Jul 31, 2011

मीडिया मंडी का नया माल बन गया ‘बेशर्मी मोर्चा’

मन में सवाल उठ रहा था कि राष्ट्रीय मीडिया के लिए स्लट वॉक कहीं मंडी में आया ताजा माल तो नहीं, जिसको बेचने के लिए एक-एक न्यूज चैनल से तीन-तीन पंसारी पहुंचे हुए हैं...

भूपेंद्र सिंह


महिलाओं के हक और समान अधिकार के लिए दुनिया के कई देशों में निकाली जा चुकी स्लट वॉक आज दिल्ली के जंतर-मंतर में आयोजित हुआ। पिछले कई महीनों से जिस स्लट वॉक या उसके भारतीय रूपांतरण ‘बेशर्मी मोर्चा’ को लेकर मुख्यधारा की मीडिया में खबरें आ रही थीं, आज उस बेशर्मी मोर्चा में शामिल युवक-युवतियों ने जंतर-मंतर पर एकत्रित होकर पार्लियामेंट स्ट्रीट का चक्कर लगाया।

बमुश्किल 300 लोगों के झुंड को कवर करने के लिए 30 से ज्यादा न्यूज चैनलों की ओवी वैन आयोजकों से पहले जंतर-मंतर पहुंच चुकी थीं। भीड़ देखकर ऐसा लगा कि पत्रकारों और फोटोग्राफरों की संख्या भी 300 के आसपास ही रही होगी। मन में बस यही सवाल उठ रहा था कि राष्ट्रीय मीडिया के लिए क्या यह इतना बड़ा आयोजन है कि एक-एक न्यूज चैनल से स्टल वॉक कवर करने के लिए तीन-तीन पत्रकार भेजे गये हैं। कम कपड़े में आयी लड़कियों के शरीर फोकस होते कैमरों को देख लगा कि यह मुद्दा है या मीडिया मंडी में आया ताजा माल, जिसमें मुनाफा बाइडिफाल्ट है।

आयोजक उमंग सबरवाल और एक प्रदर्शनकारी : अधिकार की लड़ाई  

यह बात परेशान करने वाली थी कि जब मीडिया के कैमरे लोगों के झुंड में उन लड़कियों को ढूंढ़ रहे हैं जिन्होंने कम कपड़े पहने हैं, तो हम ऐसे आयोजन करके समाज के लोगों की सोच में कैसे बदलाव की बात कैसे कर सकते हैं कि छोटे कपड़े पहनकर कोई लड़की सड़क पर गुजरेगी तो उसकी ओर कोई मुड़कर नहीं देखेगा या कमेंट नहीं करेगा। ऐसे में समाज में परिवर्तन की बात करना क्या बेमानी नहीं है? एक और बात जो मुझे यहां हैरान कर रही थी वह यह कि इस मोर्चे में भाग लेने के लिए लड़कियों से ज्यादा संख्या लड़कों की थी।

यह स्लट वॉक कई चैनलों के लिए अपनी ब्रांडिंग का जरिया भी था, जो जाहिर कर रहा था इनके लिए मामला तभी मुद्दा है जब वह मंडी के मुनाफे में चार चांद लगाता हो। और यह कूवततो बेशर्मी मोर्चा में है- तेज एंकरों, रिपोर्टरों और संपादकों ने ताड़ लिया है। एक न्यूज चैनल की वरिष्ठ एंकर तो बाकायदा जंतर-मंतर पर टॉक शो आयोजित करने के लिए घंटों से तैयारी में जुटी हुयी थीं और चैनल के नाम का होर्डिंग का एक घेरा बनाकर वॉक के आयोजकों का टाक शो में शामिल होने का इंतजार कर रही थी।

वहीं युवाओं के बीच यूथ चैनल के नाम से लोकप्रिय एक चैनल ने तो इस वाक में शामिल होने वाले युवक-युवतियों को टी-शर्ट पहनायी हुयी थी, जिसके पीछे बेशर्मी मोर्चा और चैनल का नाम लिखा था। एक एफएम चैनल के आरजे भी यहां पहुंचे हुए थे। कहने की जरूरत नहीं कि उनका यहां आने का मकसद अपने-अपने चैनल या एफएम की ब्रांडिंग का अवसर हाथ से न जाने देने वाला अवसर था। अंग्रेजी बोलने वाले और आईफोन इस्तेमाल करने वाले इन युवक-युवतियों ने जब अपनी वाक शुरू की तो न्यूज चैनलों के कैमरे इनकी ओर ऐसे लपके जैसे कोई शिकारी शिकार के लिए झपटता है।

मीडिया ने बेशर्म मोर्चा की रैली को इतना बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया कि दिल्ली पुलिस के साथ-साथ सीआरपीएफ के जवान भी मौके पर तैनात करने पड़े। जिस तरह जंतर-मंतर पर मौजूद न्यूज चैनलों के रिपोर्टर कैमरे के सामने खबरें प्रस्तुत कर रहे थे उन्हें देखकर मैं यह सोचकर हैरान हो रहा था कि घर में बैठा एक आम दर्शक सोच रहा होगा कि पता नहीं कितना हुजूम उमड़ा होगा। लेकिन हकीकत में मुझे यह कुछ बड़े घरों के लड़के-लड़कियों द्वारा पश्चिमी देशों में निकाली गयी स्लट वाक से प्रभावित होकर कुछ अलग करने से ज्यादा नहीं लगा।

अब बात जरा इस मोर्चे की आयोजक की भी कर ली जाये। आयोजक उमंग सब्बरवाल सफेद टी-शर्ट और जींस में दिखीं, जबकि वाक में शामिल कुछ लड़कियां स्कर्ट और शार्ट्स पहनकर पहुंची थीं। कई दंपत्ति भी इस वाक का हिस्सा बनने पहुंचे थे। पूछने पर पता चला कि संडे का दिन था, सोचा कुछ अलग इवेंट हो रहा है तो इसमें शामिल हुआ जाये तो चले आये। दो महीने की जद्दोजहद के बाद मात्र कुछ सौ लोगों को देखकर मैं यह सोचने लगा कि यदि मीडिया ने इसे इतना बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं किया होता तो शायद इतने लोग भी नहीं जुटते।

2 comments:

  1. Ritu Agnihotri, duSunday, July 31, 2011

    sahi kaha aapne aise kisi morche se kuch hoga nahin. ho sakta hai gandi mansikta ke logon ko is tarah ke pred pradrshani ban jayen.

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  2. किसी आंदोलन के बारे में यह नजरिया ठीक नहीं है.बेशम्र्म कोई यूँ नहीं बन जाता कुछ मजबूरियां तो रहीं होंगी.

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