Jul 10, 2011

मेट्रो मज़दूरों के हकों की लूट


आज दिल्ली के सैकड़ो मेट्रो मज़दूरों ने जन्तर-मन्तर पर डीएमआरसी अधिकारियों और डीएमआरसी की ठेका कम्पनियों खि़ला़फ प्रदर्शन किया। डीएमआरसी के ठेका मज़दूर,जिसमें किटकिट-वेंडिंग स्टाफ,हाउस कीपर और सुरक्षा गार्ड शामिल हैं,लम्बे समय से न्यूनतम मज़दूरी के भुगतान, ईएसआई,पीएफ, डबलरेट ओवरटाइम भुगतान, साप्ताहिक छुट्टी और ठेका मज़दूर कानून अधिकारों की मांग कर रहे हैं।

श्रम कानूनों के इस उल्लंघन के खि़ला़फ आज सैकड़ों मेट्रो मज़दूर जन्तर-मन्तर पर एकत्र हुए और उन्होंने श्रीधरन और डीएमआरसी प्रशासन का पुतला फूँका। डीएमकेयू ने ज्ञापन समेत एक माँग पत्रक क्षेत्रीय श्रमायुक्त के कार्यालय को सौंपा,जिसपर सैकड़ों मज़दूरों के हस्ताक्षर थे। मज़दूरों ने दावा किया कि बेदी एंड बेदी, ट्रिग, आल सर्विसेज़, प्रहरी,ए 2जेड, आदि जैसी ठेका कंपनियों खुलेआम रम कानूनों की डीएमआरसी में धज्जियां उड़ा रही हैं। ये कंपनियां वे हैं जिन्हें टिकट ऑफिस मशीन चलाने, सफाई कराने और सुरक्षा का ठेका मिला हुआ है।

सरकार की नवीनतम अधिसूचना के अनुसार, टॉम ऑपरेटरों को करीब 8 हज़ार रुपये मिलने चाहिए, लेकिन उन्हें सिर्फ साढ़े चार से पांच हज़ार रुपये तक ही दिये जाते हैं। सफाई कर्मचारियों को भी कानूनी न्यूनतम मज़दूरी का केवल आधा दिया जाता है और अधिकांश मामलों में तो उन्हें साप्ताहिक छुट्टी तक नहीं मिलती। सुरक्षा गार्डों की स्थिति भी दयनीय है। ऐसा नहीं है कि डीएमआरसी अधिकारी इस स्थिति से वाकिफ नहीं हैं,लेकिन वे डीएमकेयू की बार-बार मांग के बावजूद कोई कदम नहीं उठा रहे हैं।

डीएमकेयू के सचिव अजय स्वामी ने कहा कि डीएमआरसी खुलेआम सभी श्रम कानूनों को तोड़ रही है और इसने अनजाने में इस बात को मान भी लिया है। श्री स्वामी ने कहा कि एक सूचना अधिकार आवेदन के जवाब में डीएमआरसी ने माना है कि उस के पास ठेका मज़दूरों का कोई रिकॉर्ड नहीं है, जो स्टेशन स्टाफ और निर्माण मज़दूरों के रूप में काम कर रहा है। डीएमआरसी हमें बता रही है कि ये लोग उसके नहीं बल्कि ठेका कम्पनियों के कर्मचारी हैं,लेकिन ठेका मज़दूर कानून 1971 के अनुसार इन मज़दूरों का प्रधान नियोक्ता डीएमआरसी ही है और यह कानूनन उसकी जिम्मेदारी है कि वह सभी श्रम कानूनों के पालन को सुनिश्चित करे और इस की नियमित जांच करे।

सवाल यह भी है कि अगर डीएमआरसी के पास ठेका मज़दूरों का रिकॉर्ड ही नहीं है तो वह यह सुनिश्चित कैसे कर सकता है कि उनके श्रम अधिकारों की पूर्ति हो रही है? श्री स्वामी ने कहा कि यह प्रदर्शन डीएमआरसी प्रशासन को एक चेतावनी है कि अगर यह श्रम कानूनों के उल्लंघन में ठेका कम्पनियों ने मिलीभगत को जारी रखेगी तो हज़ारों मेट्रो ठेका कर्मचारी सड़कों पर उतरकर अपने हक़ों की लड़ाई लड़ेंगे।


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