह सब यहां के स्टाफ की साजिश है। वह नहीं चाहता कि मैं स्कूल में रहूं। उन्हें मेरे होने से ड्यूटी करनी पड़ती है। नंगा कराने वाली बात झूठ है। बाथरूम की दीवार पर खून लगा था इसलिए मैंने जानने के लिए बच्चियों को बुलाया कि किसी के साथ कोई समस्या तो नहीं। कई बार 10—12 साल की लड़कियों का ​मासिक धर्म होता है पर उन्हें कुछ पता नहीं रहता। दूसरा लड़कियां पैड ट्वायलेट के कमोड में डाल देती हैं फिर सैनीटेशन की भारी समस्या हो जाती है। मैंने इस बारे में भी बात की।'

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